पंचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. पुरी की यह यात्रा बेहद विशेष होती है. इस साल रथ यात्रा 20 जून को निकाली जाएगी.

आषाढ़ मास के आते ही शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा के पश्चात आने वाली द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का आरंभ होता है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस विशेष दिन भगवान जगन्नाथ की पूजा करने और उन्हें समर्पित मंत्रों का जाप करने से विशेष लाभ मिलता है. इस यात्रा का महत्व काफी लम्बे समय से चला आ रहा है. इस भव्य आयोजन के पीछे कई कथाएं भी प्रचलित हैं जो इसके महत्ता को बहुत ही सटीक रुप से दिखाने वाली होती हैं.

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सिद्ध नगरी पुरी सहित मंत्रों एवं धार्मिक कार्यों के बीच भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा निकाली जाती है. मान्यताओं के अनुसार, जगन्नाथ यात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. साधक दूर दूर से भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. देश और विदेशों से भी इस स्थान पर विशेष रुप इस समय पर शृद्धालु पहुंचते हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों निकाली जाती है भगवान जगन्नाथ यात्रा ओर कैसे होता है इस यात्रा का आरंभ : -

यह वार्षिक उत्सव आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहनों के नौ दिनों के प्रवास के दौरान उनकी मौसी के घर या गुंडिचा मंदिर में मनाया जाता है. इसी के लिए यह यात्रा होती है और भगवान को मंदिर से निकाल कर विशाल रथ में बैठाया जाता है और इसके पश्चात भगवान जगन्नाथ अपने भाई बहन के साथ मौसी के घर जाते हैं.

हर साल आषाढ़ के महीने में ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा निकाली जाती है. इसे देखने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं. रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण कई महीने पहले से ही शुरू हो जाता है. इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून मंगलवार से शुरू होगी. ओडिशा के पुरी में निकाली जाने वाली भगवान जगन्नाथ की यह रथ यात्रा विश्व प्रसिद्ध है. इसे देखने लाखों लोग जाते हैं. रथ बनाने की प्रक्रिया कई महीने पहले से ही शुरू हो जाती है. रथ बनाने के नियम भी बेहद खास और कठिन होते हैं, जिसे भक्त पूर्ण भक्ति के साथ तैयार करते हैं.