भोपाल 11अप्रैल/गौ संरक्षण एवं गौ संवर्धन की दिशा में प्रदेश सरकार ने उठाया महत्वपूर्ण कदम मंत्री पटेल

प्रदेश में निराश्रित गौ-वंश के पालन के लिए निजी भागीदार से होगा वृहद गौ-शालाओं का निर्माण।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में प्रदेश में निराश्रित गौ-वंश के पालन के लिए निजी भागीदार से वृहद गौ-शालाओं के निर्माण की योजना बनाई गई है। साथ ही पशुपालन एवं डेयरी गतिविधियों को बढ़ावा देकर रोजगार के नवीन अवसर बढ़ाने, उत्पादकता बढाने और किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। इसी उद्देश्य से राज्य मंत्रि-परिषद द्वारा "मध्यप्रदेश राज्य में स्वावलंबी गौ-शालाओं की स्थापना नीति-2025" स्वीकृति दी गई है। गौ-शालाओं को पशु चारे और आहार के लिए दी जाने वाली अनुदान राशि को भी 20 रुपये प्रति गौवंश प्रति दिवस से बढ़ाकर 40 रूपये प्रति गौवंश प्रति दिवस किये जाने का निर्णय लिया गया है।
पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री लखन पटेल ने कहा है कि प्रदेश में गौ- संवर्धन और गौ-संरक्षण की दिशा में ये महत्वपूर्ण कदम होंगे। निजी भागीदारी से स्वावलंबी वृहद गौ-शालाओं के निर्माण से निराश्रित गौ-वंश का समुचित पालन-पोषण हो सकेगा।
"मध्यप्रदेश राज्य में स्वावलंबी गौ-शालाओं की स्थापना नीति-2025" के अंतर्गत पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा निजी पूंजी निवेशकों को निराश्रित गोवंश के प्रबंधन एवं उससे संबंधित वाणिज्यिक गतिविधियों के संचालन के लिए वृहत गौशालाओं की स्थापना कर स्वाबलंबी मॉडल बनाने के लिए शासकीय भूमि के उपयोग के अधिकार दिए जाएंगे। नीति में न्यूनतम 5000 गौ-वंश पालन के लिए अधिकतम 125 एकड़ भूमि दी जाएगी। इसके बाद 1000 गोवंश क्षमता में वृद्धि पर 25 एकड़ अतिरिक्त भूमि दी जाएगी। गोबर, गोमूत्र व दूध से विभिन्न उत्पादों के निर्माण की परियोजना के लिए अधिकतम 5 एकड़ अतिरिक्त भूमि भी दी जा सकेगी।
मंत्री श्री पटेल ने बताया कि नीति के अनुसार इन गौ-शालाओं में कम से कम 70% गौ-वंश निराश्रित, अशक्त, गैर दुधारू गोवंश होना चाहिए। गोपालक संस्था से चाहे तो परियोजना में अधिकतम 30% उत्पादक दुधारू नस्ल का गोवंश रख सकेगी। परियोजना के संचालन के लिए किसी भी फर्म, समिति, न्यास, पंजीकृत कंपनी अथवा उक्त में से दो या दो से अधिक के संघ को पात्रता होगी। संघ के रूप में पांच से अधिक संस्थाएं भाग नहीं ले सकेंगी और संघ में किसी एक भागीदार का 51% या उससे अधिक का अंश होना अनिवार्य है, जिसे प्रमुख संचालक संस्था कहा जाएगा। गौ-पालक संस्था के पास न्यूनतम 500 निराश्रित गौ-वंश के पालन का कम से कम 3 वर्षों का अनुभव, संबंधित समस्त व्यवसायिक गतिविधियों का सम्मिलित रूप से न्यूनतम 10 करोड रुपए का टर्नओवर तथा बायोगैस संचालन का 3 वर्षों का अनुभव होना अनिवार्य है। निराश्रित गौ-वंश के पालन तथा वाणिज्यिक गतिविधियों की स्थापना व संचालन के लिए न्यूनतम 50 करोड़ निवेश की परियोजनाएं प्रस्तुत करने वाली गौ-पालक संस्थाएं ही अनुबंध कर सकेंगी।
मंत्री श्री पटेल ने बताया कि गौ-पालक संस्था को म.प्र गौ-संवर्धन बोर्ड द्वारा समय-समय पर जारी न्यूनतम मानक संहिता में उल्लेखित प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य होगा। प्रति गाय न्यूनतम 30 वर्ग फीट तथा प्रति वयस्क नर 50 वर्ग फुट स्थान का शेड आवश्यक होगा। मंडियों के लिए पृथक शेड बनाया जाएगा। प्रति गौ-वंश 100 लीटर प्रतिदिन पीने का पानी और निस्तार के पानी की व्यवस्था करनी होगी। प्रति 5000 गौ-वंश न्यूनतम एक पशु चिकित्सक और तीन सहायकों की नियुक्ति आवश्यक होगी। गौ-वंश के लिए नियम अनुसार टीकाकरण एवं स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था करनी होगी। गौ-शाला में गौ-वंश के लिए कम से कम 3 महीने के आहार की अग्रिम व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी।
पंकज मित्तल/बीके इंजी नरेश बाथम