पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए वन मंत्री विजय शाह,  प्रबंध संचालक मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज संघ पुष्कर सिंह एवं वन विभाग के अधिकारी 
 मध्यप्रदेश शासन वन विभाग एवं मध्य प्रदेश राज्य लघु वनोपज (व्यापार एवं विकास),  सहकारी संघ, मर्यादित द्वारा वन मेले का आयोजन वर्ष 2001 से प्रदेश स्तरीय मेले के रूप में आरंभ किया गया। वन मेले के आयोजन का प्रदेश से राष्ट्रिय एवं राष्ट्रिय से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक का विस्तार लघु वनोपजो के वैभव एवं संपन्नता, ग्रामीण आजीविका एवं निर्भरता को प्रदर्शित करता है। वर्ष 2011 से मेले का स्वरूप अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक विस्तारित हुआ। तब से यह अन्तर्राष्ट्रीय हर्बल मेला वर्ष 2018 एवं वर्ष 2020 को छोड़कर प्रतिवर्ष आयोजित किया जा रहा है।
वन हमेशा से ही परंपरागत आर्थिक प्राप्तियों एवं स्वास्थ्य आजीविका सुरक्षा के स्त्रोत रहे है साथ ही वैश्विक आर्थिक व्यवस्था में वनों का एक विशिष्ट योगदान है। वनों से खादय उत्पाद, परंपरागत ओषधियां तथा आजीविका प्राप्ति के लिए वनीय संसाधनों का समुचित एवं संवहनीय उपयोग सुनिश्चित करना वर्तमान में महत्वपूर्ण आवश्यकता एवं समय की महत्वपूर्ण मांग है। विश्व स्तर पर वृद्धि की और अग्रसर आयुर्वेद की लोकप्रियता का प्राचीनता आधार हमारे वनों में पायी जाने वाली ओषधीय जड़ी-बूटियाँ ही हैं। हमारे राष्ट्र ही नही बल्कि प्राचीनतम चिकित्सा पद्यति, योग, एवं आयुर्वेद का महत्व बढ़ा है। जिससे हर्बल उत्पादों की बढ़ती हुई लोकप्रियता से विश्वस्तरीय मांग में निरंतर वृद्धि हो रही है।
वन मेले का आयोजन देश में इस प्रकार का एक विरला एवं अनूठा आयोजन है। वन मेला एक ऐसा माध्यम है जहां लघु वनोपजों के संग्राहक, प्रसंस्करणकर्ता, विनिर्माणकर्ता, अनुसंधानकर्ता, दर्शनवेत्ता, हर्बल निर्माता व उत्पादक, देश एवं प्रदेश की समृद्ध जैव विविधता, संस्कृति एवं ओषधियां के परंपरागत ज्ञान को आत्मसात करते है। लघु वनोपज आधारित आजीविका क्षेत्र के विस्तार एवं संभावनाओ को तलाशकर लाभार्थी अंशधारकों को एक दूसरे से जोड़ने का कार्य इस आयोजन के दौरान प्रमुखता से किया जाता है। मेले के दौरान कार्यशाला/संगोष्ठी, निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श एवं विभिन्न प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से लघु वनोपजो से संबंधित क्रिया-कलापों एवं गतिविधियों के क्षेत्र में कार्यरत विषय विशेषज्ञों को बौद्विक मंच उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित किया जाता है।
वन मेले के माध्यम से वन वासियों को एक और जहां उनके द्वारा संग्रहित कच्चे माल तथा वनोषधियों हेतु बाज़ार उपलब्ध हुआ वही उनमें ग्रामीण स्तर पर स्वावलंबी होकर अपने लघु उद्योग स्थापित करने की भी संभावनाएँ तलाशी गई। साथ ही शहरी क्षेत्रों के निवासियों को उचित कीमत पर शुद्ध उत्पाद उपलब्ध कराए गए। लघु वनोपज संघ के इन प्रयासों से प्रदेश की अनेकों प्राथमिक संस्थाओं द्वारा तैयार वनोषधियां एवं अन्य हर्बल उत्पाद, प्रदेश तथा प्रदेश के बाहर अपनी पहचान बना सकने में सफल हुए।
मेले के प्रमुख आकर्षण
1. इस वन मेले में विक्रय हेतु 300 स्टॉल स्थापित किये जा रहे हैं जिसमें उत्तरप्रदेश, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, दिल्ली, उड़ीसा, महाराष्ट्र आदि राज्यों के हर्बल उत्पादों का प्रतिनिधित्व अपेक्षित है। हर्बल उत्पादों विशेषकर कच्चे माल से लेकर प्रसंस्कृत उत्पादों एवं इससे संबंधित तकनीक का जीवंत प्रदर्शन किया जायेगा।
2. मेला अवधि में लगभग 1.5 लाख लोगों द्वारा मेले का भ्रमण किया जाना संभावित है तथा प्रतिदिन लगभग 20,000 लोगों द्वारा मेले का आनंद उठाया जायेगा।
3. मेले में विभिन्न शासकीय विभागों जैसे MPEDB. Bio-Diversity Board. सामाजिक वानिकी, उद्यानिकी, वन्यप्राणी, ग्रीन इंडिया मिशन, आदि की गतिविधियों की प्रदर्शिनी लगाई जाएगी। तो लगाये जा
4. म.प्र. के प्रमुख आयुर्वेदिक विद्यालयों से स्टॉल लगाए जाएंगे। इन वालयों में विधाय 5. चिकित्सा परामर्श- मेले में चिकित्सा परामर्श हेतु ओपीडी के स्टॉल स्थापित भी किये जा रहे हैं जिसमें 100 से अधिक आयुर्वेदिक डॉक्टरों/वैद्यों द्वारा निःशुल्क शल राष्ट्रीय मिले
चिकित्सीय परामर्श प्रदान किया जायेगा।
6. कार्यशाला- “लघु वनोपज से आत्मनिर्भरता" (Minor Forest Produce for Self Reliance) थीम पर आधारित मेले में दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जायेगा। इस कार्यशाला में भूटान, नेपाल, फिलीपींस के विशेषज्ञों के साथ 2 साथ मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यों के विषय विशेषज्ञ भी अपने विचार रख सकेंगे तथा लघु वनोपजों के प्रबंधन एवं संरक्षण के संबंध में विस्तृत चर्चा करेंगे। लघु वनोपजो के संवहनीय विदोहन के लिए संग्रहणकर्ता, स्थानीय पारंपरिक पदधति से उपचारकर्ता एवं वैद्यों, जैव विविधता बोर्ड के अधिकारियों के साथ एक सार्थक संवाद भी स्थापित किया जायेगा।
7. क्रेता-विक्रेता संवाद प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी लघु वनोपजो के क्र्य विक्रय हेतु क्रेता-विक्रेता सम्मेलन आयोजित किया जायेगा।
8. सांस्कृतिक कार्यक्रम- मेले में प्रत्येक दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा स्कूल के बच्चों के लिए नृत्य प्रतियोगिता, चित्रकला, प्रतियोगिता, गायन प्रतियोगिता, फ़ैसी ड्रेस नुक्कड़ नाटक, डांस प्रतियोगिता का आयोजन किया जायेगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में गायन आदिवासी लोक नृत्य एवं लोक गीत का भी आयोजन किया जायेगा।