भारत देवभूमी और पुण्यभूमी है-राम कथा में धर्म के असली अर्थ को समझाया:प्रेमभूषण जी महाराज ने,
कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम थावरचंद जी गहलोत ने भी राम कथा का श्रवण किया।

हमारी भारत भूमि पुण्य भूमि है संतों की वेदों की और ऋषि मुनियों की भूमि है। हम भाग्यशाली है कि हमारे देश में अब नेता धर्मशील होने लगे है और अब वे भी हवन भी करते है मंदिरों में भी जाते है और साधु संतों से आशीर्वाद भी लेते है। हमें अपने देश की परंपरा और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए। यह बात सांवेर में चल रही नौ दिवसीय रामकथा के तीसरे दिन पूज्य संत प्रेमभूषण जी महाराज ने कही। जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट जी के मार्गदर्शन मे सांवेर मे आयोजित इस कथा में बड़ी संख्या में लोग रोजाना रामकथा सुनने के लिए पहुच रहे है। संगीतमय रामकथा सुनने में न केवल सांवेर वासियो को बल्कि आसपास के क्षेत्र के लोगों को बहुत आनंद आ रहा है।

शिव पार्वती संवाद: रामकथा के तीसरे दिन पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने भगवान शिव का सुन्दर वर्णन किया। आपने कहा कि बाबा का रग अद्भुत है शिव जी किसी भी प्रकार का चयन नहीं करते आपको जो पसंद है वह उन्हें चढ़ा दो उनके दरबार में सभी का स्वागत है और सभी का कल्याण होता है।  शिवजी राम भजन में  मस्त रहते है। जो राम भजन में मस्त है उसका अपना अलग ही आनंद है। वह संसार के व्यवहार में क्या जाएगा। फिर पार्वती जी ने कहा आप सर्वज्ञ है सभी कलाओं के धाम है योग ज्ञान वैराग्य के खजाने है आप कल्पवृक्ष है आप कामधेनु है। अब राम नाम जपते रहते है कृपया मुझे भी रामकथा सुनाए। वेद जिनके बारे में नेती-नेती कहते रहते है योगी जिनका ध्यान करते रहते है वह राम जी कौन है? भगवान शिव ने गिरिराज कुमारी को देखकर आनंदित हुए कि आपको राम कथा सुननी है। ऐसा कौन है जो इस अमृत कथा को सुनना नहीं चाहेगा। केवल मृत्युलोक ही नहीं सभी लोको में रामकथा को बड़े चाव से सुना जाता है। रामकथा सुनने से जीवन के संशय दूर हो जाते है।

सगुण अगुण सब एक है: प्रेमभूषण जी महाराज ने कहा कि व्यवहार जगत से करो और प्रेम परमात्मा से करो क्योंकि परमात्मा से प्रेम करने में केवल निर्मलता है। और प्रेम और निर्मलता अपने आप में रामस्वरूप और कृष्ण स्वरूप है। धर्म कर्म करने वालों के लिए धर्म शब्द था: आपने कहा कि कुछ वर्ष पूर्व तक धर्म शब्द का प्रयोग जो लोग तीर्थयात्रा करने जाते थे उनके लिए ही प्रयुक्त होता था। तीर्थ यात्रा पर जा रहे है यानी धरम करम करने जा रहे है। राजनेता लोग भी डर जाते थे और धर्मनिरपेक्ष की बात की जाती थी जो धर्मनिरपेक्ष वही अच्छा माना जाता था। परतु अब वह शब्द ही समाप्त हो गया है अब हमारे नेतृत्व ही धर्मशील है। राम जन्मोत्सव: कथा के दौरान ही राम जन्म उत्सव को मनाया गया और मंच पर झूले में रामलला को बैठाया गया और पूजन भी किया गया। इस अवसर पर श्रद्धालुओं के आनंद अश्रु आ गए क्योंकि रामलला अवतरित हो गए थे।

कर्नाटक के राज्यपाल महामहिम थावरचंद गहलोत ने अपने संक्षिप्त उद्बोधन में रामकथा आयोजित करने के लिए मंत्री  तुलसी सिलावट को धन्यवाद दिया। साथ ही आपने कहा कि समय की मांग है धर्म संस्कृति और अध्यात्म की पताका का प्रचार हो। इसकी आवश्यकता इसलिए भी है क्योकि दुनिया के अन्य देश भारत से विश्वकल्याण और शांति स्थापित करने की अपेक्षा कर रहे है और हम भी वसुधैव कुटुंबकम की कल्पना को साकार करना चाहते है। इस अवसर पर इंदौर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा राज्यसभा सांसद सुश्री कविता पाटीदार श्रीमती इमरती देवी व क्रिकेटर देवेद्र बुदेला भी उपस्थित थी।                                                                                                                                         अरुण राठौर