प्रदेश में सरकार बनाने में अंचल की 22 आरक्षित सीटों का रहता है बड़ा योगदान


भोपाल।आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों का फोकस अब मालवा-निमाड़ की उन 22 आरक्षित सीटों पर है, जो आदिवासी बेल्ट की हैं। यहां यही वोट बैंक निर्णायक है। कभी कांग्रेस का पक्का वोट बैंक माने जाने वाले इस समुदाय में जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) ने अपनी बुनियाद रखी तो भाजपा पिछले चुनाव में हार के बाद दो साल से इसे ही साधने के लिए जतन कर चुकी है। इसी दौड़ में अब कांग्रेस भी आ चुकी है। कमलनाथ द्वारा नियुक्त एक स्पेशल टीम इस पर दो महीने से काम कर रही है। परिणामस्वरूप इंदौर में तीन दिन पहले आदिवासी युवाओं से संवाद और उनकी मांगों को सुना गया। अब 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस पर इन्हें लेकर बड़ी योजनाएं ला सकते हैं।
नाथ ने इस समुदाय के लिए अपने ही एक प्रमुख सिपहसालार को कमान दी है। साथ में एक कोचिंग एसोसिएशन के प्रमुख को, इंदौर के एक युवा नेता और धार जिले में लंबे समय से संघर्ष कर रहे एक ऐसे ही युवा को बतौर टीम इन्हें साधने का काम सौंपा गया। इसी टीम ने फीडबैक दिया कि इंदौर में 70 से 80 हजार युवा इसी समुदाय के हैं, जिनकी अपने गांवों में अच्छी पकड़ है। यह वर्ग नाराज है। इसी विंग के अलग-अलग फीडबैक, सीधी में हुई घटना के बाद से कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाया और आदिवासी स्वाभिमान यात्राएं भी शुरू की। यही कारण है कि मंगलवार को जारी चुनाव अभियान समिति में सबसे पहला नाम पूर्व अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया का है, ताकि एक अच्छा मैसेज इस वर्ग में जा सके।

 सत्ता वापसी का रास्ता खुल जाएगा
कांग्रेस की सोच है कि यह वर्ग साथ रहा तो 2018 की तरह सत्ता वापसी का रास्ता खुल जाएगा। मालवा-निमाड़ में खासकर धार-बड़वानी की 5-5, झाबुआ की 3, खंडवा की 3, रतलाम-झाबुआ की 2, आलीराजपुर की 2, खरगोन, देवास की 1-1 सीट इसी वर्ग के वोटर पर निर्भर है। नाथ की कवायद भी यही है कि 2018 में जिस तरह इस बेल्ट से कांग्रेस को वोट मिले थे, वह इस बार भी मिले तो सत्ता वापसी का रास्ता खुल जाएगा। इसलिए कमलनाथ लगातार फीडबैक लेते रहते हैं। नाथ को दिए फीडबैक में जो बिंदु हैं उनमें भाजपा आदिवासी समाज के ही कुछ अधिकारियों को चुनाव लड़ाना चाहती है। आदिवासी वोट बंट सके, इसलिए निर्दलीय प्रत्याशी तैयार किए जा रहे, ताकि कांग्रेस के वोट काट सकें। ऐसे जयस कार्यकर्ताओं के नाम इस टीम ने दिए हैं जो भाजपा के संपर्क में हैं। कुछ को भाजपा उम्मीदवार बना सकती है। ऐसे 10 से ज्यादा नाम बताए, जो गंधवानी, कुक्षी, मनावर, जोबट, धार, बड़वानी व मनावर से भाजपा के इशारे पर चुनाव लड़ सकते हैं।

भाजपा की अब तक की तैयारी
भाजपा को 2018 में इसी क्षेत्र से हार मिली थी, इसलिए मुख्यमंत्री का इस पर फोकस है। यही कारण है कि सीएम कभी झाबुआ तो कभी बड़वानी, खरगोन पहुंच रहे। इन्हीं के बीच रात्रि विश्राम तक कर रहे। डॉ. हर्ष चौहान को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाना हो या डॉ. निशांत खरे की सक्रियता। सीधी की घटना हुई तो खुद सीएम ने पीडि़त को मुख्यमंत्री निवास बुलाकर उसके पैर धोए और सम्मान दिया।