आदिवासी अंचल से संबंध रखने वाले वन मंत्री नागर सिंह चौहान ने किया मंत्री बनने के बाद पहली बार पत्रकारों को संबोधित और दी 24 जनवरी 2024 के वन मेला उद्घाटन समारोह एवं कार्यक्रम की जानकारी।संवाददाताओ द्वारा कुनो में नन्हे चीता शावकों के जन्म के सवाल पर प्रदेश के वन मंत्री ने जहां खुशी व्यक्त की और प्रदेश के लिए यह सौभाग्य की बात है कहां वही कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत के कारणों से जुड़े संवाददाताओं के एक सवाल पर मंत्री जी भावुक हो गए और उन्होंने अपना दुःख व्यक्त करते हुए कहां की एक दिन तो सभी को मारना है मौत तो सभी की आती है साथ ही संवाददाताओं से बात करते हूए यह भी कहां कि वे अपनी ओर से चीतों की मौत की जांच कराएंगे और जांच में किसी भी प्रकार की लापरवाही सामने आती है तो संबंधित अधिकारी पर कार्यवाही भी करेंगे।मंत्री नागर ने इस बात से भी अवगत कराया कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा कुनो में शुरू किया गया अभिनव प्रकल्प चीता प्रोजेक्ट सफल हो रहा है। यह प्रदेश के लिए सौभाग्य की बात है। कुनो में मादा चीता ज्वाला ने 3 नन्हे चीता शावकों को जन्म दिया है। प्रदेश में चीता प्रजाति के प्राणियों की संख्या अब 21 हो गई है। संवाददाताओं से अच्छे लोगों को बुलाने के जवाब में उन्होंने कहा कि अच्छे लोगों को बुलाने से मेरा तात्पर्य उन लोगों से है जो जड़ी बूटियों और आदिवासी संग्रहकर्ताओं और समिति प्रबंधकों को लघु वनोपज से निर्मित उत्पादों एवं उद्यमीकरण की जानकारी प्रदान कर सकें।                                                                                                                                                                                                          मंत्री नागर ने कहा कि मध्य प्रदेश के लगभग 1 लाख वर्ग किलो मीटर में फैले वन विभिन्न प्रकार की जनजाति समुदाय के लिए रोज़गार एवं जीवनयापन का स्रोत हैं। वनों में सन्निहित कई लघु वनोपज इन जनजाति समुदाय के लिए संपदा के समान हैं। यह कहना भी अतिश्योत्कि नहीं होगी कि वन तथा वनोपज जन जातीय समुदाय के अस्मिता का प्रतीक हैं। विश्व स्तर पर वृद्धि की और अग्रसर आयुर्वेद की लोकप्रियता का प्राचीनतम आधार हमारे वनों में पाई जाने वाली ओषधिय जड़ी बूटियाँ ही हैं। पिछले दशकों में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार व जैविक एवं हर्बल उत्पादों के उपयोग में वृद्धि होने से वनोपज उत्पादों की मांग में भी वृद्धि हो रही है। प्रदेश के वनों में प्रचुर मात्रा गें उपलब्ध लघु वनोपज जड़ी-बूटियां वनवासियों एवं ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति का प्रमुख साधन बन गई है।                                                                                                                                                                                    एसीएस वन जेएन कंसोटिया ने बताया मध्य प्रदेश शासन वन विभाग एवं म.प्र. राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास) सहकारी संघ मर्यादित द्वारा वन मेला का आयोजन वर्ष 2001 से प्रदेश स्तरीय मेले के रूप में आरंभ किया गया। वर्ष 2011 से मेले का अंतर्राष्ट्रीय विस्तार हुआ, तभी से यह वर्ष 2018 व 2020 को छोड़ प्रत्येक वर्ष के दिसम्बर माह में मेले का आयोजित किया जा रहा हैं। वन मेले के आयोजन का प्रादेशिक से राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय से अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक का विस्तार लघु वनोपज के वैभव एवं संपन्नता, ग्रामीण आजीविका एवं निर्भरता को प्रदर्शित करता हैं।                                                                                                                                                                                                विगत वर्ष आचार संहिता के कारण दिसंबर माह में मेले का आयोजन नहीं किया जा सका, परंतु वन मेले की परंपरा को अनवरत रखने के उद्देश्य से इस बार जनवरी 2024 में मेले का आयोजन भोपाल हाट, अरेरा हिल्स, भोपाल में किया जा रहा है। वन मेला एक ऐसा माध्यम हैं जिसके द्वारा मध्यप्रदेश की अत्यंत समृद्ध जैव विविधता की झलक देखने को मिलती है। साथ ही वनोपज संग्राहकों के जीवन में हो रहे गुणवत्तापूर्ण सुधार व वनोपज आधारित प्रसंस्करण तकनीक एवं अनुसंधान, साथ ही व्यावसायिक आयाम की जानकारी भी आमजनो को प्राप्त होती है। प्रसंस्करण की विभिन्न विधियां अपनाकर ग्रामीणों की आय में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है। मेले में प्रदेश के वनवासियों एवं लघु वनोपज संग्राहकों की आजीविका में हुई गुणात्मक वृद्धि के लिये राज्य शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं का अभिनव प्रयास भी देखने को मिलता हैं।                                                                                                                                                                                                                                                                                                                  लघु वनोपज संघ के एमडी विभाष कुमार ठाकुर ने बताया कि इस मेले में विक्रय हेतु 120 स्टॉल स्थापित किए जा रहे है जिसमें मध्यप्रदेश के 19 वनधन केंद्र एवं 55 जिला यूनियन के स्टॉल मुख्य रूप से रहेगे, साथ ही उत्तरप्रदेश व छतीसगढ़ के हर्बल उत्पाद का भी प्रतिनिधित्व अपेक्षित हैं। फूड ज़ोन में मध्य प्रदेश के पारंपरिक व्यंजनो के साथ साथ श्रीअन्न से निर्मित विभिन्न व्यंजनो के भी स्टॉल लगाए जाएगे। मेले में विभिन्न शासकीय विभागों जैसे Eco tourism, Bio-Diversity Board, बांस मिशन व वन्यप्राणी आदि की गतिविधियों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। चिकित्सा परामर्श मेले में परामर्श हेतु ओपीडी के 20 स्टॉल स्थापित किए जा रहे है, जिसमें 40 आयुर्वेदिक वैद्यों एवं चिकित्सकों द्वारा निशुल्क परामर्श भी प्रदान किया जाएगा, कार्यशाला मेले मे दिनांक 25 जनवरी को "लघुवानोपज से समृद्धि" विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा, जिसमें विभिन्न विषय प्रमुखों द्वारा आदिवासी संग्रहकर्ताओं और समिति प्रबन्धको को लघु वनोपज से निर्मित उत्पादों के मूल्य संवर्धनए प्रसंस्करण, ब्रांडिंग और विपणन द्वारा जनजातीय उद्यमीकरण हेतु महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की जाएगी, क्रेता विक्रेता सम्मेलन - लघु वनोपज संग्राहकों, उत्पादकों एवं वनोपज समितियों को; जड़ी बूटियों, हर्बल उत्पाद तथा आयुर्वेदिक के व्यवसाय से जुडे विभिन्न निर्माता, विभिन्न मंडियों के लघु वनोपज के व्यापारियों, उत्पादकए प्रसंस्करण कर्ताओं के प्रतिनिधि के साथ एक मंच पर सीधे वार्तालाप एवं बाजार के अवसरों को खोजने के उद्देश्य से लघु वनोपज संघ के द्वारा दिनांक 27 जनवरी को क्रेता-विक्रेता सम्मलेन का आयोजन किया जाएगा। सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम वन मेले में सांस्कृतिक एवं रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा, इसी के अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों के छात्र- छात्राओं के द्वारा चित्रकला, इंस्ट्रुमेंटल म्यूजिक, सोलो और ग्रुप गायन, नृत्य (सोलो और ग्रुप), फेंसी ड्रेस एवं अन्य प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाएगा। संध्या कार्यक्रम में विभिन्न म्यूज़िकल ग्रुप द्वारा अपनी प्रस्तुति भी दी जाएगी। मेले का समापन समारोह दिनांक 28 जनवरी 2024 को सांय 5 बजे निर्धारित किया गया है।                                                                                                                                                                                                                                                             बीके इंजी नरेश बाथम

न्यूज़ सोर्स : mp1news Bhopal