छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुईया उइके से मिलने जा रहे 10 आदिवासियों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इन सभी आदिवासियों को कोंडागांव में पुलिस ने पकड़ा है। जिन लोगों को पुलिस ने पकड़ा है वे सिलगेर, पुसनार, सिंगारम में चल रहे आंदोलन को लीड कर रहे थे। मूलवासी बचाओ मंच ने एक बयान जारी कर इसकी जानकारी मीडिया को दी है। हालांकि इस संबंध में पुलिस की तरफ से अब तक कोई बयान सामने नहीं आया है। इधर, पुलिस कैंप के विरोध में सिलगेर में ग्रामीणों का आंदोलन अब भी जारी है।

सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर स्थित सिलगेर में पुलिस कैंप के विरोध में पिछले 9 महीने से ग्रामीण तंबू गाड़ कर आंदोलन में बैठे हुए हैं। वहीं शुक्रवार को तीर-धनुष समेत पारंपरिक हथियार लेकर ग्रामीण कैंप के सामने तक पहुंच गए थे। जिन्होंने एक बार फिर कैंप के सामने जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों ने कहा कि आदिवासियों की जमीन हड़पने नहीं देंगे। साथ ही सिलगेर के कैंप को हटाने की मांग भी जारी है। राज्यपाल से मिलने जा रहे 10 ग्रामीणों को हिरासत में लेने का विरोध भी ग्रामीणों ने किया है।

सिलगेर में आंदोलन में बैठे ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें न तो इलाके में पुलिस कैंप चाहिए और न ही पक्की सड़कें। यदि सड़क बनती है तो उनके लिए मुश्किलें बढ़ जाएंगी। जवान उन पक्की सड़कों के माध्यम से आसानी से गांव तक पहुंचेंगे और जंगल में लकड़ी लेने या फिर शिकार पर गए ग्रामीणों का फर्जी एनकाउंटर कर दिया जाएगा। या फिर उन्हें नक्सली बताकर गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया जाएगा। सिलगेर ​​​​​​में आंदोलन में बैठे ग्रामीणों ने कहा कि पुलिस की गोलियों से 3 लोगों की और भगदड़ में एक गर्भवती महिला की मौत हुई थी। कई ग्रामीण घायल भी हुए थे। सरकार मृतकों के परिजनों को एक-एक करोड़ रुपए और घायलों को 50-50 लाख रुपए का मुआवजा दें। साथ ही सिलगेर में हुए गोलीकांड की न्यायिक जांच भी की जाए।

मई 2021 में नक्सल प्रभावित इलाके सिलगेर में नवीन पुलिस कैंप खोला गया था। यहां कैंप खुलने के दूसरे दिन ही इलाके के हजारों ग्रामीण आंदोलन में बैठ गए थे। इस बीच सुरक्षाबलों के साथ ग्रामीणों की झड़प हुई थी। ऐसे में जवानों ने फायरिंग भी खोल दी थी। जिससे गोली लगने से 3 लोगों की और भगदड़ में एक महिला की जान गई थी। पुलिस का कहना था कि, इस भीड़ में नक्सली भी मौजेद थे, जबकि ग्रामीणों ने मारे गए लोगों को निर्दोष आदिवासी बताया था।