नई दिल्ली । कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा है ‎कि इतना बड़ा रेल हादसा हो गया और अभी तक ‎किसी को भी ‎जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। जब‎कि रेल मंत्री को इसके ‎लिए इस्तीफा दे देना चा‎हिए। सुरजेवाला ने ओडिशा के बालेश्वर में हुए भयानक रेल हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि अब तक 288 लोगों की जान जा चुकी है और 56 लोग जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया है। सुरजेवाला ने एक ट्वीट में कहा ‎कि रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने फरवरी में इंटरलॉकिंग की विफलता के बारे में चिंता जताई थी और तत्काल कार्रवाई की मांग की थी। अधिकारियों ने कहा था कि अगर सिग्नल रखरखाव प्रणाली की निगरानी नहीं की गई और इसे तुरंत ठीक नहीं किया गया, तो इससे गंभीर दुर्घटनाएं हो सकती हैं, लेकिन मंत्री ने कुछ नहीं किया।
सुरजेवाला ने पीएम मोदी से जो 9 सवाल पूछे हैं उनमें पहला सवाल है ‎कि रेल मंत्री और रेल मंत्रालय अधिकारियों की चिंता से अनभिज्ञ या लापरवाह क्यों थे? क्यों‎कि प्रारंभिक समाचार रिपोर्टों से पता चलता है कि बालेश्वर ट्रेन दुर्घटना सिग्नलिंग प्रणाली की विफलता के कारण हुई थी, लेकिन रेल मंत्री और रेल मंत्रालय सिग्नल प्रणाली की विफलता पर दी गई महत्वपूर्ण चेतावनी से अनभिज्ञ थे। सुरजेवाला ने कहा कि हाल ही में कई मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की खबरें आई थी। इन हादसों में कई लोको पायलटों की मौत हो गई और कई वैगन नष्ट हो गए। इस पर रेल मंत्री और रेल मंत्रालय ने पहले ही उचित कदम क्यों नहीं उठाए। 
सुरजेवाला ने आरोप लगाया ‎कि रेल मंत्री रेलवे सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय मार्केटिंग और प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए अधिक चिंतित हैं। इसी‎लिए रेल मंत्री यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कठिन काम को देखने के बजाय प्रधानमंत्री से वंदे भारत ट्रेनें शुरू कराने, रेलवे स्टेशनों के नवीनीकृत तस्वीरें ट्वीट करने और राजस्व बढ़ाने में व्यस्त हैं। उन्होंने पूछा ‎कि रेलवे सुरक्षा की बढ़ती चूक आवश्यक मानव संसाधन - गैंगमैन, स्टेशन मास्टर, लोको पायलट आदि जैसे पैदल सैनिकों की कमी के कारण है।
सुरजेवाला ने कहा कि रेलवे द्वारा दिए गए एक आरटीआई जवाब के अनुसार 39 रेलवे जोनों में से अधिकांश के पास आवश्यक मानव संसाधन की कमी है। रेलवे में ग्रुप सी के 3,11,000 पद खाली हैं जिससे रेल सुरक्षा के साथ-साथ परिचालन क्षमता भी खतरे में है। रेलवे में 18,881 गजेटेड कैडेट के पदों में से 3,081 पद खाली पड़े हैं। सुरजेवाला ने आगे पूछा पिछले वर्ष की 35 भयानक दुर्घटनाओं की तुलना में वर्ष 2022-23 में 48 बड़ी रेल दुर्घटनाएं हुईं है, इनका ‎जिम्मेदार कौन है। ट्रेन टक्कर बचाव प्रणाली (टीसीएएस) जिसे कवच कहा जाता है, रेलवे जोन में क्यों लागू नहीं किया गया है? केवल 2 फीसद रेल नेटवर्क यानी 68,000 किमी रेलवे नेटवर्क में से 1,450 किलोमीटर ही कवच द्वारा कवर किया गया है?
सुरजेवाला ने कहा ‎कि रेल मंत्रालय ने रेल सुरक्षा आयोग की शक्तियों में कटौती करके उसे फालतू क्यों बना दिया है? केग की रिपोर्ट 2021 में बताया गया है कि राष्ट्रीय रेल सुरक्षा फंड का 20 फीसद ही गैर-सुरक्षा उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया था और पर्याप्त राशि का उपयोग नहीं किया गया था? क्या यह जानबूझकर की गई चूक नहीं है? उन्होंने अंत में यह भी पूछा ‎कि रेल मंत्री पर आईटी और टेलीकॉम जैसे बड़े मंत्रालयों का बोझ क्यों है, जो रेलवे सुरक्षा को खतरे में डाल रहे हैं?