भोपाल ।  शासन की संपूर्ण व्यवस्थाओं में जनता के प्रति जवाबदेही, पारदर्शिता और सेवा-भाव से सभी को समर्पित कार्यप्रणाली सुनिश्चित करना सुशासन का मूलमंत्र है। भारतवर्ष में आदिकाल से ही सुशासन की परंपरा रही है। इसी परंपरा पर चलते हुए मध्य प्रदेश भी सुशासन के नए अध्याय लिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उनके लिए सुशासन के प्रेरणास्रोत हैं। यह बात मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव ने शुक्रवार को नई दिल्ली के डा. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में रामभाउ म्हलगी प्रबोधिनी संस्था द्वारा आयोजित सुशासन महोत्सव 2024 के मध्य प्रदेश के सत्र के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सुशासन की परिकल्पना में प्रदेश के मंत्रिमंडल को दक्ष बनाने और जनता के प्रति जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई थी। इससे मंत्रिमंडल को प्रशिक्षण के उपरांत अधिकारियों पर निर्भरता भी कम होगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य, रोजगार और पर्यावरण सरकार की प्राथमिकताएं हैं, जिस पर पिछले दो माह से काम जारी है। पहली ही कैबिनेट में प्रदेश में सभी जिलों में एक्सीलेंस महाविद्यालय स्थापित करने का निर्णय लिया गया था। खाद्य सुरक्षा अधिनियम और कोलाहल अधिनियम के तहत प्रभावी कार्रवाई करते हुए लगभग 25,000 दुकानें एक दिन में बंद करवाई गईं और 32,000 से अधिक ध्वनि प्रदूषण यंत्र जब्त किए गए। सुशासन महोत्सव का उद्घाटन राज्य सभा सदस्य जेपी नड्डा ने किया। इस अवसर पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और रामभाउ म्हलगी प्रबोधिनी के अध्यक्ष देवेन्द्र फडणवीस तथा उपाध्यक्ष डा. विनय सहत्रबुद्धे भी उपस्थित थे।