राष्ट्रीय किसान दिवस की पूर्व संध्या पर किसानों हेतु कार्यक्रम,हमें फिर से प्राकृतिक शाश्वत ऋषि-कृषि परंपरा की ओर लौटना होगा राजयोगिनी नीता दीदी,ब्रह्माकुमारीज़ द्वारा आयोजित किया गया किसानों का सेमिनार, किसानों को किया जागरूक बताए गए शाश्वत यौगिक खेती के लाभ,आत्मनिर्भर किसान, देश की शान है,वह त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है।भारत को उन्नतिशील और सबल राष्ट्र बनाना है तो पहले किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना होगा।"  किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करता हैं तब ही भोजन हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद ज़रूरी है।किसान  देश की  रीढ़ की हड्डी होते है, जिसके चारों तरफ देश की अर्थव्यवस्था घूमती है। इसलिए जब हम एक सशक्त किसान बन आत्मनिर्भर बने, तभी भारत देश विकसित हो सकता है" यह उदगार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय सुख शांति भवन मेडिटेशन रिट्रीट सेंटर की निदेशिका राजयोगिनी नीता दीदी जी ने राष्ट्रीय किसान दिवस के उपलक्ष में आयोजित किसान सम्मान समारोह में व्यक्त किए। ब्रह्माकुमार भ्राता नीरज ने कार्यक्रम का उद्देश्य स्पष्ट करते हुए कहा कि भारत की ऋषि कृषि परंपरा सर्वाधिक प्राचीन और सारे विश्व के लिए अनुकरणीय रही है एक समय था जब संपूर्ण विश्व की कृषि उपज का आधा हिस्सा केवल भारत में ही पैदा होता था देश की 85% से अधिक आबादी केवल कृषि कार्य में संलग्न थी। भारत कृषि उत्पादों के निर्यात का सबसे बड़ा केंद्र था। निर्यात के बदले हम विदेशों से सोना लेते थे मुख्य रूप से खेती की उपज के निर्यात के कारण ही भारत में सोने का अपार भंडार था। यह स्थिति 18वीं शताब्दी तक कायम रही उस समय विश्व की शक्ल घरेलू उत्पाद में भारत का हिस्सा 40% से अधिक था, जो 1947 तक घटकर मात्र तीन प्रतिशत रह गया। पहले हमारे आय का प्रमुख स्रोत कृषि ही थी जिस पर पश्चिमी संस्कृति का प्रभाव पड़ने के कारण मूल ढांचा आजादी के समय तक तहस नहस हो चुका था । सारे विश्व का पेट भरने वाला भारत स्वयं भुखमरी के कगार पर था।आजादी के बाद हरित क्रांति का नारा देते हुए हमारे वैज्ञानिकों नीति निर्धारको तथा किसानों के संयुक्त प्रयास से रासायनिक खेती आरंभ की गई, जिसके परिणाम स्वरुप खाद्यान्न के उत्पादन में भारत न केवल आत्मनिर्भर हुआ बल्कि अनाज का इतना उत्पादन हो रहा है जो उसके भंडारण के लिए भंडारा घर भी कम पड़ रहे हैं। परंतु दूसरी ओर पिछले 50 वर्षों में रासायनिक खेती ने मानव का स्वास्थ्य , जीव जगत, पर्यावरण तथा मृदा स्वास्थ्य को जो गंभीर क्षति पहुंचाई है उसके भयानक दुष्प्रभावों ने हमें अपने अस्तित्व की रक्षा हेतु नए सिरे से सोचने के लिए विवश किया है। आज यह महसूस किया जा रहा है कि हमें फिर से उस प्राकृतिक शाश्वत ऋषि कृषि परंपरा की ओर लौटना होगा जो युगों युगों से जांची परखी होने के साथ ही स्वर्णिम भारत का आधार थी।

कार्यक्रम का शुभारंभ पुरुषोत्तम धीमान (प्रधान मुख्य वन संरक्षक), मस्तान मारण (किसान नेता),  घनश्याम दास (सरपंच), राजेश (सरपंच), राजयोगिनी नीता दीदी, राजयोगी भ्राता रामकुमार, बी के नीरज एवं अन्य किसान भाइयों  ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। आदरणीय नीता दीदी जी  ने कहा आज किसान खेती बाड़ी करता है अगर आप अपनी खेती को शुद्ध श्रेष्ठ संकल्प के साथ परमात्मा स्मृति में रहकर करें तो पैदावार तो अच्छी होगी ही साथ साथ शुद्ध विचार से उगाया गया खाने वाले की मन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। उन्होंने उपस्थित किसान भाइयों बहनों को स्व स्मृति व परमात्म चिंतन के साथ सकारात्मक चिंतन से शास्वत यौगिक खेती करने के लिए कहा उन्होंने विशेष बल दिया कि हम जहर मुक्त खेती करके भारत देश को पुनः विश्वगुरु बनाएं इस अवसर पर शाश्वत जैविक खेती करने वाले किसानों का सम्मान किया गया। साथ ही स्वयं अपना व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा कि सुख शांति भवन रिट्रीट सेंटर में जितनी भी हरियाली है यह सभी पौधे बिना खाद बिना किसी कीटनाशकों के ही इतनी सुंदर रूप से इस रिट्रीट सेंटर की शोभा बढ़ा रहे हैं यहां पर योग के जो प्रकंपन है उनसे तथा जब इनमें पानी डालते हैं तभी पौधों से भी जैसे मिलते हैं उनसे बातें करते हैं तो यह पौधे भी जैसे खिल उठते हैं ऐसा महसूस होता है और वास्तव में यदि हम अपने मन को अच्छा बनाएं और अपना नाता उसे सर्वशक्तिमान परमपिता परमात्मा से जोड़े तो स्वत ही प्रकृति पर इसका असर होता है और वह फलती और फूलती है।

सरपंच घनश्याम पाटीदार जी ने मुक्त कंठ से ब्रह्माकुमारी संस्था की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह ऐसी पहली संस्था है जो किसानों पर ध्यान देती है, उनके हित में कार्य करती है। साथ ही कहा कि बहने ही अपनी त्याग तपस्या और शुद्ध संकल्प से हमारे गांव समाज व देश को और देश के कर्णधार किसानों को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाएंगे। प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटिव ऑफ़ फारेस्ट श्री पुरुषोत्तम धीमान जी ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी के जन्मदिन को राष्ट्रीय किसान दिवस की रुप मे मनाना किसानों के लिए गौरव की बात कही,  वह वास्तव में सच्चे किसान हितैषी थे। उन्होंने किसानों को जैविक खेती करने पर बल दिया, उन्होंने कहा कि भविष्य जैविक खेती में निहित है। साथी प्रेजेंटेशन के माध्यम से किसानों को सरकार के बांस मिशन के बारे में भी अवगत कराया, जिसके अंतर्गत प्रत्येक बांस का पौधा लगाने पर 6 महीने बाद 120 रुपए की सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जाएगी इसी प्रकार कैश क्रॉप आदि विषयों पर भी विस्तृत चर्चा की।

इस अवसर पर वरिष्ठ राजयोगी की भ्राता रामकुमार ने यौगिक खेती पर विस्तार से चर्चा की और अपने अनुभवों के द्वारा किसानों को बताया कि हमारा भविष्य यौगिक खेती में ही निहित है।योग के प्रभाव से तत्वों को ज्यादा उपजाऊ बनाया जा सकता है, इसके कई प्रमाण हैं।इसी उद्धेश्य से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक आध्यात्मिक खेती पद्धति को विकसित किया गया है जिसे शाश्वत यौगिक खेती योजना का रूप दिया गया है जिसमें किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भारत की ऋषि-कृषि परम्परा को पुन:स्थापित करने का क्रान्तिकारी कदम है। इसमें परम्परागत जैविक खेती के साथ राजयोग का समावेश किया गया है। यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें मन को परमात्मा से जोड़कर राजयोग की शक्ति का प्रयोग न केवल मनुष्यात्माओं पर बल्कि जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों पर करते हुए सम्पूर्ण प्रकृति को चैतन्य ऊर्जा के प्रकम्पनों से चार्ज किया जाता है। इस प्रकार धरती की उर्वराशक्ति पुनःस्थापित करके शुद्ध, सात्विक, पौष्टिक अनाज, फल तथा सब्जियों का उत्पादन किया जाता है।यौगिक खेती पद्धति जीवन जीने की कला सिखाती है, जिसमें अनेकों किसानों ने अपना जीवन परिवर्तन किया है। इससे उन्होंने व्यसनों, बुरे संस्कारों, सामाजिक कुरीतियों तथा कर्ज मुक्त होकर फिर से अपना खोया हुआ आत्म सम्मान प्राप्त किया है। इस योजना के माध्यम से अन्न व मन की शुद्धता, श्रेष्ठ सुखमय समाज का निर्माण संभव है। इससे हमारा भारत फिर से स्वर्णिम बनेगा। इस मुहीम से जुड़कर हजारों किसान अपने जीवन को सफल सार्थक बना रहे हैं। आपने बताया संस्था के मुख्यालय माउंट आबू में 100 एकड़ से भी अधिक जमीन पर शाश्वत यौगिक खेती का मॉडल तैयार किया गया है। साथ ही सभी को राजयोग मेडिटेशन का महत्व बताते हुए कहा कि हम अपनी खेती बाड़ी में भी मेडिटेशन का प्रयोग कर अपने अन्न को शुद्ध बना सकते हैं और शुद्ध अन्न से ही शुद्ध मन बनेगा और तभी हम एक श्रेष्ठ और शुद्ध समाज की कल्पना कर सकते हैं। जिसके पश्चात  ब्रह्माकुमारी हेमा बहन ने सभी को सहज राजयोग ध्यान अभ्यास भी कराया ।इस अवसर पर ब्रह्माकुमारीज द्वारा सभी  किसानों को सम्मानित किया गया तथा ईश्वरीय प्रसाद एवं स्लोगन भी भेंट किया गये। कार्यक्रम के अंत में सभी किसान भाइयों से नशा मुक्ति की प्रतिज्ञाएं भी कराई गई तथा सभी ने ब्रह्मा भोजन स्वीकार कर प्रस्थान किया।                                                                                                                                                                                                                                                       बीके इंजी नरेश बाथम

न्यूज़ सोर्स : mp1news Bhopal