मप्र/भोपाल- जो देंगे वही लौटकर आएगा,मोबाइल है आज के युग का शकुनी मामा - बी.के. ऊषा दीदी
ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन नीलबड़ के अनुभूति सभागार में आयोजित 'खुशनुमा जीवन जीने की कला' विषय पर आयोजित सेमिनार, 5 सुनहरे सिद्धांतों को अगर जीवन में धारण कर ले तो हमारा जीवन खुशियों से भर जाएगा। सबसे पहली बात यह समझ ले जो देंगे वही लौटकर आएगा। हम दूसरों को सुख देंगे, खुशी देंगे,प्रेम देंगे तो वही लौटकर हमारे पास आएगा। यह प्रकृति का नियम है। प्रकृति का हर तत्व दे रहा है। सूर्य, वायु, नदियां सब दे रहे हैं इसीलिए हमने शायद उन्हें देवता कहा। देने वाले को देवता कहा जाता है, लेने वाले को लेवता कहा जाता है। मनुष्य आज देना भूलता जा रहा है और यही उसके दुखों का मुख्य कारण है। खुश रहना है तो देना सीखो। कोई स्थूल चीज या धन ही नहीं लेकिन शुभकामना, दुआएं इनका दान देने से वही हमें प्राप्त होगा। दूसरा सिद्धांत है- जैसा चिंतन वैसा जीवन। हमें यह देखना है मेरे चिंतन की धारा कैसी है? सकारात्मक या नकारात्मक। हम दूसरों को तो बहुत अच्छी सलाह देते हैं लेकिन हमारे साथ वह घटना होती है, तो हम क्या करते हैं? सकारात्मक सोचने का मसाला कहां से मिलेगा? आध्यात्मिकता से। अपने चिंतन की धारा बदल दो तो रूप चिंता का मिट जाएगा। तीसरी बात- आज मनुष्य परिस्थिति, समस्याओं में उलझा हुआ है, जहां से निकलने का रास्ता भूल गया है। लेकिन जीवन में आने वाले यह उतार-चढ़ाव ही हमारे जिंदा होने की निशानी है। परिस्थिति हमारी शिक्षक है, हमें अनुभवी बनाने के लिए आती है। ऐसा दृष्टिकोण हमें परिस्थितियों पर विजयी बनने में मदद करेगा। चौथी बात- हम व्यक्तियों से भी उलझ जाते हैं। वह व्यक्ति हमारे लिए परीक्षा बन जाता है। उलझने के बजाय एक दूसरे को समझने की आवश्यकता है। हम अप्रिशिएट करना भूल गए हैं। एक दूसरे को अप्रिशिएट करें। अपने घर में वाईफाई झोन बनाएं। WIFI अर्थात विदाउट इंटरनेट फैमिली इंटरेक्शन। पांचवी बात है मोबाइल। मोबाइल एक बहुत अच्छा सर्वेंट है, लेकिन उसे मास्टर नहीं बना दो।लोग मोबाइल बिगड़ने पर उसे ठीक पहले करते हैं लेकिन संबंधों को ठीक करने के लिए समय नहीं देते हैं। मोबाइल आज के युग का शकुनी है। अगर हम अपने बच्चों के हाथ में मोबाइल देते हैं तो वह उनको सुयोधन से दुर्योधन बना देगा। मोबाइल पारिवारिक जीवन को नष्ट कर रहा है। इसलिए घर में आने पर घर के सभी सदस्यों को अपने मोबाइल एक बॉक्स में जमा कर देने चाहिए और एक दूसरे के लिए समय देना चाहिए। अपने घर में क्रिएटिव खेल इंट्रोड्यूस करें। यह बात कर रही थी माउंट आबू से पधारी सुप्रसिद्ध जीवन प्रबंधन विशेषज्ञ, इंटरनेशनल मोटिवेशनल स्पीकर ब्रम्हाकुमारी उषा दीदी। ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन नीलबड़ के अनुभूति सभागार में आयोजित 'खुशनुमा जीवन जीने की कला' विषय पर आयोजित सेमिनार में आप संबोधित कर रही थी। कार्यक्रम में रोटरी क्लब, लायंस क्लब, गुजराती समाज, सर्वधर्म सद्भावना मंच, भोपाल कैंसर रिसर्च एंड वेलफेयर एसोसिएशन आदि भोपाल के अनेक सेवाभावी संस्थाओं के प्रतिनिधि तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मध्य प्रदेश पुलिस की एडीशनल डायरेक्टर जनरल प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव ने शुभकामनाएं व्यक्त की।कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन से किया गया। स्वागत भाषण बीके हेमा दीदी ने किया। सभी संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अंत में आदरणीय उषा दीदी का सम्मान किया तथा उन्हें पुन्हा पधारने का अनुरोध किया। आभार प्रदर्शन ब्रह्मा कुमारीज सुख शांति भवन की डायरेक्टर बीके नीता दीदी ने किया। कार्यक्रम का सफल सूत्रसंचालन डॉ दिलीप नलगे ने किया।