भोपाल 21दिसम्बर/ विश्व को शांति और सद्भावना की ओर ले जाने का कदम है ध्यान दिवस बीके नीता दीदी

राजयोग मेडिटेशन कर मनाया विश्व ध्यान दिवस,140 देशों के छह हजार सेवाकेंद्रों पर हुए योग कार्यक्रम,अंतर्राष्ट्रीय ध्यान दिवस के अवसर पर भोपाल उत्सव मेले में ब्रह्माकुमारीज द्वारा निःशुल्क ध्यान कार्यक्रम का आयोजन,भारत को विश्व गुरु बनाने की दिशा में एक सशक्त कदम: ध्यान,सभी समस्याओं का एकमात्र उपाय: भारत का प्राचीन राजयोग ध्यान।
उक्त कार्यक्रम का आयोजन भोपाल उत्सव मेला समिति, संस्कृति विभाग मध्य प्रदेश शासन तथा ब्रह्माकुमारीज सुख शांति भवन नीलबड़ भोपाल, मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर के संयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क आयोजित किया गया।वरिष्ठ राजयोगी भ्राता राम कुमार जी ने सर्वप्रथम भारत के प्राचीनतम राजयोग ध्यान के वैज्ञानि पक्ष को स्पष्ट करते हुए बताया कि राजयोग ध्यान के अंतर्गत विचारों का बहुत महत्व है। हमारा प्रत्येक संकल्प एक प्रकंपन है और हमसे चारों ओर पूरे विश्व तथा ब्रह्मांड तक पहुंचता है एवं हमारे भाग्य का भी निर्माण करता है । विचार ही भाग्य बनाने की इकाई है हमारे मन के विचार दूसरों तक पहुंच जाते हैं जिसको वैज्ञानिकों ने " टेलीपैथी " नाम दिया है, ठीक उसी प्रकार हमारे विचार उस परम आत्मा तक भी पहुंच सकते हैं जिसको ही योग अथवा ध्यान कहा जाता है क्योंकि योग अर्थात जोड़ना, जिसमें सदैव दो या दो से अधिक की आवश्यकता होती है। अतः सच्चे अर्थों में आत्मा का परमात्मा से जुड़ाव को ही सच्चा योग अथवा ध्यान कहा जाता है। यह ध्यान की विधि समझने के पश्चात ब्रह्माकुमारी बहनों द्वारा कमेंट्री के साथ ध्यान कराया गया, इस श्रृंखला में सर्वप्रथम अपनी आंतरिक चेतना को जागृत कर, स्वयं के सत्य स्वरूप में स्थित हो आंतरिक शांति एवं पवित्रता की अनुभूति की गई। तत्पश्चात् अपने परिवार जनों एवं समाज के लिए शुभ संकल्प किए गए कि सारा ही विश्व एक पिता परमात्मा की संतान है तथा आपस में भाई भाई है। आगे सभी ने मिलकर संपूर्ण विश्व की शांति के लिए सकारात्मक प्रकंपन फैलाए साथ ही प्रकृति के पांचों तत्वों के प्रति भी सभी ने एक साथ ध्यान कर शुभभावना एवं शुभकामना के प्रकंपन फैलाए गए। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में राजयोगी भाई बहनों ने हिसा लिया। तथा अन्य विशिष्ट लोगों ने भी इसका लाभ लिया जिसमें मुख्य रूप से राजयोगिनी नीता दीदी जी डॉयरेक्टर सुख शांति भवन, श्री अजय सोगानी (महामंत्री, भोपाल उत्सव मेला), श्री महेश साहू जी (एडवोकेट)* भ्राता राजेश शाहू, भ्राता सुरेश गुप्ता, भ्राता राकेश श्रीवास्तव, आदि भी शामिल थे।
राजयोगिनी नीता दीदी ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान का मुख्य आधार ही योग है। संस्थान द्वारा स्थापना के समय से ही विश्वभर में योग का संदेश दिया जा रहा है। राजयोग मेडिटेशन का कमाल है कि आज लाखों लोग इसे अपनाकर जीवन जीने की कला सीखे हैं। मेडिटेशन की ताकत से हम विश्वगुरु बनकर पूरे विश्व का नेतृत्व कर सकते हैं। प्रकृति और विश्व की परिस्थितियां हमें इशारा दे रही हैं कि हमें अपनी योग की शक्ति को बढ़ाने की जरूरत है। विश्व ध्यान दिवस हमारे योग के पुरुषार्थ को बढ़ाने के लिए एक अच्छी पहल है।आज हम सबके लिए खुशी, आनंद और उत्सव का दिवस है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने योग के महत्व को समझते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने की घोषणा की है। योग ही परम औषधी, ताकत, एनर्जी और ऊर्जा है। ध्यान दिवस को लागू करने के लिए विश्वभर की संस्थाओं ने प्रस्ताव रखा। इसमें खासकर भारत ने योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा।विश्व को शांति की ओर ले जाने वाला फैसला: आज विश्व को सबसे ज्यादा शांति की आवश्यकता है। जितने शांति, सद्भावना के प्रकंपन्न प्रवाहित करेंगे तो हर एक आत्मा को शांति की महसूसता होगी। ध्यान ही वह माध्यम है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाएगा। ध्यान ही वह विधि है जिससे हम अपने मन में एकाग्रता को हासिल कर सकते हैं।
श्रीमद भागवत गीता के छठें अध्यात्म में ध्यान की विधि को बहुत ही स्पष्ट रीति से बताया गया है कि हे! अर्जुन आत्मा स्वयं का शत्रु और स्वयं का मित्र है। जब नकारात्मक के प्रभाव में आकर हम यह भूल जाते हैं कि मैं चैतन्य शक्ति एक आत्मा हूं तो वह नकारात्मकता का प्रभाव में आ जाता है। मैं आत्मा परमधाम की निवासी हूं। मैं आत्मा चैतन्य शक्ति हूं और मैं सुख, शांति, पवित्रता से भरपूर हूं। यह मेरे निजी गुण हैं। जब हमें इन बातों का ध्यान रहता है तो आत्मा, मन सकारात्मकता से भर जाती है। आबू रोड, ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान के मुख्यालय शांतिवन में शनिवार को कॉन्फ्रेंस हॉल में विश्व ध्यान दिवस मनाया गया।ब्रह्माकुमारीज़ के विश्वभर के 140 देशों में स्थित सेवाकेंद्रों छह हजार से अधिक सेवाकेंद्रों पर ध्यान दिवस मनाया गया। इसमें सामूहिक रूप से योगाभ्यास, राजयोग अनुभूति का अभ्यास कर लोगों को ध्यान का संदेश दिया गया। बीके इंजी नरेश बाथम