पड़ोसी देशों में बाढ़-बारिश से फसलें तबाह, बढ़ी मांग


भोपाल । ये दिवाली गांव से लेकर बाजार तक सफेद सोने यानी कपास के बंपर उत्पादन से दमक उठेंगे। मालवा-निमाड़ समेत पूरे मध्यप्रदेश कपास का बंपर प्रोडक्शन का आंकलन है। मार्केट में फाइनेंशियल उछाल आने के साथ इस बार कपास की क्वालिटी भी अच्छी है। आवक शुरू हो गई है। यह लगातार बढ़ेगी। पहले हफ्ते में अच्छे दाम मिलने से किसान खुश हैं। अमूमन किसी भी चीज की बंपर पैदावार से दाम गिरते हैं, लेकिन बाजार के जानकारों का कहना है कि इस साल कपास के साथ ऐसी कंडीशन नहीं बनेगी।अग्रवाल और मध्यांचल कॉटन एवं ट्रेडर्स के सचिव व कपास व्यापारी मुन्नालाल  जायसवाल ने बताया कि बंपर पैदावार होने के बाद भी इस साल मध्यप्रदेश के किसानों को कपास के अच्छे दाम मिलेंगे। पड़ोसी देशों में बाढ़-बारिश की वजह से कपास की फसल को नुकसान पहुंचा है। ऐसे में वहां उत्पादन घटा है और डिमांड बढ़ी है। भारत से चीन, वियतनाम और अमेरिका तक कपास सप्लाई किया जाता है। उधर, निमाड़ में अनुकूल मौसम और अच्छी बारिश से बेहतर क्वालिटी के कपास के उत्पादन का अनुमान है। इस साल प्रदेश में 20 लाख गठान कपास (1 गठान में 170 किलो कपास होता है) उत्पादन की उम्मीद है। यह पिछले साल से डेढ़ लाख गठान ज्यादा है। अकेले खरगोन जिले से ही 4 लाख गठान कपास उत्पादन होने का अनुमान है।

देश-दुनिया और एमपी की स्थिति
मप्र एसोसिएशन ऑफ कॉटन प्रोसेसर्स एडं ट्रेडर्स के अध्यक्ष कैलाश अग्रवाल के मुताबिक भारत कपास उत्पादन में चीन को पछाड़कर पहले पायदान पर है। मध्यप्रदेश कपास उत्पादन में देश में 5वें स्थान पर है। पहले पर गुजरात, फिर महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश हैं। मध्यप्रदेश की मंडियों में नया कपास आने भी लगा है। किसानों से 7100 रुपए क्विंटल से लेकर 10000 रुपए क्विंटल तक में कपास खरीदा जा रहा है। 31 अगस्त से 5 सितंबर यानी 5 दिन (4 सितंबर को संडे ऑफ था) में मध्यप्रदेश की मंडियों में 1 हजार क्विंटल से ज्यादा कपास आया। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार हाल में कपास के रेट्स करीब 4 प्रतिशत तक गिरे। यह ज्यादा नीचे नहीं जाएंगे। भाव प्रति गठान 43,000 रु. तक पहुंच चुका है। इंटरनेशनल मार्केट में बेचवाली और भारत में इस साल अच्छी फसल हुई है। एक्सपोर्ट के लिए लिहाज से यह संकेत ठीक है।

अमरीका और पाकिस्तान में भारी नुकसान
एक बिजनैस मीडिया हाउस से बात करते हुए ओरिगो कमोडिटीज के पदाधिकारी ने कहा है कि चीन में लॉकडाउन और अमेरिका में मंदी की घबराहट से कमोडिटी मार्केट दबाव में है। अब कॉटन की वैश्विक सप्लाई में गिरावट आएगी। दुनियाभर में संभावित मंदी से आगे मांग कम हो सकती है। लेकिन अमेरिका, ब्राजील और पाकिस्तान में कॉटन की फसल को भारी नुकसान हुआ है। अमेरिका में सूखा है। करीब 10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन कम रहने की आशंका है। पाकिस्तान में बाढ़ से सब बेहाल हैं। वहां 5 लाख मीट्रिक टन कपास घट सकता है। लंबी अवधि में इंटरनेशनल मार्केट में कॉटन के लिए पॉजिटिव रहेगा।