ओटावा/नई दिल्ली। भारत और कनाडा के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है। भारत ने कनाडा के 41 राजनयिकों को देश से निकालने, वीजा सेवाओं को रोकने समेत कई बड़े कदम उठाए थे। इससे कनाडा बैकफुट पर आ गया था। कनाडा की विदेश मंत्री ने राजनयिकों को निकाले जाने के बाद नरम रुख अपना लिया था। बैकफुट पर आते हुए कनाडा ने कहा था कि हम भारत के साथ वार्ता को जारी रखेंगे। भारत ने अब भी कनाडा को पूरी तरह राहत नहीं दी है और 8 में से 4 कैटिगरीज में ही वीजा सेवाओं को शुरू किया है। 
 भारत ने कनाडा में रह रहे अपने राजनयिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता जताते हुए कहा था कि कनाडा को इस पर ध्यान देना होगा। एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कनाडा ने इस बात को गंभीरता से लिया है और सुरक्षा सुनिश्चित करने का वादा किया। अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच कई स्तरों पर बात हुई। लेकिन उन्होंने यह बताने से इनकार कर दिया कि मंत्री भी इसमें शामिल थे या नहीं। इसी महीने की शुरुआत में एक मीडिया रिपोर्ट में एस. जयशंकर और कनाडा की विदेश मंत्री मेलानी जॉली की मुलाकात हुई थी। हालांकि इस रिपोर्ट को भारत सरकार ने खारिज कर दिया था। अधिकारी ने कहा कि ऐसा फैसला इसलिए लिया गया है ताकि कनाडा में रह रहे भारतीय मूल के लोगों और कारोबारियों के हितों को नुकसान न हो। 
भारत मूल के कनाडा में बसे लोग भी यात्रा नहीं कर पा रहे थे। अब एंट्री वीजा की शुरुआत के बाद उनके लिए ऐसा करना आसान होगा। एक अधिकारी ने कहा कि इससे उन 85 फीसदी लोगों को फायदा होगा, जिनके पास ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया का कार्ड नहीं है। भारत और कनाडा के बीच काराबोर से जुड़े लोगों ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। कनाडा ने भारत से बातचीत में बताया कि किन अधिकारियों को क्या सुविधाएं दी गई हैं और उनकी सुरक्षा कैसे तय की जा रही है। हालांकि कनाडा में भारत के उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने बताया कि सुरक्षा बढ़ाने भर से कुछ नहीं होता। वर्मा ने कहा कि यह जरूरी है कि राजनयिक आसानी से मूवमेंट कर सकें। अभी धमकियों के चलते उनके आने-जाने तक पर रोक है।