भोपाल । मध्यप्रदेश में नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी को लेकर प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और सत्तारुढ दल भाजपा दोनों ही पीछे नहीं है। दोनों ही दल आदिवासियों को रिझाने की रुपरेखा तैयार कर रहे हैं। कांग्रेस ने पार्टी ने आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले आदिवासियों को एकजुट करने की रूपरेखा तैयार की है। इसमें विचार सम्मेलन कर आदिवासियों को वोट की ताकत का अहसास कराया ही जाएगा। सामाजिक एकता, आरक्षण, रोजगार की गारंटी, जल, जंगल और जमीन के अधिकार पर भी चर्चा होगी। इसके साथ ही कार्यकर्ता घर-घर जाकर आदिवासियों को भाजपा सरकार द्वारा किए गए अन्याय के बारे में बताएंगे प्रदेश में यूं तो 47 विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति और 35 अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं पर इन वर्गों का प्रभाव अनारक्षित सीटों पर भी कम नहीं है। कांग्रेस के नेताओं का दावा है कि 122 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आदिवासी निर्णायक भूमिका में हैं। कमोबेश यही स्थिति अनुसूचित जाति के मतदाताओं को लेकर भी है। यही कारण है कि भाजपा हो या कांग्रेस, दोनों इन वर्गों को साधने में जुटे हैं।प्रदेश कांग्रेस ने अपनी आदिवासी इकाई को सक्रिय करने के साथ आदिवासी विकास परिषद के बैनर तले सक्रियता बढ़ाने का निर्णय लिया है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि जय युवा आदिवासी शक्ति संगठन (जयस) जैसे कई संगठन आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हो गए हैं, जो कांग्रेस पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पिछले चुनाव यानी 2018 में जयस ने कांग्रेस को समर्थन दिया था और मालवा-निमाड़ क्षेत्र में पार्टी प्रत्याशी बड़ी संख्या में जीते थे। यही कारण है कि भाजपा भी सतर्क है और सरकार ने आदिवासियों के हित में कई कदम भी उठाए हैं।आदिवासी परिषद की युवा इकाई के प्रांताध्यक्ष नरेंद्र सिंह सैयाम का कहना है कि स्थानीय स्तर पर आदिवासियों के लिए काम करने वाले कई संगठन चुनाव की दृष्टि से काम कर रहे हैं। आदिवासी वोट का बिखराव हमें नुकसान पहुंचाता है और इसका लाभ भाजपा उठाती है। पार्टी यही काम अभी भी कर रही है।इसे समझाने और वोट की ताकत का अहसास दिलाने के लिए सभी सामाजिक संगठनों को एक मंच पर लाकर उनसे चर्चा करके एक राय बनाने का प्रयास होगा। नौ जून से विचार सम्मेलन की शुरुआत होगी और एक दिन में दो-दो विधानसभा क्षेत्रों में कार्यक्रम किए जाएंगे। मध्य प्रदेश युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन को भी इससे जोड़ा जाएगा। युवा कांग्रेस के प्रांताध्यक्ष डा.विक्रांत भूरिया का कहना है कि हम घर-घर जाकर आदिवासियों के साथ भाजपा सरकार द्वारा किए गए अन्याय और कांग्रेस द्वारा उनके हित में उठाए गए कदमों के बारे में बताएंगे। मालूम हो कि  विधानसभा चुनाव की दहलीज पर खड़े मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस अनुसूचित जाति-जनजाति के मतदाताओं को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। दोनों ही दल जानते हैं कि सत्ता की चाबी इन्हीं वर्गों के हाथ में है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेसा का नियम लागू करके लंबे समय से चली आ रही आदिवासियों को अधिकार संपन्न बनाने की मांग को पूरा किया और इसका व्यापक प्रचार भी किया।