इंदिरा गांधी को लेकर सोशल मीडिया में बड़ी तारीफ चल रही है ठीक भी है उन्होंने 90 हजार पाकिस्तानी फौजों का सरेंडर करवाया था पाक सैनिकों के बक्कल बेल्ट जूते तक उतरवा कर हाथ ऊपर करवाके घुटनों पर ला दिया था।अमरीका को कह दिया था 7 वा बेड़ा हो या 70 व हम परवाह नहीं करते इंदिराजी ने किसी बड़े देश की कोई बात सुनने से इनकार कर दिया था, ये तो हुई दुर्गा स्वरूप स्वर्गीय प्रधानमंत्री इंदिराजी की कहानी।अब इस सरेंडर के आगे की कहानी मै बताती हूं।जुल्फिकार अली भुट्टो जो पाक के हारे हुए प्रधानमंत्री थे वो अपने बलात्कारी सैनिकों को छुड़वाने की गुहार लेकर भारत की शरण में पहुंचे ।उनके साथ उनकी खूबसूरत बेटी बेनजीर भी तशरीफ लाई बेनजीर का मतलब जिसकी मिसाल नहीं ।साथ ही पाकिस्तान का मीडिया भी तशरीफ फरमा था ।ये जो बैठक हुई वो शिमला में हुई ।इसलिए इस बैठक को शिमला समझौता कहा गया ।जिसमें हमने पाक से जीते हुए इलाके उसको वापिस लौटा दिए।उनके 90 हजार सैनिक लौटा दिए बिना किसी शर्त के।यहां तक के पाक द्वारा बंदी बनाए गए सैनिकों की रिहाई की भी मांग नहीं रखी।इसी शिमला समझौते में यह तय हुआ के तमाम तनावों के बीच एक दूसरे पर हमला नहीं करेंगे वार्ता के जरिए समय को सुलझाएंगे वगैरा वगैरा।
असली कहानी तो जुल्फिकार अली भुट्टो अपनी आत्मकथा में लिखते है भारतीय मीडिया और इंदिराजी के व्यक्तित्व पर जुल्फिकार अली भुट्टो जो भारत से हजार साल युद्ध करने का नारा देता था उसने भारतीय मीडिया के बारे में लिखा के मेरी बेटी को साथ ले जाकर मैने अपना आधा मैदान जीत लिया भारतीय मीडिया शिमला समझौता की रिपोर्टिंग तो कर रहा था पर उसका फोकस बेनजीर की तरफ ज्यादा था, भारतीय मीडिया बेनजीर की सेंडिल की हील उसके दुपट्टे उसके मस्कारा रूज लिपस्टिक और ड्रेस के साथ उसकी खूबसूरती के कसीदे गढ़ रहा था।यही कुछ हिना रब्बानी जो पाक की कुछ समय पहले विदेश मंत्री थी उनके दिल्ली आगमन के दौरान मीडिया उनकी खूबसूरती बालों गॉगल ड्रेस सेंडिल चप्पल ओर हैंड बैग के कसीदे गढ़ रहा था वो हिंदुस्तान क्यों आई थी आधे से ज्यादा मीडिया नहीं जानता पर शिमला समझौते के लिए जुल्फिकार जो मीडिया टीम लिए थे पाक से उसने क्या किया ।पाक मीडिया ने अपना काम बखूबी किया वो इंदिराजी की आत्म मुग्धता से वाकिफ थे ।उन्होंने लगातार इंदिराजी के व्यक्तित्व उनकी बहादुरी उनके कड़े निर्णय लेने की क्षमता ओर एक तरह से इंदिराजी को सुपर पावर की तरह पेश किया फाइनली 90 हजार सैनिक जाते हुए इलाके ओर अपने बंदी सैनिकों के रिहाई के बिना शिमला समझौता संपन्न हुआ।ओर इस समझौते की सबसे बड़ी बात जिस पर लोग चर्चा नहीं करते वो यह के हम विजेता थे पाकिस्तान हताश और हारा हुआ था जुल्फिकार भुट्टो उस कंडीशन में नहीं था के हमसे अपनी कोई बात मनवा सकता ।हमारे पास बात करने का बड़ा अवसर था जिसको भुट्टो ने उल्टे होकर मान हो लेना था ।90 हजार सैनिक जीते हुए इलाके वापिस लौटने के पहले भारत को पाक अधिकृत कश्मीर वापिस लेना था इंदिराजी को पक्का जानिए पाक उल्टा होकर तश्तरी में रखकर पाक अधिकृत कश्मीर भारत को लौटता वो भी बिना शर्त के।इस पर कोई चर्चा क्यों नहीं होती।इंदिराजी हमारे देश की अभूतपूर्व प्रधानमंत्री ओर साहसी महिला थी फिर भी चूक तो हुई उनसे भी।इसलिए आज मोदीजी को युद्ध विराम पर कायर बता कर असफल बताने वाला सोशल मीडिया या मोदी विरोधी मीडिया सिर्फ एक पक्ष को लेकर हल्ला मचा रहा उसको समझना चाहिए के मोदी सरकार पहली सरकार है जिसने पाक के घर में घुसकर मारा है उसकी प्रगति को 50 साल पीछे भारतीय सेना ने खदेड़ दिया है ।आज भारत ने पाकिस्तान को अपने ही घरेलू झगड़ों  अलगाववाद और विभाजन की कगार पर खड़ा कर दिया है।हम अपने देश उसके पिछले ओर आज के नेतृत्व और शक्ति पर विश्वास रखते है  इसलिए देश ओर नेतृत्व को गरियाने के पहले थोड़ा इतिहास का अवलोक बेहद आवश्यक है।
                                                                                                                                                                                                  वरिष्ठ पत्रकार/प्रांतीय अध्यक्ष महिला पत्रकार संघ-अनुराधा त्रिवेदी

न्यूज़ सोर्स : mp1news Bhopal