मुरली mp1news के माध्यम से पढ़ सकते हैं, YouTube को क्लिक कर सुन भी सकते है।                                         “इस नये वर्ष में सफलता भव के वरदान द्वारा बाप और स्वयं की प्रत्यक्षता को समीप लाओ''

आज नव युग का रचता अपने मास्टर नव युग रचता बच्चों से नव वर्ष मनाने के लिए आये हैं। नव वर्ष मनाना, यह तो विश्व में सभी मनाते हैं। लेकिन आप सभी नव युग बना रहे हो। नव युग की खुशी हर बच्चे के अन्दर है। जानते हो कि नव युग अभी आया कि आया। दुनिया वालों का नव वर्ष एक दिन मनाने का है और आप सबका नव युग पूरा ही संगमयुग मनाने का है। नव वर्ष में खुशी मनाते, एक दो को गिफ्ट देते हैं। वह गिफ्ट भी क्या है! थोड़े समय के लिए वह गिफ्ट है। नव युग रचता बाप आप सब बच्चों के लिए कौन सी गिफ्ट लाते हैं? गोल्डन गिफ्ट, जिस गोल्डन गिफ्ट अर्थात् गोल्डन युग में सब स्वत: ही गोल्ड हो जाता है, नया हो जाता है। थोड़े समय के बाद नया वर्ष शुरू होगा लेकिन सब नया नहीं हो जायेगा। आपके नव युग में प्रकृति भी नई बन जायेगी। आत्मा भी नये वस्त्र (शरीर) धारण करेगी। हर वस्तु नई अर्थात् सतोप्रधान गोल्डन एज वाली होगी। तो नये वर्ष को मनाते आपके मन में, बुद्धि में नया युग ही याद आ रहा है। नव युग याद है ना, कि आज के दिन नया वर्ष याद है?

बापदादा पहले मुबारक देते हैं नव युग की फिर साथ में मुबारक देते हैं नये वर्ष की, क्योंकि आप सब नव वर्ष मनाने के लिए आये हो ना! मनाओ, खूब मनाओ। अविनाशी गिफ्ट जो बापदादा द्वारा मिली है, उसकी अविनाशी मुबारक मनाओ। सदा ही एक दो को शुभ भावना की मुबारक दो। यही सच्ची मुबारक है। मुबारक जब देते हो तो स्वयं भी खुश होते हो और दूसरे भी खुश होते हैं। तो सच्चे दिल की मुबारक है - एक दो के प्रति दिल से शुभ भावना, शुभ कामना की मुबारक। शुभ भावना ऐसी श्रेष्ठ मुबारक है जो कोई भी आत्मा की कैसी भी भावना हो, अच्छी भावना वा अच्छा भाव न भी हो, लेकिन आपकी शुभ भावना उनका भाव भी बदल सकती है, स्वभाव भी बदल सकती है। वैसे स्वभाव शब्द का अर्थ ही है - स्व (आत्मा) का भाव अर्थात् शुभ भाव। हर समय हर आत्मा को यही अविनाशी मुबारक देते चलो। कोई आपको कुछ भी दे लेकिन आप सबको शुभ भावना दो। अविनाशी आत्मा के अविनाशी आत्मिक स्थिति में स्थित होने से आत्मा परिवर्तित हो ही जायेगी। तो इस नये वर्ष में क्या विशेषता करेंगे? स्वयं में भी, सर्व में भी और सेवा में भी। जब नया वर्ष नाम है तो कोई नवीनता करेंगे ना! तो क्या नवीनता करेंगे? हर एक ने अपना नवीनता का प्लैन बनाया है या अभी सिर्फ नया वर्ष मना लेंगे? मिलन मनाया, नया वर्ष मनाया, नवीनता का क्या प्लैन बनाया?

बापदादा हर एक बच्चे को इस वर्ष के लिए विशेष यही ईशारा देते हैं कि समय प्रमाण अभी सब बच्चों को चाहे यहाँ साकार में सम्मुख बैठे हैं, चाहे देश, विदेश में विज्ञान के साधन द्वारा सुन रहे हैं, देख रहे हैं, बापदादा भी सभी को देख रहे हैं। सभी बड़े आराम से, मजे से देख रहे हैं। तो सर्व विश्व के, बापदादा के अति प्यारे अति मीठे बच्चों को बापदादा यही ईशारा देते हैं कि “अभी अपने इस ब्राह्मण जीवन में अमृतवेले से लेकर रात तक बचत का खाता बढ़ाओ, जमा का खाता बढ़ाओ।'' हर एक अपने कार्य के प्रमाण अपना प्लैन बनावे, जो भी ब्राह्मण जीवन में खजाने मिले हैं, उस हर एक खजाने की बचत वा जमा का खाता बढ़ाओ क्योंकि बापदादा ने आज वर्ष के अन्त तक चारों ओर के बच्चों की रिजल्ट देखी। क्या देखा, जान तो गये हो। टीचर्स भी जान गई हैं। डबल फारेनर्स भी जान गये हैं। महारथी भी जान गये हैं। जमा का खाता जितना होना चाहिए उतना... क्या कहें? आप खुद ही बोलो, क्योंकि बापदादा जानते हैं कि सर्व खजाने जमा करने का समय सिर्फ अब संगम है। इस छोटे से युग में जितना जमा किया उसी प्रमाण सारा कल्प प्रालब्ध प्राप्त करते रहेंगे। जो आप सबका स्लोगन है ना - कौन सा स्लोगन है? अब नहीं तो... पीछे क्या है? “अब नहीं तो कब नहीं''। यह स्लोगन दिमाग में तो बहुत याद है। लेकिन दिल में, याद में भूलता भी है तो याद भी रहता है। सबसे बड़े से बड़ा खजाना इस ब्राह्मण जीवन की श्रेष्ठता का आधार है - संकल्प का खजाना, समय का खजाना, शक्तियों का खजाना, ज्ञान का खजाना, बाकी स्थूल धन का खजाना तो कॉमन है। तो बापदादा ने देखा जितना आप हर एक ब्राह्मण श्रेष्ठ संकल्प के खजाने द्वारा स्वयं को वा सेवा को श्रेष्ठ बना सकते हो, उसमें अभी और अण्डरलाइन लगानी पड़ेगी।

आप ब्राह्मणों के एक श्रेष्ठ संकल्प में, शुभ संकल्प में इतनी शक्ति है जो आत्माओं को बहुत सहयोग दे सकते हो। संकल्प शक्ति का महत्व अभी और जितना चाहो उतना बढ़ा सकते हो। जब साइंस का साधन रॉकेट, दूर बैठे जहाँ चाहे, जब चाहे, जिस स्थान पर पहुँचाने चाहे, एक सेकण्ड में पहुँचा सकते हैं। आपके शुभ श्रेष्ठ संकल्प के आगे यह रॉकेट क्या है! रिफाइन विधि से कार्य में लगाके देखो, आपके विधि की सिद्धि बहुत श्रेष्ठ है। लेकिन अभी अन्तर्मुखता की भट्ठी में बैठो। तो इस नये वर्ष में अपने आप सर्व खजानों की बचत की स्कीम बनाओ। जमा का खाता बढ़ाओ। सारे दिन में स्वयं ही अपने प्रति अन्तर्मुखता की भट्ठी के लिए समय फिक्स करो। आपेही आप कर सकते हो, दूसरा नहीं कर सकता है।

बापदादा प्रत्यक्षता वर्ष के पहले इस वर्ष को “सफलता भव का वर्ष'' कहते हैं। सफलता का आधार हर खजाने को सफल करना। सफल करो, सफलता प्राप्त करो। सफलता प्रत्यक्षता को स्वत: ही प्रत्यक्ष करेगी। वाचा की सेवा बहुत अच्छी की लेकिन अब सफलता के वरदान द्वारा बाप की, स्वयं की प्रत्यक्षता को समीप लाओ। हर एक ब्राह्मणों की जीवन में सर्व खजानों की सम्पन्नता का आत्माओं को अनुभव हो। आजकल की आत्मायें आपके अनुभवी मूर्त द्वारा अनुभूति करने चाहती हैं। सुनने कम चाहती हैं, अनुभूति ज्यादा चाहती हैं। “अनुभूति का आधार है - खजानों का जमा खाता।'' अभी सारे दिन में बीच-बीच में यह अपना चार्ट चेक करो, सर्व खजाने जमा कितने किये? जमा का खाता निकालो, पोतामेल निकालो। एक मिनट में कितने संकल्प चलते हैं? संकल्प की फास्ट गति है ना। कितने सफल हुए, कितने व्यर्थ हुए? कितने समर्थ रहे, कितने साधारण रहे? चेक करने की मशीन तो आपके पास है ना या नहीं है? सबके पास चेकिंग मशीन है? टीचर्स के पास है? आपके सेन्टर्स पर जैसे कम्प्युटर है, ई-मेल है वैसे यह चेकिंग मशीन है? डबल फारेनर्स के पास है? चलती है या बन्द पड़ी है? पाण्डवों के पास चेकिंग मशीन है? सबके पास है, कोई के पास नहीं हो तो एप्लीकेशन डालो। जैसे कहाँ ऑफिस खोलते हो तो पहले ही सोचते हो कि ऑफिस बनाने के पहले, आजकल के जमाने में कम्प्युटर चाहिए, ई-मेल चाहिए, टाइप मशीन चाहिए, कॉपी निकालने वाली मशीन चाहिए। चाहिए ना? तो ब्राह्मण जीवन में, आपके दिल के ऑफिस में यह सब मशीन हैं या नहीं है?

बापदादा ने पहले भी सुनाया कि बापदादा के पास प्रकृति भी आती है कहने के लिए कि मैं एवररेडी हूँ, समय भी ब्राह्मणों को बार-बार देखता रहता है कि ब्राह्मण तैयार हैं? बार-बार ब्राह्मणों का चक्कर लगाता है। तो बापदादा पूछते हैं, हाथ तो बहुत अच्छे उठाते हो, बापदादा भी खुश हो जाते हैं। अब ऐसे एवररेडी बनो जो हर संकल्प, हर सेकण्ड, हर श्वांस जो बीते वह वाह, वाह हो। व्हाई नहीं हो, वाह, वाह हो। अभी कोई समय वाह वाह होता है, कोई समय वाह के बजाए व्हाई हो जाता है। कोई समय बिन्दी लगाते हैं, कोई समय क्वेश्चन मार्क और आश्चर्य की मात्रा लग जाती है। आप सबका मन भी कहे वाह! और जिसके भी सम्बन्ध-सम्पर्क में आते हो, चाहे ब्राह्मणों के, चाहे सेवा करने वालों के वाह! वाह! शब्द निकले। अच्छा।

आज ग्रेट-ग्रेट ग्रैण्ड फादर ब्रह्मा बाप की एक शुभ आशा रही, ब्रह्मा बाप बोले, कि मेरे ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड सन्स को विशेष एक बात कहनी है, वह क्या? कि सदा हर बच्चे के चेहरे पर, सदा एक तो रूहानियत की मुस्कराहट हो, सुना! अच्छी तरह से कान खोल के सुनना। और दूसरा - मुख में सदा मधुरता हो। एक शब्द भी मधुरता के बिना नहीं हो। चेहरे पर रूहानियत हो, मुख में मधुरता हो और मन-बुद्धि में सदा शुभ भावना, रहमदिल की भावना, दातापन की भावना हो। हर कदम में फालो फादर हो। तो यह कर सकते हो? टीचर्स यह कर सकते हो? यूथ कर सकते हो? (ज्ञान सरोवर में देश-विदेश के यूथ की रिट्रीट चल रही है) बापदादा के पास यूथ ग्रुप की रिजल्ट बहुत अच्छी आई है। पदमगुणा मुबारक हो। अच्छा रिजल्ट है। अनुभव भी अच्छे किये हैं, बापदादा खुश हुए। बापदादा ने अनुभव भी सुने। सुनी सुनाई नहीं, डायरेक्ट बापदादा ने आपके अनुभव सुनें, लेकिन अभी इन अनुभवों को अमर भव के वरदान से अविनाशी रखना। कुछ भी हो जाए लेकिन अपने रूहानी अनुभवों को सदा आगे बढ़ाते रहना। कम नहीं करना। तीन मास के बाद मधुबन में आओ, नहीं आओ। तीन मास के बाद फारेन से तो आयेंगे नहीं लेकिन अपना एकाउन्ट रखना और बापदादा के पास भेजना, बापदादा राइट करेगा। या जो होगा वह परसेन्टेज़ देंगे। ठीक है? हाँ एक हाथ की ताली बजाओ। अच्छा।

आज मुबारक का दिन है तो और खुशखबरी बापदादा ने सुनी, देखी भी। छोटे-छोटे बच्चे ताजधारी बनके बैठे हैं। आपको तो ताज मिलेगा, इन्हों को अभी मिल गया है। खड़े हो जाओ। देखो, ताजधारी ग्रुप देखो। बच्चे सदा दिल के सच्चे। सच्ची दिल वाले हो ना! अच्छा है बच्चों की रिजल्ट भी बापदादा ने अच्छी देखी। मुबारक हो। अच्छा।

डबल फारेनर्स:- इन्हों के पत्र और चिटिकयां भी देखी। उमंग की चिटकियां हैं। लेकिन एक बात बापदादा ने देखी, जो चिटकियों में कोई-कोई में हैं। कोई ने तो बहुत अच्छे उमंग-उत्साह से परिवर्तन भी लिखा है, उमंग भी लिखा है लेकिन कोई कोई ने थोड़ा सा अपना अलबेलापन दिखाया है। अलबेले कभी नहीं बनना। अलर्ट। एक बापदादा को अलबेलापन नहीं अच्छा लगता और दूसरा दिलशिकस्त होना नहीं अच्छा लगता। कुछ भी हो जाए दिल बड़ी रखो। दिलशिकस्त छोटी दिल होती है। दिलखुश बड़ी दिल होती है। तो दिलशिकस्त नहीं बनना, अलबेला नहीं बनना। उमंग-उत्साह में सदा उड़ते रहना। बापदादा को डबल विदेशियों में अरब-खरब जितनी उम्मीदें हैं। डबल फारेनर्स ऐसा जलवा दिखायेंगे जो इन्डिया की आत्मायें चकित हो जायेंगी। आना है, वह भी दिन आना है, जल्दी आना है। आना है ना? वह दिन आने वाला है ना? आयेगा वह दिन? (जल्दी-जल्दी आयेगा) हाँ जी तो बोलो। बाप-दादा इनएडवांस मुबारक की थालियां भरकर दे रहे हैं। इतनी हिम्मत बापदादा डबल फारेनर्स में देख रहे हैं, ऐसे है ना? फारेन में बहुत उम्मीदें हैं। अच्छा है। यूथ भी अच्छे हैं, प्रवृत्ति वाले भी बहुत हैं, कुमारियां भी बहुत हैं, कमाल ही कमाल है। ठीक है? यह सिन्धी परिवार बोलो, क्या कमाल करेंगे? निमित्त मात्र सिन्धी हैं लेकिन हैं ब्राह्मण। क्या करेंगे, बोलो? (बाबा का नाम रोशन करेंगे) कब करेंगे? (इस वर्ष में) आपके मुख में गुलाबजामुन। हिम्मत वाले हैं। (आपका वरदान साथ में है) वरदाता ही साथ में है तो वरदान क्या बड़ी बात है। अच्छा।

जो भी इस कल्प में पहली बार आये हैं, वह उठो। जो पहली बार आये हैं, उन बच्चों को बापदादा कहते हैं कि आये पीछे हैं लेकिन जाना आगे है, इतना आगे बढ़ो जो सब आपको देख करके खुश होवें और सबके मुख से यही शब्द निकले - कमाल है, कमाल है, कमाल है। ऐसी हिम्मत है? पहली बार आने वालों में हिम्मत है ना! नया वर्ष मनाने आये हो, तो नये वर्ष में कोई कमाल करेंगे ना! फिर भी बापदादा को सभी बच्चे अति प्यारे हैं। फिर भी बहुत अक्ल का काम किया है, टू लेट के पहले आ गये हो। अभी फिर भी इस हॉल में बैठने की सीट तो मिली है ना! रहने का पलंग या पट तो मिला है ना! और जब टू लेट का बोर्ड लग जायेगा तो क्यू में खड़ा करना पड़ेगा, इसीलिए फिर भी अच्छे समय पर बापदादा को पहचान लिया, यह अक्ल का काम किया। अच्छा।

विश्व के चारों ओर के सर्व सफलता मूर्त बच्चों को, सर्व सफल करने वाले तीव्र पुरुषार्थी बच्चों को, सदा अपने एकाउन्ट को चेक करने वाले चेकर और भविष्य मेकर ऐसे श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा अपने हर कदम में बाप को प्रत्यक्ष करने वाले ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर के सर्व ग्रैण्ड सन्स को बाप और दादा का बहुत-बहुत-बहुत-बहुत याद प्यार, मुबारक और नमस्ते।

बापदादा ने देश विदेश के सभी बच्चों को नये वर्ष की मुबारक दी

चारों ओर के सफलता के सितारों को पुराने वर्ष की विदाई और नये वर्ष की बधाई के संगम समय की, संगम समय विदाई भी है, बधाई भी है। तो सदा सफल है और सफल रहेंगे। कभी भी असफलता का नाम निशान नहीं रहेगा। बापदादा के अति सिकीलधे, अति प्यारे, अति मीठे, नयनों के नूर हो। सब नम्बरवन बनना ही है, इस दृढ़ संकल्प से हर कदम बाप समान उठाते रहना, पदम गुणा, अरब-खरब गुणा मुबारक हो, मुबारक हो, मुबारक हो। बापदादा के बहुत-बहुत अमूल्य डायमण्ड्स को, डायमण्ड मार्निंग, डायमण्ड मार्निंग, डायमण्ड मार्निंग। ओम् शान्ति

वरदान:-सेवा के उमंग-उत्साह द्वारा सेफ्टी का अनुभव करने वाले मायाजीत भव
जो बच्चे स्थूल काम के साथ-साथ रूहानी सेवा के लिए भागते हैं, एवररेडी रहते हैं तो यह सेवा का उमंग-उत्साह भी सेफ्टी का साधन बन जाता है। जो सेवा में लगे रहते हैं वह माया से बचे रहते हैं। माया भी देखती है कि इन्हों को फुरसत नहीं है तो वो भी वापस चली जाती है। जिन बच्चों का बाप और सेवा से प्यार है उन्हें एक्स्ट्रा हिम्मत की मदद मिलती है, जिससे सहज ही मायाजीत बन जाते हैं।
स्लोगन:-ज्ञान और योग को अपने जीवन की नेचर बना लो तो पुरानी नेचर बदल जायेगी।                                                                                                                                                                                                                                                कार्यालय:-राजयोग भवन, E-5 अरेरा कॉलोनी भोपाल मध्य प्रदेश।                                                                         संपर्क:-9691454063,9406564449,https://youtu.be/XI18mKGxw6s?

न्यूज़ सोर्स : madhuban/ mp1news Bhopal