प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय मुख्यालय राजयोग भवन भोपाल में माउंट आबू से पधारी गीता ज्ञान विशेषज्ञ वरिष्ठ राजयोग प्रशिक्षिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी उषा दीदी जी ने आध्यात्मिक प्रवचन में कर्मों की गुह्य गति स्पष्ट करते हुए बताया कि कैसे मनुष्य आत्माएं वर्तमान संगमगुय में अपने कर्मों के द्वारा सारे कल्प अर्थात 84 जन्मों की प्रालब्ध कैसे बनाती है? उन्होंने बताया कि मनुष्य आत्मा तीन प्रकार के खाते जमा करती है। (1) स्व पुरुषार्थ के द्वारा प्रालब्ध का खाता (2) सेवा द्वारा पुण्य का खाता (3) दुआओं का खाता । आगे उन्होंने तीनों प्रकार के खाते को स्पष्ट किया कि जब हम आत्माएं स्व पुरुषार्थ के द्वारा प्रालब्ध का खाता जमा करते हैं तो यह हमें सतयुग में काम आता है और जब हम पुण्य का खाता जमा करते हैं तो वह हमें द्वापुरयुग में काम आता है एवं जब हम दुआओं का खाता जमा करते हैं तो वह हमें अंतिम पेपर में काम आता है। यह तीनों प्रकार के खाते जमा करना जीवन में बहुत ही उपयोगी है यदि हम तीनों प्रकार के खाते जमा करते हैं तो हमारा जीवन हर प्रकार से धन्य - धन्य हो जाता है। ब्राह्मण जीवन में सबसे ज्यादा दुआओं का खाता जमा करना है।दुआएं जमा करने का आधार है संबंध - संपर्क में आने वाली आत्माओं को परमात्म श्रीमत प्रमाण सुख देना, उनके प्रति रहम का भाव रखना, कमजोर आत्माओं को अपने योगबल से शक्तिशाली बनाना, अपने श्रेष्ठ कर्मा के गुणों का दान देना। अतः मनुष्य आत्माओं को वर्तमान संगमयुग की श्रेष्ठ बेला में उन तीनों प्रकार के खाते को अवश्य जमा करना चाहिए और जो आत्माएं ऐसा कर रही हैं वही वास्तविक आध्यात्मिक पथ की राही है।                                                                                                                                            ब्राह्मणों की विशेष क्लास-कार्यक्रम में लगभग 500 भाई बहनों ने लाभ लिया।