14 march.2023/ शिव बाबा की मुरली (परमात्मा की वाणी) आज की प्रातः मुरली मधुबन से।
मुरली mp1news के माध्यम से पढ़ सकते हैं।YouTube की लिंक को क्लिक कर सुन भी सकते है। “मीठे बच्चे - शिवबाबा अलौकिक मुसाफिर है जो तुम्हें खूबसूरत (सुन्दर) बनाता है, तुम इस मुसाफिर को याद करते-करते फर्स्ट-क्लास बन जाते हो''
प्रश्नः-हर एक गॉडली स्टूडेन्ट्स को संगमयुग पर कौन सा पुरुषार्थ करने की श्रेष्ठ मत मिलती है?
उत्तर:-गॉडली स्टूडेन्टस को श्रीमत मिलती है कि इस समय पावन बन राजाई पद पाने का पुरुषार्थ करो। हरेक अपना फिक्र करो और दूसरों को कहो कि बेहद के बाप का वर्सा लेने के लिए इस अन्तिम जन्म में पवित्रता की राखी बांधो, इस मृत्युलोक में वृद्धि करना बन्द करो। बाप का बनकर स्वर्ग के लायक बनो। बाप की मत पर इस समय वाइसलेस बनने से तुम 21 जन्म के लिए वाइसलेस बन जायेंगे।
गीत:-ओ दूर के मुसाफिर...
ओम् शान्ति। यह रिकॉर्ड तो सब सुन रहे हैं दूर के मुसाफिर हमको भी साथ ले चल। तुम जानते हो हमारा मात-पिता वह है दूर का रहने वाला। यह मात-पिता नजदीक के रहने वाले हैं। सब मनुष्य उस दूर के मुसाफिर को याद करते हैं। दूर का मुसाफिर परिस्तान स्थापन करते हैं, जिसको स्वर्ग, हेविन कहा जाता है। वाइसलेस वर्ल्ड कहा जाता है। वहाँ दु:ख है ही नहीं। हे दूर के मुसाफिर - यह कौन पुकारते हैं? अगर सबमें परमात्मा है तो वह तो नहीं पुकारेंगे कि हे परमात्मा आओ। यह जरूर है कि सब दूर के मुसाफिर हैं, सबको मुसाफिरी करनी है वहाँ से यहाँ आने की। वास्तव में सब मनुष्यों की आत्मायें वहाँ परमधाम में रहने वाली हैं। यहाँ आई हैं पार्ट बजाने। लम्बी-चौड़ी मुसाफिरी है। परन्तु आत्मा पहुँचती है सेकेण्ड में। एरोप्लेन आदि भी इतना जल्दी नहीं जा सकता। आत्मा तो सेकेण्ड में सूक्ष्मवतन, मूलवतन उड़ जाती है। आत्मा एक शरीर छोड़ दूसरे शरीर में जाती है वा जो ऊपर से नई आत्मायें आती हैं, टाइम एक ही लगता है। नई आत्मायें आती तो रहती हैं ना। वृद्धि को पाती रहती हैं। आत्मा जितनी तीखी दौड़ी कोई लगा न सके।
तुम जानते हो बाप को भी मुसाफिरी करनी पड़ती है। वह एक ही बार आकर बच्चों को साथ ले जाते हैं। भक्त भी जानते हैं भगवान आकर हमको अपने पास ले जायेगा। यहाँ आकर मिलेगा, तो भी वापिस ले जाने लिए। गाते भी हैं - हमको पतित से पावन बनाने आओ। हमको भी साथ ले चलो। तुम जानते हो जो-जो अच्छी रीति बाप को याद करेंगे वही नजदीक आयेंगे। वन्डर है ना। वही तुम्हारा बाप भी है, टीचर भी है, सतगुरू भी है। नहीं तो बाप को अलग, टीचर को अलग याद किया जाता है। सारी आयु बाप भी याद रहता है, टीचर भी याद रहता है। आजकल छोटेपन से ही गुरू करा लेते तो मात-पिता, टीचर और फिर गुरू को याद करेंगे। फिर जब अपनी रचना रचते हैं तो अपनी स्त्री और बच्चों को भी याद करने लग पड़ते हैं। फिर मात-पिता आदि की याद कम होने लगती है। अब तुमको याद है, उस एक मुसाफिर की। आत्मा प्योर है, अगर वह नया शरीर ले तो वह बहुत फर्स्टक्लास मिलेगा। परमात्मा कहते हैं हमको तो नया शरीर मिलता नहीं। मैं आता हूँ तुमको खूबसूरत बनाने के लिए। वैकुण्ठ में तो सब चीज़ें होती ही खूबसूरत हैं। मकान भी हीरे-जवाहरों से सजे हुए रहते हैं। यह मुसाफिर कितना अलौकिक है! परन्तु तुम घड़ी-घड़ी उनको भूल जाते हो क्योंकि तुम्हारी है माया के साथ लड़ाई। माया तुमको याद करने नहीं देती है। बाप कहते हैं तुम मुझे क्यों नहीं याद करते हो? कहते हैं बाबा क्या करें परवश अर्थात् माया के वश हो जाते हैं। आपको भूल जाते हैं फिर वह खुशी नहीं रहती है। राजा के पास जन्म लेते हैं तो बच्चे बड़े खुश होते हैं। परन्तु द्वापर की राजाई में भी सुख-दु:ख तो होता ही है। कोई ने गुस्सा किया तो दु:ख हुआ। ऐसे नहीं राजाई में गुस्सा नहीं करते। प्रिन्स प्रिन्सेज को भी कभी गुस्से में उल्टा-सुल्टा कह देंगे। बच्चा लायक नहीं होगा तो फिर तख्त पर बैठ नहीं सकेगा। बड़ा बच्चा अगर लायक नहीं होता है तो फिर छोटे को बिठा देते हैं। यहाँ बाप कहते हैं श्रीमत पर चलते रहो। मैं तुम बच्चों को 21 जन्मों के लिए भारत का राजा बनाता हूँ। यह भारत दैवी राजस्थान था अर्थात् देवी-देवताओं का राज्य था। यह सिर्फ तुम ही जानते हो जो ईश्वरीय सन्तान बने हो ब्रह्मा द्वारा।
तुम बच्चे बाप की पूरी बायोग्राफी को जानते हो। बाकी कोई भी मनुष्य उनकी बायोग्राफी को नहीं जानते। हम गॉड फादर क्यों कहते हैं, यह भी नहीं जानते। पुकारते किसलिए हैं? हमको अपना वर्सा दो। परन्तु वह कैसे मिलता है, यह तो कोई जानते नहीं। वर्सा तो बाप से ही मिलेगा। बाप है मुसाफिर। यह जो सब हसीन (सुन्दर) थे, उनको माया ने काला कौड़ी तुल्य बना दिया है। मुसाफिर और हसीना की भी एक कहानी है। यह मुसाफिर कितनों को हसीन बनाते हैं और कितना ऊंच बनाते हैं! बाप हमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। हम बाप के बने हैं, वह हमको भगवान-भगवती बनाते हैं। कहते हैं तुम्हारी आत्मा छी-छी बनी है इसलिए शरीर भी ऐसे मिलते हैं। अब मुझे याद करने से आत्मा को पवित्र बनायेंगे तो शरीर भी नया मिलेगा। तुम सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी महाराजा-महारानी थे, अब माया ने गंदा बना दिया है। मेरे को भी भुला दिया है। यह भी खेल है। अब तुम जानते हो हर एक मुसाफिर को परिस्तान अथवा स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं। तो उनकी मत पर चलना है। ऐसे नहीं बापदादा को कोई बच्चों की मत पर चलना है। नहीं, बच्चों को श्रीमत पर चलना है। बाप को अपनी मत नहीं देनी है। ब्रह्मा की मत मशहूर है। वह हुआ जगत पिता तो जरूर जगत माता भी ऐसे ही होगी। जगदम्बा की मत से सबकी मनोकामनायें स्वर्ग की पूरी होती हैं। ऐसे नहीं इस जगदम्बा को भी किसी मनुष्य की मत पर चलना है। नहीं। मनुष्य तो जगदम्बा, जगतपिता की मत को जानते नहीं। कहते हैं ब्रह्मा भी उतर आये तो भी तुम सुधर न सको। जगदम्बा के लिए क्यों नहीं कहते? मनुष्यों को बिल्कुल पता नहीं कि यह क्यों पूजे जाते और यह कौन हैं? यह अभी तुम जानते हो। देखो, मम्मा सब तरफ जाती है मत देने के लिए। एक दिन गवर्मेन्ट भी इस मात-पिता को जान जायेगी। परन्तु पिछाड़ी में फिर टू-लेट हो जायेंगे। इस समय राजा-रानी का राज्य तो है नहीं। दुनिया यह नहीं जानती कि यह सब ड्रामा रिपीट हो रहा है। आगे हम थोड़ेही जानते थे कि हम एक्टर हैं। करके कहते हैं आत्मा नंगी आती है फिर चोला धारण कर पार्ट बजाती है। परन्तु ड्रामा के आदि-मध्य-अन्त को कोई नहीं जानते कि कौन नम्बरवन पूज्य सो पुजारी बनते हैं। कुछ भी नहीं जानते।
अभी तुम जानते हो यह मुसाफिर परमधाम का बड़ा अनोखा है, इनकी महिमा अपरमअपार है। यह तो है ही पतित दुनिया, जो पतित से पावन बनेंगे वही नई दुनिया के मालिक बनेंगे। सारी दुनिया तो स्वर्ग में नहीं चलेगी। राजयोग कोई सारी दुनिया नहीं सीखेगी। सारी दुनिया पावन होनी है इसलिए सफाई चाहिए। फिर तुमको पावन दुनिया में आकर राज्य करना है इसलिए सारी दुनिया की सफाई हो जाती है। सतयुग में कितनी सफाई थी! सोने-चांदी के महल होते हैं। अथाह सोना होता है। एक कहानी भी सुनाते हैं - सूक्ष्मवतन में सोना बहुत देखा, कहा - थोड़ा ले जाऊं परन्तु यहाँ थोड़ेही ले आ सकेंगे। अभी तुम दिव्य दृष्टि से वैकुण्ठ देखते हो जो अब स्थापन हो रहा है। जिसका रचयिता बाप है। मालिक है ना। मालिक धनी को कहा जाता है। जब कोई निधनके होते हैं तो कहा जाता है इनका कोई धनी धोनी नहीं है। धनी बिगर लड़ते-झगड़ते हैं।
अब तुम बच्चे जानते हो हम परमधाम से आये हैं, हम परदेशी हैं। यहाँ सिर्फ पार्ट बजाने आये हैं। बाप को जरूर आना पड़ता है। अब हम पतित से पावन बन ऊंच पद पाने का पुरुषार्थ कर रहे हैं। बाप हमको पढ़ा रहे हैं। हम गॉड फादरली स्टूडेन्ट्स हैं। यह भी सुन रहे हैं। जैसे यह पावन बन राजाई पद पाने का पुरुषार्थ करते हैं वैसे ही तुम सब करते हो। सब पुकारते हो - हे दूर के मुसाफिर आकरके हमको दु:ख से छुड़ाओ, सुखधाम में ले चलो। पावन दुनिया है सतयुग। वह है वाइसलेस वर्ल्ड, वही वर्ल्ड फिर विशश वर्ल्ड बन गया है। वाइसलेस वर्ल्ड में वाइसलेस रहते हैं। यहाँ सब विकारी हैं नाम ही है दु:खधाम, नर्क। बाप आकर पुरानी दुनिया को नया बनाते हैं, फिर से तुम बच्चों को राज्य भाग्य देना - यही तो बाप का काम है। उनको कहा जाता है दूर का मुसाफिर। आत्मा उनको याद करती है हे परमपिता परमात्मा। जानते हैं हम भी वहाँ परमधाम में परमपिता के पास रहने वाले थे। यह बाप ने समझाया है हम 84 जन्म भोग अब पतित बने हैं। पुकारते रहते हैं दूर के मुसाफिर आओ। हम तो तमोप्रधान पतित बन गये हैं, आप आ करके हमको सतोप्रधान बनाओ। तमोप्रधान से सतोप्रधान बनते हैं, फिर सतोप्रधान से तमोप्रधान बनेंगे। वह दूर का मुसाफिर आकर इनके द्वारा तुमको पढ़ाते हैं - मनुष्य को देवता बनाने के लिए। तो पुरुषार्थ करना चाहिए ना। बाप आकर प्रवृत्ति मार्ग बनाते हैं और कहते हैं यह एक अन्तिम जन्म पवित्र बनो तो पवित्र दुनिया के मालिक बनेंगे। इस पवित्रता पर ही झगड़ा चलता है। अबलाओं पर अत्याचार होते हैं। तुम बच्चों को तो अब श्रीमत पर चलना है। अब सभी की है विनाश काले विपरीत बुद्धि। बाप को जानते ही नहीं, उनसे विपरीत हैं। कह देते परमात्मा तो सर्वव्यापी है। सर्वव्यापी कहने से तो कोई प्रीत रही नहीं।
अब तुम बच्चे कहते हो हम सभी से प्रीत हटाए एक बाप से जोड़ते हैं तो जरूर उनसे वर्सा पायेंगे। बाप कहते हैं भल गृहस्थ व्यवहार में रहो परन्तु अगर परिस्तान की परी बनना है तो वाइसलेस बनो। नहीं तो वहाँ कैसे जन्म मिलेगा? यह तो है विशश वर्ल्ड, नर्क। वाइसलेस वर्ल्ड को स्वर्ग कहा जाता है। सृष्टि तो वही है सिर्फ नई से पुरानी, पुरानी से नई होती है। अब बाप आये हैं पतित दुनिया को पावन बनाने तो जरूर उनकी मत पर चलना पड़े। श्रीमत गाई हुई है। भगवान कहते हैं - बच्चे, मैं तुमको ऐसे भगवती-भगवान बनाता हूँ। वास्तव में तुम देवी-देवताओं को भगवती-भगवान नहीं कह सकते, इन सूक्ष्मवतन वासी ब्रह्मा-विष्णु-शंकर को भी देवता कहा जाता है, भगवान नहीं। सबसे ऊंच है मूलवतन, सेकेण्ड नम्बर में सूक्ष्मवतन। यह स्थूल वतन तो थर्ड नम्बर में है। यहाँ के रहने वालों को भगवान कैसे कहेंगे? विशश वर्ल्ड को वाइसलेस वर्ल्ड बनाने वाला एक ही है। अब जितना जो पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे। बच्चे जानते हैं कि मात-पिता, जगदम्बा, जगतपिता जाकर पहले-पहले महाराजा-महारानी बनते हैं। अभी तो वह भी पढ़ रहे हैं। पढ़ाने वाला शिवबाबा है। याद भी उनको करते हैं। तुम अब उनसे वर्सा लेते हो। बाप कहते हैं यह अन्तिम जन्म मेरी मत पर वाइसलेस होकर रहेंगे तो 21 जन्म तुम वाइसलेस बनेंगे। पुरुषार्थ करने का यह संगमयुग है। बाप कहते हैं मैं आया हूँ तो तुम इस जन्म में मेरी मत पर चल वाइसलेस बनो। हर एक को अपने आपका फिकर करना है और जो भी आये उनको कहना है बेहद के बाप से वर्सा लेना है तो पवित्रता की राखी बांधो। अब मृत्युलोक में वृद्धि नहीं करनी है। यहाँ तो आदि-मध्य-अन्त दु:ख है। आसुरी सम्प्रदाय हैं। सतयुग में तो देवी-देवता राज्य करते थे। अब नर्कवासी उन्हों की पूजा करते हैं। उन्हों को यह पता नहीं कि हम ही पवित्र पूज्य थे। अब हमको फिर पुजारी से पूज्य बनना है। क्या तुम चाहते हो कि हम बच्चे पैदा करें तो वह भी नर्कवासी बनें? नर्क में थोड़ेही बच्चे पैदा करना है। उससे तो क्यों न स्वर्ग में जाकर प्रिन्स को जन्म देवें। बाप का बनने से तुम लायक बनेंगे। आजकल तो बच्चे भी दु:ख देते हैं। बच्चा जन्मा तो खुश, मरा तो दु:ख। सतयुग में गर्भ में भी महल, तो बाहर आने से भी महलों में रहते हैं। अब बाप तुमको नर्कवासी से स्वर्गवासी बनाते हैं।
हम गॉडली स्टूडेन्ट्स हैं। बाप के बच्चे भी हैं, टीचर रूप से स्टूडेन्ट्स भी हैं। गुरू रूप में फालोअर्स भी पूरे हैं। अहम् आत्मा फालोअर्स हैं बाप के। बाप कहते हैं मुझे याद करो। याद से तुम पवित्र बन जाते हो। नहीं तो सजा खानी पड़ती है। बाकी धन्धाधोरी तो करना है, नहीं तो बाल-बच्चे कैसे सम्भालेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सभी तरफ से बुद्धि की प्रीत हटाकर एक बाप से जोड़नी है। पवित्र बन परिस्तान की परी बनना है।
2) मात-पिता की श्रेष्ठ मत पर हमें चलना है। देह-अभिमान वश उन्हें अपनी मत नहीं देनी है।
वरदान:-मास्टर ज्ञान सूर्य बन सारे विश्व को सर्व शक्तियों की किरणें देने वाले विश्व कल्याणकारी भव
जैसे सूर्य अपनी किरणों द्वारा विश्व को रोशन करता है ऐसे आप सभी भी मास्टर ज्ञान सूर्य हो तो अपने सर्व शक्तियों की किरणें विश्व को देते रहो। यह ब्राह्मण जन्म मिला ही है विश्व कल्याण के लिए तो सदा इसी कर्तव्य में बिजी रहो। जो बिजी रहते हैं वो स्वयं भी निर्विघ्न रहते और सर्व के प्रति भी विघ्न-विनाशक बनते। उनके पास कोई भी विघ्न आ नहीं सकता।
स्लोगन:-जिम्मेवारी सम्भालते हुए सब कुछ बाप को अर्पण कर डबल लाइट रहना ही फरिश्ता बनना है। कार्यालय:- राजयोग भवन, ई-5,अरेरा कॉलोनी, मेन रोड भोपाल मध्यप्रदेश। सम्पर्क:-9691454063,9406564449,https://youtu.be/TzU5xNSFJhY