भोपाल । दवाइयों और इंजेक्शन के लिए नकली कच्चा माल बनाने वालों पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने नए नियम बनाए हैं। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 17 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी कर कच्चे माल के निर्माताओं के लिए पैकिंग पर क्यूआर कोड लगाना अनिवार्य कर दिया है। इस क्यूआर कोड में कच्चे माल के उत्पादन, उसमें शामिल केमिकल, कब और किस कंपनी को माल बेचा, एक्सपायरी डेट सहित 11 जानकारी रहेगी। नई व्यवस्था एक जनवरी 2023 से लागू होगी। दवाइयों के लिए नकली कच्चा माल के उत्पादन और उसकी खरीदी-बिक्री से सही काम करने वाले भी शक के दायर में आ रहे थे। क्यूआर कोड व्यवस्था से उनके उत्पादों पर भरोसा बढ़ेगा।


यह होगा फायदा
मप्र स्माल स्कैल ड्रग मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हिमांशु शाह का कहना है कि सरकार के इस फैसले से नकली दवाइयों के निर्माण पर रोक लगेगी। जब कच्चा माल सही होगा तो दवाइयां भी सही बनेंगी। अवैध कमाई के लिए कई प्रदेशों में दवाइयों के लिए नकली कच्चा माल बनता है। यह माल चोरी-छिपे दवा निर्माण कंपनियों तक पहुंच जाता है। मप्र बैसिक ड्रग डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव जयप्रकाश मूलचंदानी ने बताया कि पश्चिम बंगाल, बिहार, दिल्ली और यूपी सहित कुछ प्रदेशों में दवाइयों के लिए नकली कच्चा माल बनाने की कई छोटी कंपनियां चोरी-छिपे उत्पादन करती हैं। इनका माल बिना बिल के पूरे देश में सप्लाय होता है। क्यूआर कोड व्यवस्था से इन पर अंकुश लगेगा। साथ ही सरकार को हो रहे राजस्व का नुकसान भी बंद होगा।


कंपनी से ट्रेडर्स तक पहुंचने के बीच होता है खेल
फार्मा ट्रेडिंग से जुड़े मनीष वाधवानी ने बताया कि नियमानुसार दवाइयों से जुड़ा किसी भी प्रकार का कच्चा माल खुला नहीं बिकता है। निर्धारित पैकिंग (सील) लगाकर यह माल कंपनी से निकलकर ट्रेडर्स या दवा निर्माता तक पहुंचता है। कंपनी से उत्पादक तक पहुंचने के बीच में ही नकली माल का खेल होता है। क्यूआर कोड होने से माल की पूरी जानकारी मिल सकेगी। इससे सरकार को भी गड़बड़ी करने वालों को पकडऩा आसान होगा।