भोपाल । विधानसभा चुनाव के पहले आंदोलनों की बाढ़ आ गई है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले 4 वर्षों में जितने आंदोलन नहीं हुए। उससे ज्यादा आंदोलन पिछले 4 माह में हो गए हैं। कुछ इसी तरीके की स्थिति जिला मुख्यालयों पर भी बनी हुई है। आए दिन जिलों में भी आंदोलन और प्रदर्शन हो रहे हैं। कर्मचारी संगठन और अन्य संगठन लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। ताकि चुनाव के पहले सरकार उनकी बात को मान ले। चुनाव के बाद फिर उनकी मांग पर सुनवाई नहीं होगी। जिसके कारण सभी वर्गों को सरकार तक अपनी अपनी बात पहुंचाने के लिए आंदोलन का सहारा लेना पड़ रहा है।
सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस बल को हो रही है। पुलिसकर्मियों को 18 से 20 घंटे तक की ड्यूटी करनी पड़ रही है।वह लगातार तनाव से गुजर रहे हैं।आए दिन होने वाले प्रदर्शन और राजनीतिक दलों की रैली और जनसभाओं के कारण पुलिसकर्मी बुरी तरह से परेशान हैं। नेताओं के दौरे बढ़ गए हैं। उनकी सुरक्षा में भी काफी पुलिस बल लग रहा है। विशेषकर महिला पुलिस कर्मियों की जब वीवीआइपी ड्यूटी लगती है। तब उन्हें खाने-पीने और टॉयलेट जैसी समस्याओं से उन्हें जूझना पड़ता है। जिसके कारण पुलिस बल में भारी दबाव देखने को मिल रहा है।  
पुलिस बल संख्या में काफी कम है। स्वीकृत पदों से कम संख्या में पुलिस बल काम कर रहा है। आए दिन आसपास के जिलों से पुलिस बल बुलाया जाता है।इन पुलिसकर्मियों को सबसे ज्यादा परेशानियों से गुजरना पड़ता है। विशेष रूप से आरक्षक और महिला आरक्षक बहुत परेशान हैं। आए दिन आसपास के जिलों से पुलिस बल को बुलाकर ड्यूटी पर लगाया जाता है। लेकिन उनके खाने-पीने और सुख सुविधाओं का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। जिसके कारण पुलिस बल में तनाव बढ़ता जा रहा है।