भोपाल ।  मध्य प्रदेश में शराबबंदी को लेकर उमा भारती के चेतावनी वाले बयानों से पार पाने का रास्ता प्रदेश सरकार ने तलाश लिया है। अब उमा भारती के मुख्यमंत्रित्व काल में वर्ष 2003-04 की शराब नीति के प्रावधानों को ही नई शराब नीति में शामिल करने की तैयारी है। दरअसल, उमा भारती पिछले कई महीनों से शराबबंदी की मांग को लेकर मध्य प्रदेश सरकार पर दबाव बनाती रही हैं। मांग जैसे दिखते उनके बयान शिवराज सरकार को कठघरे में खड़े करते रहे हैं। शराबबंदी को लेकर सत्ता को घेरने के साथ संगठन के शीर्ष नेतृत्व तक वह अपनी बात रख चुकी हैं। ठोस आश्वासन या शराब नीति में उनकी मंशा के मुताबिक बदलाव ना देखते हुए उन्होंने शराब की दुकानों पर खुद जाकर तोड़फोड़ भी की और विरोध दर्ज कराया। उधर, शिवराज सरकार शराबबंदी से आगे बढ़ते हुए नशामुक्ति की बात दोहरा कर रही है। सरकार नशाबंदी के लिए सामाजिक सहभागिता से अभियान की बात तो करती है, लेकिन कोई प्रारूप सामने नहीं आ सका है, बल्कि नई शराब नीति के प्रविधानों में शराब की बिक्री को बढ़ावा देने जैसे प्रयास परिलक्षित होते रहे हैं। चूंकि राजस्व प्राप्ति में शराब की बिक्री का बड़ा हिस्सा है, इसलिए सरकार फिलहाल कोई जोखिम नहीं चाहती। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने अपने कार्यकाल में जिस शराब नीति के साथ "पंचज" यानी जल-जंगल-जमीन, जानवर और जन के साथ अत्मनिर्भरता का माडल बनाया था, अब उसी अनुरूप नई शराब नीति को तैयार किया जा रहा है। ऐसे में शराब नीति का विरोध करना उमा भारती के लिए आसान नहीं रह जाएगा और सरकार के पास भी राजस्व के विकल्प तलाशने की मुश्किलें खत्म हो जाएंगी। उल्लेखनीय है कि तीन दिन पहले फिर उमा भारती ने चेतावनी दी थी कि नई शराब नीति उनके अनुरूप नहीं आई तो परिणाम ठीक नहीं होगा। वे भोपाल की एक शराब दुकान के सामने स्थित मंदिर में कई दिन विरोधस्वरूप बैठी थीं। अब वे रामराजा मंदिर ओरछा के सामने की दुकान का विरोध जता रही हैं।

इनका कहना है

उमा भारती भाजपा की वरिष्ठ नेता है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा से उनका सीधा और बढ़िया संवाद है। मुख्यमंत्री इस विषय में उनके विचारों को सम्मान करते हुए अपनी बात मीडिया के समक्ष भी व्यक्त कर चुके हैं। उमा भारती द्वारा उठाए गए प्रश्नों पर उन्होंने गंभीरता और सामाजिक संवेदना के साथ अपनी बात भी कही है। जहां तक आबकारी नीति का विषय है तो यह प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र का विषय है। उनके अपने परामर्श और विमर्श के पश्चात जो नीति आएगी, वह उचित ही होगी।

रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री भाजपा