ब्रह्मकुमारीज सेन्टर राजयोग भवन ई -5 अरेरा कॉलोनी भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में अहमदाबाद से पधारी शारदा दीदी ने कहा, कल्याणकारी संगमयुग का हर पल मोस्ट वैल्युएबल है। इस गॉडली स्टूडेंट लाइफ की पढ़ाई है ही स्वयं को देह और उसके संबंधों से उपराम करें। इन चर्म चक्षुओं से किसी को मत देखो। जब देह के भान में आ जाते हैं तो वृत्तियां बदल जाती हैं। उन्होंने कहा कि व्रत वृति को परिवर्तन करता है। उन्होंने उदाहरण के तौर पर सभी को समझाते हुए कहा कि अगर दुनिया में कोई व्यक्ति व्रत रखता है तो उसके सामने आप चाहे कितने भी प्रकार के व्यंजन ले आएं वो नहीं खाएगा और उसकी बुद्धि भी उस भोजन में नहीं जाएगी। उन्होंने कहा कि हर सुबह स्वयं को स्मृति दिलाएं की स्वयं को आत्मा ही समझना है। उन्होंने कहा कि जैसे कायदे में चलने में फायदा है ऐसे वायदा निभाने में भी फायदा है। उन्होंने कहा कि सदा ये याद रखना है कि जिसे पूरी दुनिया पुकार रही है  वो मुझे मिल गया है। खुद की देह के संग में आएं। जिसके संग में हैं वो दिखेगा।ज्ञान को जीवन में धारण करना बहुत आवश्यक है। ज्ञान हमारे जीवन में स्पष्टता लाता है, परिवर्तन लाता है। समय की आवश्यकता को देखते हुए हमे स्व परिवर्तन की गति को बढ़ाना होगा। अमृत वेले का योगाभ्यास तथा दैनंदिन ईश्वरीय महा वाक्यों का श्रवण, मनन और चिंतन निश्चित रूप से हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाने में बहुत उपयुक्त सिद्ध होगा। जिससे हम अपनी फरिश्ता स्थिति को प्राप्त कर ब्रह्मा बाबा के समान जल्द बन सकेंगे।              शारदा दीदी ने अपने वक्तव्य में कहा कि आज हर एक मनुष्य के अन्दर निगेटिव (नकारात्मक) बाते बहुत है। उसको निकालने के लिए हमें अपने अन्दर सकारात्मक विचार लाने होगे तभी हम अपने अन्दर की नकारात्मकता को निकाल सकते है। हमें अपने जीवन में हमारी दिनचर्या को बनाना चाहिए।                                                                            कार्यक्रम में बी.के. डॉक्टर दिलीप नलगे जी ने "मां शारदे" गीत गाकर शारदा दीदी के प्रति अपनें भाव प्रकट किए।सभी अतिथियों का शब्द सुमनों द्वारा स्वागत ब्रह्मकुमारीज सेन्टर राजयोग भवन मध्य प्रदेश की जोनल डायरेक्टर बीके अवधेश बहन जी ने किया।