लखनऊ । मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन की बात मुकाम तक पहुंचने वाली है। दोनों पार्टियों के शीर्ष नेतृत्व के बीच एक-दो दौर की बात हो चुकी है और जल्द ही इसकी  आधिकारिक घोषणा की हो जायेगी। हालांकि समाजवादी पार्टी नेतृत्व ने मध्य प्रदेश की छह सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान भी कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में साल 2003 में हुए विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने सात सीटों पर कब्जा जमाया था। वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में सपा ने बिजावर सीट जीती थी, जबकि पांच सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। दरअसल, मध्य प्रदेश में 25-30 सीटों पर यादव मतदाता निर्णायक माने जाते हैं। वैसे करीब 50 सीटों पर यादव मतदाता हार-जीत मंे अहम भूमिका निभाते रहे हैं। सपा का ‘माई’ फार्मूला यानि मुस्लिम और यादव उत्तर प्रदेश में उसे सत्ता तक सौंप चुका है। वहीं इस बार मुस्लिमों का रुझान कांग्रेस के प्रति है, पर यादव मतदाताओं पर भाजपा की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसीलिए यादव मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस समाजवादी पार्टी के साथ गठजोड़ करने को तैयार है। वैसे भी इण्डिया गठबंधन में दोनों ही दल शामिल हैं। सूत्रों के मुताबिक, सपा गठबंधन के तहत मांग रही है। माना जा रहा है कि सपा-कांग्रेस के बीच सब कुछ तय हो जाने के बाद अखिलेश यादव समेत सभी प्रमुख नेता साझा मंच से प्रचार करेंगे तो यादव मतदाताओं को साथ लाने में मदद मिलेगी। इससे अंततः कांग्रेस को ही फायदा होगा। दूसरी ओर सपा राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने की ओर बढ़ेगी। विदित हो कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव 27 व 28 सितंबर को मध्य प्रदेश के दौरे पर रहे थे। उन्होंने वहां जातीय जनगणना के कांग्रेस के समर्थन को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ना बताया था। साथ ही यह भी कहा था कि जिसे कांग्रेस टिकट न दे, उसे सपा चुनाव लड़ा सकती है। राजनीतिक हलकों में इसे दबाव की राजनीति माना जा रहा है, ताकि कुछ खास हिस्सों में अपनी पकड़ दिखाते हुए यह भी अहसास करा दिया जाए।