सीबीआई अदालत ने फर्जी पुलिस आरक्षक को सुनाई सजा
भोपाल । फर्जी पुलिस आरक्षक को सीबीआई की विशेष अदालत ने कल सात वर्ष की कैद और 10 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। मप्र व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) की पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा में हुए घोटाले के मामले में आरोपित वीरेश कुमार को यह सजा सुनाई है। यह फैसला विशेष न्यायाधीश नीतिराज सिंह सिसोदिया ने सुनाया। दोषी भिंड के ग्राम माहो का रहने वाला है। वह लगभग आठ वर्ष पांच माह पुलिस में नौकरी कर चुका था। वर्तमान में वह ग्वालियर के झांसी रोड थाने में पदस्थ था। शासन की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुनील श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपित वीरेश कुमार पर छल कर दस्तावेजों की कूटरचना करने, परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने, डमी कैंडिडेट के द्वारा परीक्षा दिलवाने के आरोप थे। इन सभी आरोपों को अदालत ने मानते हुए सजा सुनाई है। उल्लेखनीय है कि कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा अप्रैल 2013 में पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा आयोजित की थी। जिसमें अभियुक्त ने आवेदन प्रस्तुत किया था और उसका पुलिस आरक्षक के पद पर चयन हो गया था। शिकायत होने पर एसटीएफ पुलिस ने अपराध दर्ज किया था। आरोपों के बाद जांच में पाया गया कि उक्त परीक्षा की ओएमआर एवं रासा शीट पर अंकित हस्तलिपि, हस्ताक्षर वीरेश कुमार के नहीं थे। यह भी पाया गया कि वह स्वयं उक्त परीक्षा में सम्मिलित नहीं हुआ था, उसने अपने स्थान पर किसी अज्ञात से परीक्षा दिलवाई थी। बता दें कि दोषी पाए गए वीरेश कुमार को उक्त परीक्षा में रोल नंबर 637051 आवंटित हुआ था। उसे ग्वालियर के यमुना नगर दर्पण कालोनी, ठाटीपुर स्थित बीबीएम कालेज आफ मैंनेजमेंट एजुकेशन में परीक्षा केंद्र मिला था।