अयोध्या । जैन मुनि डॉ. लोकेश ने कहा है कि हिंदू और जैन अलग हैं ही नहीं। हमारे यहां 16 सतियों का जाप करते हैं। अंजनी सती के पुत्र हैं। सीता जी 16 सतियों में हैं। इसलिए हम सब एक है। हम सबका कर्तव्य है कि जिस भारत माता की मिट्टी में हम पैदा हुए है। अपने जीवन काल में उसे वैभवशाली और गौरवशाली बनाएं। देश है तो हम हैं, यदि देश नहीं है तो हमारा कोई अस्तित्व नहीं है।
अहिंसा विश्व भारती के संस्थापक आचार्य डॉ. लोकेश जैन शुक्रवार को अयोध्या पहुंचे और रामलला के दर्शन किए। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि मैंने दिल्ली के रामलीला मैदान में लाखों की भीड़ में जो विचार रखे। वह प्रभु श्रीराम-प्रभु आदिनाथ की शक्ति थी। इसलिए मैंने भगवान आदिनाथ और श्रीराम के मंदिर, हनुमान गढ़ी में दर्शन पूजन किया। उन्होंने कहा कि आज अयोध्या की धरती से यह संकल्प लेकर जा रहा हूं कि पूरे भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए जितने धर्म यहां पैदा हुए हैं। जिनकों मातृभूमि से प्यार है। जिनको भारत माता का जय बोलने में गुरेज नहीं। जिन्हें वंदे मातम कहने में परेशानी नहीं। उन सबको जोडूंगा, क्योंकि ये अलग नहीं हैं। वह चाहे हिंदू हों, बुद्ध हों, जैन हों और सिक्ख हों। हम सबको मिलकर तय करना है कि भारत कैसे विश्व गुरु बने। अखंड भारत का निर्माण कैसे हो। इसके लिए मैं अपना जीवन समर्पित कर रहा हूं। इसलिए मैं प्रभु श्री राम और प्रभु आदिनाथ के दरबार में आया हूं। भारतीय संस्कृति कहती है कृतज्ञता से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। कृतघ्नता से बढ़कर कोई पाप नहीं है।