भोपाल ।  पन्ना टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने उम्र के साथ बाघों के शरीर में होने वाले बदलाव संबंधी बुकलेट जारी किया है। प्रबंधन का दवा है कि फ्री रेंजिंग बाघों के शरीरिक बदलाव की इस तरह की जानकारी दुनियां में फिलहाल कहीं उपलब्ध नहीं है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ आलोक कुमार ने इस बुकलेट को जारी किया है। इसे फील्ड डायरेक्टर उत्तम कुमार शर्मा, डिप्टी डायरेक्टर विजयान्नथम टीआर व वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता ने संयुक्त रूप से लिखा है। फील्ड डायरेक्टर शर्मा ने बताया, बुकलेट में फ्री रेंजिंग बाघों के भौतिक विशेषताओं के विकास का डेटा दिया गया है। इसमें बाघों के ट्रैंकुलाइजेशन, एंटीडॉट दवाओं के उपयोग, इंडक्शन टाइम और रिवर्सल टाइम के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि फ्री रेंजिंग बाघों को लेकर इस तरह का डेटा दुनिया में फिलहाल कहीं उपलब्ध नहीं है। इससे यह बुकलेट फ्री रेंजिग बाघों पर अध्ययन कर रहे स्टूडेंट, शोधार्थी सहित विशेषज्ञों के लिए काफी महत्वपूर्ण जानकारी है।
34 बार ट्रैंकुलाइज हुईं बाघिन
बुकलेट में बताया गया कि पन्ना टाइगर रिजर्व के कुल 30 बाघों को 60 बार ट्रैंकुलाइज किया गया है। इनमें मेल बाघों को 26 बार और फीमेल बाघ को 34 बार वन्यप्राणी चिकित्सक डॉ. संजीव गुप्ता द्वारा ट्रेंकुलाइज किया गया है। इनमें सबसे अधिक 6 बार बाघ पी-212 को बेहोश करना पड़ा था। एक साल 7 माह की उम्र में उसे पहलीबार रेडियो कॉलर लगाने के लिए ट्रैंकुलाइज किया गया था। इसके बाद तीन बार उसे सर्जरी और इलाज के लिए ट्रैंकुलाइज किया गया है। बाघिनों में पी-113 को चार बार ट्रैंकुलाइज किया गया है।

इनका कहना है
पन्ना नेशनल पार्क में बाघ पुनस्र्थापन योजना शुरू होने के साथ ही फ्री रेंजिंग बाघों का डेटा एकत्रित किया जा रहा है। बुकलेट में बाघों में ट्रैंकुलाइजेशन, एंटीडॉट दवाओं के उपयोग व उसकी मात्रा, इंडक्शन टाइम और रिवर्सल टाइम के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। जो शोधार्थियों के लिए काफी उपयोगी शाबित होगी।
उत्तम कुमार शर्मा, फील्ड डायरेक्टर, पन्ना नेशनल पार्क