27अप्रैल 2025/शिव बाबा की मुरली (परमात्मा की वाणी) आज की प्रातः मुरली मधुबन से

“सेवा करते उपराम और बेहद वृत्ति द्वारा एवररेडी बन ब्रह्मा बाप समान सम्पन्न बनो''
आज ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर अपने चारों ओर के कोटों में कोई और कोई में भी कोई बच्चों के भाग्य को देख हर्षित हो रहे हैं। इतना विशेष भाग्य और किसी को भी मिल नहीं सकता। हर एक बच्चे की विशेषता को देख हर्षित होते हैं। जिन बच्चों ने बाप-दादा से दिल से सम्बन्ध जोड़ा उन हर एक बच्चों में कोई न कोई विशेषता जरूर है। सबसे पहली विशेषता साधारण रूप में आये हुए बाप को पहचान “मेरा बाबा'' मान लिया। यह पहचान सबसे बड़ी विशेषता है। दिल से माना मेरा बाबा, बाप ने माना मेरा बच्चा। जो बड़े-बड़े फिलॉसाफर, साइंसदान, धर्मात्मा नहीं पहचान सके, वह साधारण बच्चों ने पहचान अपना अधिकार ले लिया। कोई भी आकर इस सभा के बच्चों को देखे तो समझ नहीं सकेंगे कि इन भोली भोली माताओं ने, इन साधारण बच्चों ने इतने बड़े बाप को पहचान लिया! तो यह विशेषता - पहचानना, बाप को पहचान अपना बनाना, यह आप कोटों में कोई बच्चों का भाग्य है। सभी बच्चों ने जो भी सम्मुख बैठे हैं वा दूर बैठे सम्मुख अनुभव कर रहे हैं, तो सभी बच्चों ने दिल से पहचान लिया है! पहचान लिया है कि पहचान रहे हैं? जिसने पहचान लिया है वह हाथ उठाओ। (सभी ने हाथ उठाया) पहचान लिया? अच्छा। तो बापदादा पहचानने के विशेषता की हर एक बच्चे को मुबारक दे रहे हैं। वाह भाग्यवान बच्चे वाह! पहचानने का तीसरा नेत्र प्राप्त कर लिया। बच्चों के दिल का गीत बापदादा सुनते रहते हैं, कौन सा गीत? पाना था वो पा लिया। बाप भी कहते ओ लाडले बच्चे, जो बाप से लेना था वो ले लिया। हर एक बच्चा अनेक रूहानी खजानों के बालक सो मालिक बन गये।
तो आज बापदादा खजानों के मालिक बच्चों के खजानों का पोतामेल देख रहे थे। बाप ने खजाना तो सबको एक जैसा, एक जितना दिया है। किसको पदम, किसको लाख नहीं दिया है। लेकिन खजानों को जानना और प्राप्त करना, जीवन में समाना इसमें नम्बरवार हैं। बापदादा आजकल बार-बार भिन्न-भिन्न प्रकार से बच्चों को अटेन्शन दिला रहे हैं - समय की समीपता को देख अपने आपको सूक्ष्म विशाल बुद्धि से चेक करो क्या मिला, क्या लिया और निरन्तर उन खजानों में पलते रहते हैं? चेकिंग बहुत आवश्यक है क्योंकि माया वर्तमान समय भिन्न-भिन्न रॉयल प्रकार के अलबेलापन और रॉयल आलस्य के रूप में ट्रायल करती रहती है इसलिए अपनी चेकिंग सदा करते चलो। इतने अटेन्शन से, अलबेले रूप से चेकिंग नहीं - बुरा नहीं किया, दु:ख नहीं दिया, बुरी दृष्टि नहीं हुई, यह चेकिंग तो हुई लेकिन अच्छे ते अच्छा क्या किया? सदा आत्मिक दृष्टि नेचुरल रही? या विस्मृति स्मृति का खेल किया? कितनों को शुभ भावना, शुभ कामना, दुआयें दी? ऐसे जमा का खाता कितना और कैसे रहा? क्योंकि अच्छी तरह से जानते हो कि जमा का खाता सिर्फ अभी कर सकते हैं। यह समय, फुल सीजन खाता जमा करने की है। फिर सारा समय जमा प्रमाण राज्य भाग्य और पूज्य देवी-देवता बनने का है। जमा कम तो राज्य भाग्य भी कम और पूज्य बनने में भी नम्बरवार होता है। जमा कम तो पूजा भी कम, विधिपूर्वक जमा नहीं तो पूजा भी विधिपूर्वक नहीं, कभी-कभी विधिपूर्वक है तो पूजा भी और पद भी कभी-कभी है, इसलिए बापदादा का हर एक बच्चे से अति प्यार है, तो बापदादा यही चाहते कि हर एक बच्चा सम्पन्न बने, समान बने। सेवा करो लेकिन सेवा में भी उपराम, बेहद।
बापदादा ने देखा है मैजारिटी बच्चों की योग अर्थात् याद की सबजेक्ट में रूचि वा अटेन्शन कम होता है, सेवा में ज्यादा है। लेकिन बिना याद के सेवा में ज्यादा है तो उसमें हद आ जाती है। उपराम वृत्ति नहीं होती। नाम और मान का, पोजीशन का मिक्स हो जाता है। बेहद की वृत्ति कम हो जाती है इसलिए बापदादा चाहते हैं कि कोटों में कोई, कोई में कोई मेरे बच्चे अभी से एवररेडी हो जायें, क्यों? कई सोचते हैं समय आने पर हो जायेंगे। लेकिन समय आपकी क्रियेशन है, क्या क्रियेशन को अपना शिक्षक बनायेंगे? दूसरी बात जानते हो कि बहुतकाल का हिसाब है, बहुतकाल की सम्पन्नता बहुतकाल की प्राप्ति कराती है। तो अभी समय की समीपता प्रमाण बहुतकाल का जमा होना आवश्यक है फिर उल्हना नहीं देना कि हमने तो समझा बहुतकाल में समय पड़ा है। अभी से बहुतकाल का अटेन्शन रखो। समझा! अटेन्शन प्लीज़।
बापदादा यही चाहते कि एक बच्चे में भी किसी भी एक सबजेक्ट की कमी नहीं रह जाए। ब्रह्मा बाप से तो प्यार है ना! प्यार का रिटर्न तो देंगे ना! तो प्यार का रिटर्न है - अपनी कमी को चेक करो और रिटर्न दो, टर्न करो। अपने आपको टर्न करना, यह रिटर्न है। तो रिटर्न देने की हिम्मत है? हाथ तो उठा लेते हो, बहुत खुश कर लेते हो। हाथ देखकर तो बापदादा खुश हो जाते हैं, अभी दिल में पक्का-पक्का एक परसेन्ट भी कच्चा नहीं, पक्का व्रत लो - रिटर्न देना ही है। अपने आपको टर्न करना है।
अभी शिवरात्रि आ रही है ना! तो सभी बच्चों को बाप की जयन्ती सो अपनी जयन्ती मनाने का उमंग बहुत प्यार से आता है। अच्छे-अच्छे प्रोग्राम बना रहे हैं। सेवा के प्लैन तो बहुत अच्छे बनाते हो, बापदादा खुश होता है। लेकिन...., लेकिन कहना अच्छा नहीं लगता है। जगत अम्बा माँ लेकिन शब्द को कहती थी, सिन्धी भाषा में, ले - किन, किन कहते हैं किचड़े को। तो लेकिन कहना माना कुछ न कुछ किचड़ा लेना। तो लेकिन कहना अच्छा नहीं लगता है। कहना पड़ता है। जैसे और सेवा के प्लैन बनाये भी हैं और बनायेंगे भी लेकिन इस व्रत लेने का भी प्रोग्राम बनाना। रिटर्न देना ही है क्योंकि जब बापदादा या कोई पूछते हैं कैसे हैं? तो मैजारिटी का यही उत्तर आता है, हैं तो बहुत अच्छे लेकिन जितना बापदादा कहते हैं उतना नहीं। अभी यह उत्तर होना चाहिए जो बापदादा चाहते हैं वही हैं। नोट करो बापदादा क्या चाहता है, वह लिस्ट निकालो और चेक करो बापदादा यह चाहता है, वह है या नहीं है? दुनिया वाले आप पूर्वजों द्वारा मुक्ति चाहते हैं, चिल्ला रहे हैं, मुक्ति दो, मुक्ति दो। जब तक मैजारिटी बच्चे अपने पुराने संस्कार, जिसको आप नेचर कहते हो, नेचुरल नहीं नेचर, उसमें कुछ भी थोड़ा रहा हुआ है, मुक्त नहीं हुए हैं तो सर्व आत्माओं को मुक्ति नहीं मिल सकती। तो बापदादा कहते हैं - हे मुक्तिदाता के बच्चे मास्टर मुक्तिदाता अभी अपने को मुक्त करो तो सर्व आत्माओं के लिए मुक्ति का द्वार खुल जाए। सुनाया था ना - गेट की चाबी क्या है? बेहद का वैराग्य। कार्य सब करो लेकिन जैसे भाषणों में कहते हो प्रवृत्ति वालों को कमल पुष्प समान बनो, ऐसे सब कुछ करते, कर्तापन से मुक्त, न्यारे, न साधनों के वश, न पोजीशन के। कुछ न कुछ मिल जाए यह पोजीशन नहीं आपोजीशन है माया की। न्यारे और बाप के प्यारे। मुश्किल है क्या, न्यारे और प्यारे बनना? जिसको मुश्किल लगता है वह हाथ उठाओ। (किसी ने हाथ नहीं उठाया) किसको भी मुश्किल नहीं लगता है फिर तो शिवरात्रि तक सब सम्पन्न हो जायेंगे। जब मुश्किल नहीं है तो बनना ही है। ब्रह्मा बाप समान बनना ही है। संकल्प में भी, बोल में भी, सेवा में भी, सम्बन्ध-सम्पर्क में भी, सबमें ब्रह्मा बाप समान।
अच्छा जो समझते हैं, ब्रह्मा बाप और दादा, ग्रेट ग्रेट ग्रैण्ड फादर, उससे मेरा बहुत-बहुत 100 परसेन्ट से भी ज्यादा प्यार है, वह हाथ उठाओ। खुश नहीं करना, सिर्फ अभी-अभी खुश नहीं करना। सभी ने उठाया है। टी.वी. में निकाल रहे हो ना। शिवरात्रि पर यह टी.वी. देखेंगे और हिसाब लेंगे। ठीक है! जरा भी समानता में अन्तर नहीं हो। प्यार के पीछे कुर्बान करना, क्या बड़ी बात है। दुनिया वाले तो अशुद्ध प्यार के पीछे जीवन भी देने के लिए तैयार हो जाते हैं। बापदादा तो सिर्फ कहते हैं, किचड़ा दे दो बस। अच्छी चीज़ नहीं दो, किचड़ा दे दो। कमजोरी, कमी क्या है? किचड़ा है ना! किचड़ा कुर्बान करना क्या बड़ी बात है! परिस्थिति समाप्त हो जाए, स्व-स्थिति श्रेष्ठ हो जाए। बताते तो यही हैं ना, क्या करें परिस्थिति ऐसी थी। तो हिलाने वाली पर-स्थिति का नाम ही नहीं हो, ऐसी स्व-स्थिति शक्तिशाली हो। समाप्ति का पर्दा खुले तो सब क्या दिखाई देवें? फरिश्ते चमक रहे हैं। सभी बच्चे चमकते हुए दिखाई दें इसीलिए अभी पर्दा खुलना रूका हुआ है। दुनिया वाले चिल्ला रहे हैं, पर्दा खोलो, पर्दा खोलो। तो अपना प्लैन आप ही बनाओ। बना हुआ प्लैन देते हैं ना तो फिर कई बातें होती हैं। अपना प्लैन अपनी हिम्मत से बनाओ। दृढ़ता की चाबी लगाओ तो सफलता मिलनी ही है। दृढ़ संकल्प करते हो और बापदादा खुश होते हैं वाह बच्चे वाह! दृढ़ संकल्प किया लेकिन दृढ़ता में फिर थोड़ा-थोड़ा अलबेलापन मिक्स हो जाता है इसीलिए सफलता भी कभी आधी, कभी पौनी परसेन्टेज में हो जाती है। जैसे प्यार 100 परसेन्ट है वैसे पुरुषार्थ में सम्पन्नता, यह भी 100 परसेन्ट हो। ज्यादा भले हो, कम नहीं हो। पसन्द है? पसन्द है ना? शिवरात्रि पर जलवा दिखायेंगे ना! बनना ही है। हम नहीं बनेंगे तो कौन बनेगा! यह निश्चय रखो, हम ही थे, हम ही हैं और फिर भी हम ही होंगे। यह निश्चय विजयी बना देगा। पर-दर्शन नहीं करना, अपने को ही देखना। कई बच्चे रूहरिहान करते हैं ना, कहते हैं बस इसको थोड़ा सा ठीक कर दो, फिर मैं ठीक हो जाऊंगा। इसे थोड़ा बदली कर दो तो मैं भी बदली हो जाऊंगा लेकिन न वह बदलेगा न आप बदलेंगे। स्वयं को बदलेंगे तो वह भी बदल जायेगा। कोई भी आधार नहीं रखो, यह हो तो यह हो। मुझे करना ही है।
अच्छा, जो पहले बारी आये हैं - वह हाथ उठाओ। तो जो पहली बारी आये हैं उन्हों के लिए विशेष बापदादा कहते हैं कि ऐसे समय पर आये हो जब समय बहुत कम बचा है लेकिन पुरुषार्थ इतना तीव्र करो जो लास्ट सो फास्ट, फास्ट सो फर्स्ट नम्बर आ जाओ क्योंकि अभी चेयर्स गेम चल रही है। अभी किसकी जीत है, वह आउट नहीं हुआ है। लेट तो आये हो लेकिन फास्ट चलने से पहुंच जायेंगे। सिर्फ अपने आपको अमृतवेले अमर भव का वरदान याद दिलाना। अच्छा - सभी कोई दूर से कोई नजदीक से आये हैं। बापदादा कहते हैं भले पधारे अपने घर में। संगठन अच्छा लगता है। टी.वी. में देखते हो ना, सभा फुल होने से कितना अच्छा लगता है। अच्छा। तो एवररेडी? एवररेडी का पाठ पढ़ेंगे ना! अच्छा।
मधुबन निवासियों से:- मधुबन वाले हाथ उठाओ। बहुत हैं। मधुबन वाले होस्ट हैं और तो गेस्ट होकर आते हैं चले जाते हैं लेकिन मधुबन वाले होस्ट हैं। नियरेस्ट भी हैं, डियरेस्ट भी हैं। मधुबन वालों को देखकर सब खुश होते हैं ना। किसी भी स्थान पर मधुबन वाले जाते हैं तो किस नज़र से देखते हैं। वाह मधुबन से आये हैं! क्योंकि मधुबन नाम सुनने से मधुबन का बाबा याद आ जाता है इसलिए मधुबन वालों का महत्व है। है महत्व? खुश होते हो ना! ऐसा प्रेम पूर्वक पालना का स्थान कोटों में कोई को ही मिला है। सब चाहते हैं मधुबन में ही रह जाएं, रह सकते हैं क्या! आप रह रहे हो। तो अच्छा है। मधुबन वाले भूलते नहीं हैं, समझते हैं हमारे को पूछा नहीं लेकिन बापदादा सदा दिल में पूछते हैं। पहले मधुबन वाले। मधुबन वाले नहीं हों तो आयेंगे कहाँ! सेवा के निमित्त तो हैं ना! सेवाधारी कितने भी मिलें, फिर भी फाउण्डेशन तो मधुबन वाले हैं। तो जो ऊपर ज्ञान सरोवर में, पाण्डव भवन में हैं, उन सबको भी बापदादा दिल की दुआयें और यादप्यार दे रहे हैं। यहाँ जो टोली देते हैं वह ऊपर मधुबन में मिलती है? तो मधुबन वालों को टोली भी मिलती, बोली भी मिलती। दोनों मिलती हैं। अच्छा।
ग्लोबल हॉस्पिटल वालों से:- सभी हॉस्पिटल वाले ठीक हैं क्योंकि हॉस्पिटल का भी विशेष पार्ट है ना। आते हैं नीचे। अच्छा थोड़े आते हैं। हॉस्पिटल वाले भी अच्छी सेवा कर रहे हैं। देखो आईवेल में तो फिर भी हॉस्पिटल ही काम में आती है ना। और जब से हॉस्पिटल खुली है तब से सबकी नज़र में यह आया है कि ब्रह्माकुमारियां सिर्फ ज्ञान नहीं देती, लेकिन समय पर मदद भी करती हैं, सोशल सेवा भी करती हैं। तो हॉस्पिटल के बाद आबू में यह वायुमण्डल बदली हो गया। पहले जिस नज़र से देखते थे, अभी उस नज़र से नहीं देखते हैं। अभी सहयोग की नज़र से देखते हैं। ज्ञान मानें या नहीं माने लेकिन सहयोग की नज़र से देखते हैं तो हॉस्पिटल वालों ने सेवा की ना। अच्छा है।
अच्छा -आज की बात याद रही? सम्पन्न बनना ही है, कुछ भी हो जाए, सम्पन्न बनना ही है। यह धुन लग जाए, सम्पन्न बनना है, समान बनना है। अच्छा ।
चारों ओर के कोटों में कोई, कोई में भी कोई भाग्यवान, भगवान के बच्चे श्रेष्ठ आत्मायें, सदा तीव्र पुरुषार्थ द्वारा जो सोचा वह किया, श्रेष्ठ सोचना, श्रेष्ठ करना, लक्ष्य और लक्षण को समान बनाना, ऐसे विशेष आत्माओं को सदा बहुतकाल के पुरुषार्थ द्वारा राज्य भाग्य और पूज्य बनने वाले श्रेष्ठ आत्माओं को, सदा बाप के स्नेह का रिटर्न अपने को टर्न करने वाले नम्बरवन, विन करने वाले भाग्यवान बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:-विश्व कल्याणकारी की ऊंची स्टेज पर स्थित रह विनाश लीला को देखने वाले साक्षी दृष्टा भव
अन्तिम विनाश लीला को देखने के लिए विश्व कल्याणकारी की ऊंची स्टेज चाहिए। जिस स्टेज पर स्थित होने से देह के सर्व आकर्षण अर्थात् सम्बन्ध, पदार्थ, संस्कार, प्रकृति के हलचल की आकर्षण समाप्त हो जाती है। जब ऐसी स्टेज हो तब साक्षी दृष्टा बन ऊपर की स्टेज पर स्थित हो शान्ति की, शक्ति की किरणें सर्व आत्माओं के प्रति दे सकेंगे।
स्लोगन:-बलवान बनो तो माया का फोर्स समाप्त हो जायेगा। कार्यालय:-राजयोगभवन,E-5अरेराकॉलोनीभोपालमध्यप्रदेश संपर्क:-9691454063,9406564449,https://youtu.be/UhtMlI2rqq8?