आशियाने की आस में गुजर रहे बुढ़ापे के दिन, अभी तक नहीं बन सका मकान
शहडोल । भूमिहीन बैगा आदिवासी वृद्धा को उम्र के अंतिम पड़ाव में पीएम आवास योजना की मंजूरी मिल तो गई, लेकिन भूमिहीन होने की श्रेणी के कारण उसके आशियाने के बनने में अब भी दिक्कत आ रही है। क्योंकि हितग्राही को शासकीय भूमि का आवंटन किया जाना है, जिसकी प्रक्रिया अभी कछुए की चाल में है। जनपद पंचायत सोहागपुर के ग्राम उधिया निवासी घिसट-घिसटकर चलने वाली आदिवासी दिव्यांग वृद्ध महिला जरही बैगा के साथ। उसकी यह स्थिति शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन की जमीनी हकीकत की पोल खोलने वाली है। उसकी उम्र 79 वर्ष की हो चुकी है। पैरों से 90 प्रतिशत दिव्यांग है। उसके पति बुद्धू बैगा की मृत्यु 10 वर्ष पहले हो चुकी है। वर्तमान में वह जिस झोपड़ी में रहती है वह भाई के नाम की है। आवास योजना के लिए वह कई वर्षों से प्रयास कर रही है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। हाल ही में पीएम जनमन योजना के तहत कराए गए सर्वे के दौरान उसे आवास मंजूर हुआ और पहली किश्त खाते में पहुंच चुकी है। लेकिन भूमि नहीं है, जहां आवास बन सके। जबकि गांव में शासकीय जमीन की कमी नहीं है।
प्रशासन द्वारा रुचि नहीं दिखाई जा रही
पंचायत सचिव मनोज सिंह ने बताया कि जरही बैगा के आवास के लिए शासकीय जमीन राजस्व विभाग को उपलब्ध कराना है। इसके लिए हल्का पटवारी को पत्र दिया जा चुका है। पटवारी तनूजा सराफ से बात की गई, उन्होंने बताया कि रिकार्ड देखकर अवगत कराया जाएगा कि महिला का आवास कहां बनाया जाए। कुल मिलाकर वृद्ध आदिवासी महिला की मदद के लिए प्रशासन द्वारा रुचि नहीं दिखाई जा रही है। उसने बताया कि इतने सालों बाद आवास मंजूर हुआ है, तो उसकी इच्छा है कि अंतिम समय पर तो अपना खुद का घर बन जाए, लेकिन सरकारी काम की कछुआ चाल से उसके आशियाने बनने में ग्रहण सा लगा हुआ है।