राजधानी में 68.25% वाहन चालकों के पास ड्राइविंग लाइसेंस ही नहीं है। केवल 31.75% वाहन चालक ही लाइसेंस के साथ वाहन चलाते हैं। यह स्थिति प्रदेश में संभवत: सबसे खराब है। ऐसा इसलिए क्योंकि, इंदौर में 71.7% वाहन चालक जबकि, जबलपुर में 51.36% वाहन चालक ड्राइविंग लाइसेंस रखते हैं। राजगढ़ की स्थिति भी भोपाल से बेहतर है।

यह जानकारी खुद सरकार ने विधानसभा में कांग्रेस विधायक जयवर्धन सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में दी है। सरकार की ओर से बताया गया है कि मप्र में सबसे अधिक पंजीकृत वाहन इंदौर में हैं। भोपाल दूसरे और ग्वालियर तीसरे स्थान पर है। प्लास्टिक कार्ड की उपलब्धता न होने के कारण बड़े पैमाने पर वाहनों को पंजीयन कार्ड और चालकों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किए जा सके।

हर 10 लोगों में एक वाहन
राजधानी में 174,087 लाख वाहन हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार शहर की आबादी 17.75 लाख थी। इस आधार पर मानें तो राजधानी में लगभग 10 लोगों पर एक वाहन है। इसकी तुलना में ड्राइविंग लाइसेंस सिर्फ 32 लोगों में एक ही के पास है।

1498 लोगों को आवेदन के बाद भी नहीं मिला डीएल

राजधानी में 1,498 लोग ही ऐसे हैं जिन्हें आवेदन के बाद भी लाइसेंस नहीं मिले। नए वाहन खरीदने वाले 2528 लोगों को पंजीयन कार्ड नहीं दिए गए। जानकारों का कहना है कि राजधानी में लाइसेंस को लेकर जागरुकता का अभाव है। पुलिस केवल दुर्घटना होने पर ही ड्राइविंग लाइसेंस चेक करती है। ऐसे में जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस है वे भी उसे लेकर नहीं चलते।