भोपाल/ राज्यों के मंत्रियों के जल सम्मेलन में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट का प्रेजेंटेशन
कुशाभाऊ ठाकरे इन्टरनेशनल कन्वेशन सेंटर भोपाल में आरंभ जल-संरक्षण पर राज्यों के मंत्रियों के जल सम्मेलन में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने मध्य प्रदेश का प्रेजेंटेशन देते हुए यह जानकारी दी की मध्य प्रदेश अगले कुछ सालों में भारत का सबसे ज्यादा सतही जल स्टोर करने वाला राज्य बन सकता है। मप्र जल संसाधन विभाग ने बीते दो साल में जल संरक्षण से जुड़े 126 नए प्रोजेक्ट शुरू किए हैं, इनमें 4 वृहद्, 10 मध्यम और 112 लघु सिंचाई परियोजनाएं शामिल हैं। सभी प्रोजेक्ट की कुल लागत 6 हजार 700 करोड़ रुपए है। परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी तो इनसे 3.34 लाख हेक्टेयर जमीन में नई सिंचाई क्षमता विकसित हो जाएगी। सिलावट ने केन बेतवा राष्ट्रीय परियोजना से मप्र को होने वाले फायदों के बारे में बताया। सिलावट ने निर्माणाधीन कारम डेम के क्षतिग्रस्त होने की आशंका के बाद बिना जनहानि के डेम से पानी निकालने को आपदा प्रबंधन के मॉडल के रूप में पेश किया।
6601 करोड़ से ग्वालियर-चंबल में शुरू होगी माधवराव सिंधिया सिंचाई परियोजना
जल संसाधन विभाग के प्रेजेंटेशन में बताया गया कि प्रदेश के जल संकट वाले इलाके ग्वालियर-चंबल में सिंचाई और पेयजल दोनों जरूरतों को पूरा करने के लिए श्रीमंत माधवराव सिंधिया नवीन बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना शुरू की जा रही है।
इससे गुना, शिवपुरी और श्योपुर जिले को लाभ मिलेगा। 6601 करोड़ रुपए लागत से 6 नए जलाशय बनाए जाएंगे। इससे दो लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई हो सकेगी। सिलावट ने बताया कि प्रोजेक्ट का सर्वे हो चुका है, डीपीआर का परीक्षण चल रहा है।
25 बांधों की मरम्मत करने के लिए 5 साल में 551 करोड़ रुपए खर्च करेगा मध्य प्रदेश
जल संसाधन मंत्री ने बताया कि आगामी 5 वर्षों में 27 पुराने बांधों की मरम्मत की जाएगी। इसके लिए विश्व बैंक के सहयोग से 551 करोड़ रुपए की स्वीकृति मिल गई है। बांध सुरक्षा अधिनियम-2021 के प्रावधान मप्र में लागू कर दिए गए हैं। डेम सेफ्टी रिव्यू पैनल भी मप्र में गठित हो गया है, जो प्रति वर्ष संवेदनशील बांधों का निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा।
बुंदेलखंड के जल संकटग्रस्त 678 गांवों में चल रही है अटल भू-जल योजना
बुंदेलखंड के ग्रामीण इलाकों में पेयजल का गंभीर संकट है। इसे दूर करने के लिए ‘अटल भू-जल योजना’ लागू की गई है। योजना में शामिल 678 गांवों में पानी के भू-जल स्रोत का संवर्धन किया जा रहा है। 314.54 करोड़ रुपए की लागत से याहं के छह जिलों के नौ विकासखंडों में यह काम चल रहा है।