यूपी में कांग्रेस की अंदरूनी कलह, कार्यकारिणी गठन अधर में
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने की कोशिश में जुटी है. लेकिन प्रदेश कार्यकारिणी का गठन न होने से पार्टी के भीतर खींचतान और असंतोष की स्थिति बनी हुई है. पिछले साल दिसंबर में सभी कमेटियों को भंग कर संगठन में बदलाव की शुरुआत की गई थी, लेकिन छह माह बाद भी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन नहीं हो सका है. पार्टी सूत्रों के अनुसार, इसके पीछे अंतरकलह और खेमेबंदी को प्रमुख वजह माना जा रहा है.
पार्टी ने मार्च 2025 में जिला और शहर अध्यक्षों की घोषणा की थी, जिसके बाद प्रदेश कार्यकारिणी के गठन की उम्मीद बढ़ी थी. हालांकि, कुछ जिला और शहर अध्यक्षों के चयन को लेकर कार्यकर्ताओं ने खुलकर नाराजगी जाहिर की थी.
जिला और शहर कमेटियों का गठन
प्रदेश मुख्यालय में प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और अन्य वरिष्ठ नेताओं के सामने विरोध के स्वर उठे, जिसके बाद कार्यकारिणी के नामों पर नए सिरे से मंथन शुरू हुआ. सूत्रों का कहना है कि पार्टी जातीय और आंतरिक समीकरणों को साधने की कोशिश में जुटी है, जिसके चलते उपाध्यक्ष, महासचिव और सचिव के नामों पर सहमति नहीं बन पा रही है.
पंचायत चुनाव में अकेले उतरने का ऐलान
प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हाल ही में घोषणा की थी कि कांग्रेस आगामी पंचायत चुनाव में सहयोगी दल समाजवादी पार्टी (सपा) से अलग होकर अकेले मैदान में उतरेगी. इस फैसले के साथ ही पार्टी ने जिला, ब्लॉक, मंडल, पंचायत और बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत करने के लिए पांच स्तरों पर पदाधिकारियों की जवाबदेही तय करने की योजना बनाई है. वरिष्ठ नेताओं को समन्वयक की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. लेकिन, प्रदेश कार्यकारिणी के गठन में देरी से कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरने का अभियान प्रभावित हो रहा है.
पार्टी के भीतर सवाल खड़े
अजय राय ने करीब पौने दो वर्ष पहले प्रदेश अध्यक्ष का पदभार संभाला था. तब तीन माह के भीतर कार्यकारिणी का गठन हो गया था, जिसमें 16 उपाध्यक्ष, 38 महासचिव और 76 सचिव शामिल थे. लेकिन इस बार कार्यकारिणी गठन में देरी ने पार्टी के भीतर सवाल खड़े कर दिए हैं. वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि जब तक ऊपरी स्तर की टीम गठित नहीं होगी, तब तक निचले स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने और उनकी जवाबदेही तय करने में मुश्किलें आएंगी.
वरिष्ठ नेताओं से मांगे सुझाव
पार्टी सूत्रों का कहना है कि वरिष्ठ नेताओं से सुझाव मांगे गए हैं और जल्द ही प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा हो सकती है. कांग्रेस नेतृत्व विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को मजबूत कर कार्यकर्ताओं में जोश भरने की कोशिश में है, लेकिन आंतरिक खींचतान और समीकरणों को साधने की चुनौती अभी भी बरकरार है.