नई दिल्ली । स्कूली में बच्चों को क्या पढ़ाना, क्या नहीं पढ़ाना यह सरकार का काम है, इस संबंध में कोर्ट कोई ‎निर्देश नहीं दे सकती है। बता दें ‎कि हार्ट अटैक से जान बचाने में कारगर सीपीआर तकनीक को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग को लेकर एक या‎चिका लगाई थी, ‎जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया है। सुनवाई के दौरान सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि याचिका में की गई मांग सरकार के नीतिगत मसलों के तहत आती है। सरकार को तय करना है कि स्कूली बच्चों का पाठ्यक्रम क्या हो। ऐसी अनगिनत चीज़े हो सकती हैं जिनकी जानकारी बच्चों को पढ़ाई के दौरान ही होनी चाहिए पर कोर्ट अपनी ओर से उन सब को पाठ्यक्रम में शामिल करने का निर्देश नहीं दे सकता। हालां‎कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि इस बाबत आप चाहें तो सरकार को ज्ञापन दे सकते हैं। बता दें ‎कि सीपीआर सिखाने की मांग करने वाली याचिका पर याचिकाकर्ता ने मांग की थी कि हाल के समय में हार्ट अटैक से मौत के बढ़ते मामलों को देखते हुए स्कूलों में बच्चों को हृदय रोग संबंधी शिक्षा दी जानी चाहिए। 
या‎चिका में आपातकालीन स्थिति में सीपीआर के जरिए मरीज की सहायता कैसे की जाए, इसकी भी मांग की गई थी। लेकिन कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सीजेआई ने कहा कि बच्चे क्या पढ़ें, यह हम तय नहीं कर सकते। बताया गया ‎कि बीते कुछ महीनों से ऐसी कई घटनाएं सामने आ रही हैं जिसमें स्कूली बच्चे भी हार्ट अटैक के शिकार हुए हैं। इसी साल पिछले सितंबर माह में लखनऊ के सिटी मांटेसरी स्कूल में नौवीं कक्षा के एक छात्र की अचानक मौत हो गई थी। उस छात्र की मौत को भी हार्ट अटैक से मौत माना गया था। इसी तरह अक्टूबर के महीने में राजस्थान के बीकानेर में एक मासूम की देखते ही देखते तबीयत खराब हुई और उसकी मौत हो गई। इस तरह के कई और मामले देखे गए हैं।