चैतन्य महालक्ष्मी जी लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं ।इस दीपावली स्वयं के अंदर लक्ष्मी के यथार्थ अर्थ को धारण कर अपने  जीवन में सुख, शांति, संपन्नता का आह्वान करें,अज्ञान अंधकार में भटकते मनुष्य को ज्ञान दीप की अवश्यकता।प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के स्थानीय सेवा केंद्र सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर, नीलबड़, भोपाल में दीपोत्सव उमंग उल्लास के साथ मनाया गया। जिसमें शहर के विशिष्ट लोग सम्मिलित हुए। जिसमें मुख्यरूप से पुरुषोत्तम धीमान (PCCF), प्रोफेसर सुब्रतो रॉय (Dean academic NTTTR), राजकुमार माहेश्वरी, पुरुषोत्तम रूपचंदानी सम्मिलित हुए। सुखशांति भवन की निदेशिका आदरणीय राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी नीता दीदी जी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि कार्तिक मास की अमावस्या के गहन अंधकार में प्रकाश पर्व दीपावली मनाने का स्पष्ट संदेश है कि, काम, क्रोध ,लोभ,मोह एवं अहंकार के अज्ञानता रूपी अंधकार में भटकते मनुष्य को ज्ञान के प्रकाश की आवश्यकता है। साफ सफाई का रहस्य मन, वचन ,कर्म की पवित्रता है। वहीं नया खाता आरंभ करने का अर्थ है अपने पुराने विकारों का खाता परमात्मा की याद से खत्म कर नए सुखमय जीवन का आरंभ करना। विचारणीय है कि यदि माता लक्ष्मी को स्वच्छता अति प्रिय है और इसीलिए वह हमारे पास आती हैं तो क्यों न हम मन, वचन, कर्म की स्वक्षता एवं पवित्रता सदा के लिए धारण कर लें, जिससे माता लक्ष्मी की सदा हम पर कृपा बनी रहे। इस दीपावली पर हम मन वचन और कर्म की पवित्रता का व्रत लेकर संपूर्ण विश्व में सदभावना ,शुभकामना एवं सद्ज्ञान का प्रकाश फैलाने का संकल्प कर सच्ची दिवाली मनायें। दीपावली सदा जागती ज्योति परमपिता परमात्मा ज्योर्तिलिंगम शिव द्वारा आत्माओं की ज्योति प्रज्वलित कर विश्व परिवर्तन के कार्य का यादगार पर्व है। ब्रह्माकुमारी बीके नीता दीदी ने कहा कि दीपावली पर घरों की सफाई करते हैं, दीपक जलाते हैं,माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं, नया खाता शुरू करते हैं। निश्चित रूप से इन सभी परंपराओं एवं प्रथाओं के पीछे एक सुंदर आध्यात्मिक रहस्य छुपा हैl  दीपक जलाने का अर्थ है परम ज्योति पिता परमात्मा शिव से आत्मा रूपी दीपक को सदा के लिए ज्योतिर्मय कर लेना जिसके पावन प्रकाश से संपूर्ण विश्व आलोकित हो जाये। बुराई पर अच्छाई की जीत एवं अंधेरे पर प्रकाश की जीत का पर्व ही दीपावली है। 
                                                                                                                                                                दीपावली के आध्यात्मिक रहस्य पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ राजयोगी भ्राता रामकुमार जी ने कहा कि इस पर्व के हर एक रीति रिवाज के पीछे छिपे आध्यात्मिक रहस्य को गहराई से जानें तथा अपने जीवन को एक नई सोच और नई दिशा दें। इस दीपावली, स्वयं के अंदर लक्ष्मी के यथार्थ अर्थ को धारण कर अपने  जीवन में सुख, शांति, संपन्नता का आह्वान करें स्वास्तिक का सही आध्यात्मिक अर्थ है स्व अस्तित्व, जो कि शुभ आत्मा की यात्रा को दर्शाता है। नए साल पर नए युग के आगमन का शुभारंभ करें, अपने यथार्थ अस्तित्व को जानकर परमपिता परमात्मा से जुड़कर निज आत्मा का दीपक जगाएं और हर एक को स्नेह भरी शुभकामनाओं और शुभभावनाओं रूपी अमूल्य गिफ्ट दें। साथ ही दीपावली पर स्वादिष्ट “दिलखुश मिठाई” की मिठास स्वयं भी चखें और औरों में भी बांटे। भाईदूज के तिलक के महत्व को जानकर सदा ही अपनी आत्मिक स्मृति का तिलक हर दिन अपने मस्तक पर सजाएं। इसके साथ ही दीपावली पर हर साल हम नई चीजों की खरीदारी करते आए हैं। इस बार उन चीजों के साथ साथ नए संस्कार भी अपने जीवन में धारण कर नवीनता लाएं जिससे  मन में और जीवन में खुशहाली छा जाए। 
                                                                                                                                                                    मिट्टी का दिया माना मिट्टी का शरीर और उसमें आत्मारूपी बाती को जलाने के लिए घी या तेल के रूप में परमात्मा का ज्ञान चाहिए, जिससे वो आत्मा हमेशा जागृत रहेगी और अपने प्यार, शांति और खुशी के ओरिजिनल संस्कारो से अपने आस पास की आत्माओं को भी जागृत कर देगी। हम सभी अपने रिश्तों से बहुत सारी अपेक्षाएं अथवा एक्सपेक्टेशन रखते हैं जैसेकि; प्यार चाहिए, सम्मान चाहिए, शांति चाहिए, विश्वास चाहिए, आशाएँ पूरी होनी चाहिए, हर रिश्ते में हर किसी को कुछ ना कुछ चाहिए, लेकिन हम कभी भी देने की बात नहीं सोचते, तो अगर हर किसी को हर किसी से कुछ न कुछ चाहिए तो हम सभी लेने वालों की लाइन में खड़े हैं जिसमे कभी मिलेगा और कभी नहीं मिलेगा, इसलिए सबसे जरूरी बात है कि, हमें दूसरों पर डिपेंडेंट नहीं रहना है। और इसके लिए हर एक घर में एक दिया (देने वाला) चाहिए जो सबको देने वाला हो । मिठाई का यथार्थ अर्थ है मीठे बोल। वह बोल जिनमे सुख, सम्मान और स्नेह की मिठास हो। दीपावली पर घर की  सफाई के साथ यदि हम अपने मन व बुद्धि की भी गहराई से सफाई करें तो हममें सबके प्रति श्रेष्ठ भावना व श्रेष्ठ कामना जग सकती है। आइये इस दिवाली हम एक-दूसरे को दिल का सच्चा निस्वार्थ स्नेह  गिफ्ट में दें, जिसकी लोगों को आज जरूरत है। और अंततः यह सब अपने जीवन में धारण करने से ही एक सुखी एवं स्वच्छ समाज की कल्पना साकार हो सकती है।दीपावली उत्सव में सभी भाई-बहनों ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्जवलित कर दीपावली मनाई। सभी को बहनों ने तिलक लगाया और दीपावली की बधाई दी। बीके  पूनम बहन ने सभी उपस्थित लोगों को राजयोग ध्यान की गहन अनुभूति कराई। कार्यक्रम में चैतन्य महालक्ष्मी जी लोगों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं ।                                                                                                                                                                                                                             बीके इंजी नरेश बाथम

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