प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी तहखाने में पूजा करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई पूरी नही हो सकी। कोर्ट अब यह सुनवाई 12 फरवरी को करेगी। इसके पहले सुनवाई शुरू होते ही मंदिर पक्ष की ओर से जिला जज के आदेश को सही बताया गया। वहीं, मस्जिद पक्ष ने इसे गलत बताया। दोनों पक्षों की ओर से तर्क दिए गए। कोर्ट ने बहस पूरी न होने से सुनवाई को 12 फरवरी तक के लिए टाल दिया।
गौरतलब है कि मंगलवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज्ञानवापी परिसर स्थित तहखाने में पूजा के अधिकार को चुनौती देने वाली याचिका पर दो घंटे तक जमकर बहस हुई थी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने दावा किया था कि जिला जज ने मंदिर पक्ष की अर्जी 17 जनवरी को ही निस्तारित कर दी थी। फिर, बगैर अर्जी ही 31 जनवरी को पूजा का अधिकार का आदेश दे दिया। मंदिर पक्ष ने दावा किया कि सबको सुनकर फैसला हुआ है।
न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ के समक्ष याची अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी और पुनीत गुप्ता ने तर्क दिया कि जब 17 जनवरी को वाराणसी की जिला अदालत ने डीएम को रिसीवर नियुक्त करने की मांग मंजूर कर ली तो बिना किसी दूसरी अर्जी के जिला जज ने 31 जनवरी को कैसे आदेश पारित कर दिया। जिला जज ने सेवानिवृति के दिन ही आनन-फानन में पूजा की इजाजत देकर नए विवाद को जन्म दिया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मूल वाद (1991 में दाखिल केस) तय हुए बिना दाखिल हो रही अर्जियों पर नाराजगी जताई थी। कहा, अभी जिला अदालत में मामला विचाराधीन है। फिर क्या पब्लिक स्टंट के लिए यह अर्जियां दाखिल की जा रही हैं? कोर्ट ने मंदिर पक्ष से वाराणसी जिला अदालत में लंबित वादों की संख्या भी पूछी। कहा, सभी मामलों को एक साथ सुनने का आग्रह क्यों नहीं किया जा रहा है। इस पर मंदिर पक्ष ने बताया कि ज्ञानवापी मामले से जुड़े आठ मामले वाराणसी जिला अदालत में लंबित हैं। इनमें दो मामले सिविल जज सीनियर डिवीजन और बाकी छह मामले जिला जज के यहां लंबित हैं।