नई दिल्ली । भारत ने विश्व की बड़ी शक्तियों के साथ संबंध प्रगाढ़ करने के लिए ‘टू प्लस टू’ वार्ता का जो दौर शुरू किया था उसमें एक नया अध्याय टोक्यो में जुड़ा गया हैं, जहां भारत और जापान के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक हुई। बैठक में चीन की ओर से बढ़ती चुनौतियों से मिलकर निपटने की रणनीति भी बनी और साथ ही भारत और जापान के संबंधों को विभिन्न क्षेत्रों में और प्रगाढ़ करने की दिशा में भी प्रगति हुई। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जापान के अपने समकक्षों से मुलाकात के बाद शुक्रवार को जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा से मुलाकात की और क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दोनों देशों के हितों और नीतियों के निकट समन्वय की महत्ता को रेखांकित किया।
बैठक के बाद विदेश मंत्री जयशंकर ने ट्वीट किया, हमारी ‘टू प्लस टू बैठक के बाद प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा से बात करके खुशी हुईं। उन्होंने कहा कि भारत और जापान के हितों एवं उनकी नीतियों के बीच निकट समन्वय के महत्व को रेखांकित किया गया। उन्होंने कहा कि बैठक में भरोसा जताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और किशिदा ने द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने को लेकर जो रूपरेखा तैयार की है, उस जल्द ही अमलीजामा पहनाया जाएगा। बैठक के बारे में रक्षा मंत्री सिंह ने ट्वीट किया कि भारत और जापान के बीच साझेदारी की क्षेत्र में शांति एवं स्थिरता सुनिश्चित करने में अहम भूमिका होगी।
बता दें कि भारत और जापान ने द्विपक्षीय रक्षा सहयोग बढ़ाने तथा लड़ाकू विमानों के पहले अभ्यास सहित और अधिक सैन्य अभ्यासों में शामिल होने पर सहमति व्यक्त की। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच दोनों देशों की विशेष द्विपक्षीय रणनीतिक एवं वैश्विक साझेदारी एक स्वतंत्र, मुक्त और कानून-आधारित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
बैठक के दौरान भारत ने आक्रामक चीन को रोकने के प्रयास के तहत ‘‘जवाबी हमले की क्षमताओं’’ सहित रक्षा बलों के विस्तार और आधुनिकीकरण की जापानी योजनाओं को भी अपना समर्थन दिया। दोनों देशों की ओर से जारी संयुक्त बयान में किसी भी देश का नाम लिए बिना कहा गया है कि जापान ने ‘‘तथाकथित ‘जवाबी हमले की क्षमताओं’ सहित राष्ट्रीय रक्षा के लिए आवश्यक सभी विकल्पों की समीक्षा करने का संकल्प भी व्यक्त किया है। बता दें कि जापान की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने की योजना को भारत का समर्थन अहम इसलिए है क्योंकि जापान का संविधान देश को युद्ध क्षमता वाले सशस्त्र बलों को बनाए रखने पर रोक लगाता है। इसलिए, जापान में आत्म-रक्षा बल है। 2014 में, जापान सरकार ने चीन और उत्तर कोरिया की चिंताओं के बावजूद, आत्म-रक्षा बलों को और अधिक शक्तियां दीं, जिससे उन्हें युद्ध घोषित होने की स्थिति में अन्य सहयोगियों की रक्षा करने की अनुमति मिली।