रायपुर: राज्य सरकार द्वारा सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर लगाए गए प्रतिबंध के खिलाफ चौतरफा विरोध जारी है। अब तक 35 नियमित और संविदा डॉक्टरों ने अपने इस्तीफे दे दिए हैं, और अन्य डॉक्टरों ने भी इस्तीफे की तैयारी शुरू कर दी है। इस विवादित मुद्दे पर बुधवार को भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के प्रतिनिधिमंडल ने स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल से मुलाकात कर अपनी बात रखी।

स्वास्थ्य मंत्री का बयान

स्वास्थ्य मंत्री ने बैठक के दौरान स्पष्ट किया कि जो डॉक्टर नॉन प्रैक्टिसिंग इलॉवेंस (NPA) नहीं ले रहे हैं और जिनकी प्रैक्टिस से अस्पताल में कोई व्यवधान नहीं हो रहा है, उन्हें पूर्व की तरह प्रैक्टिस करने की छूट दी जाएगी। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि मंत्रालय आदेश की समीक्षा करेगा, जिससे संभावना जताई जा रही है कि सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाए गए प्रतिबंध में बदलाव किया जा सकता है।

मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन भी विरोध में उतरा

इस बीच, मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन ने सरकार के इस निर्णय पर आपत्ति जताई है। एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद ने कहा कि यह फैसला सही नहीं है। उन्होंने सवाल उठाया कि स्पेशलिस्ट और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर अपने घरों पर प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे, यह स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा। उन्होंने बताया कि सूचित किया गया है कि बहुत जल्द एक डॉक्टरों का प्रतिनिधिमंडल डीएमई और स्वास्थ्य मंत्री से मिलकर डॉक्टरों के हितों की रक्षा के लिए अपने विचार रखेगा।

प्रतिनिधिमंडल ने आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पतालों के अटके हुए पेमेंट पर भी स्वास्थ्य मंत्री से बात की। मंत्री ने आश्वासन दिया कि सभी बकाया भुगतान समय पर किए जाएंगे, जिससे अस्पतालों की वित्तीय स्थिति में सुधार की उम्मीद की जा रही है।