मुंबई । प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ किसानों और व्यापारियों के विरोध के बीच, महाराष्ट्र की शिंदे सरकार में मंत्री दादा भुसे ने दावा किया है कि अगर लोग दो से चार माह तक रसोई के प्रमुख खाद्य पदार्थ का उपभोग नहीं करते हैं, तब इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि, राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री ने कहा कि निर्यात शुल्क लगाने का निर्णय उचित समन्वय के साथ लिया जाना चाहिए था। सरकार ने कीमत वृद्धि पर अंकुश लगाने और घरेलू बाजार में आपूर्ति में सुधार के लिए प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत शुल्क लगाया है।
दरअसल मोदी सरकार ने प्याज की कीमत में वृद्धि के संकेत के बीच आगामी सीजन के मद्देनजर उसकी घरेलू उपलब्धता बढ़ाने की खातिर उसके निर्यात पर 19 अगस्त को 40 फीसद निर्यात शुल्क लगा दिया। शिंदे सरकार में मंत्री भूसे ने कहा, ‘‘जब आप 10 लाख रुपये से अधिक की गाड़ी का इस्तेमाल करते हैं, तब आप खुदरा दर से 10 से 20 रुपये ऊंची कीमत पर प्याज भी खरीद सकते हैं। जो लोग प्याज नहीं खरीद सकते, यदि वे दो-चार महीने प्याज नहीं खाते, तब कुछ बिगड़ नहीं जायेगा।
उन्होंने कहा कि निर्यात शुल्क लगाने का निर्णय उचित समन्वय के साथ लिया जाना चाहिए था। भुसे ने कहा, कभी-कभी प्याज की कीमत 200 रुपये प्रति क्विंटल होती है जबकि कभी-कभी इसकी कीमत 2,000 रुपये प्रति क्विंटल होती है। चर्चा की जा सकती है और एक सौहार्दपूर्ण समाधान निकाला जा सकता है। इसके पहले व्यापारियों ने लासलगांव सहित नासिक में सभी कृषि उपज बाजार समितियों (एपीएमसी) में प्याज की नीलामी अनिश्चित काल के लिए बंद करने का फैसला किया, जो भारत में सबसे बड़ा थोक प्याज बाजार है। सूत्रों ने बताया कि नासिक जिला प्याज व्यापारी संघ ने केंद्र द्वारा अपना फैसला वापस लेने तक अनिश्चित काल तक प्याज की नीलामी में हिस्सा नहीं लेने का आह्वान किया था। कई किसानों और व्यापारियों ने निर्यात शुल्क वापस लेने की मांग को लेकर जिले भर में विरोध प्रदर्शन किया।