नई दिल्ली । देश के दूरदराज के इलाकों में हाई स्‍पीड इंटरनेट सेवा प्रदान करने के लिए रिलायंस जियो इंफोकॉम लिमिटेड अब ‘जियो स्पेस फाइबर नाम की एक नई तकनीक लेकर आया है। यह सैटेलाइट बेस्ड गीगा फाइबर तकनीक है, जो उन दुर्गम इलाकों में भी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइड कराएगी, जहां फाइबर केबल से ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाना मुश्किल-भरा काम है। जियो की यह नई सर्विस पूरे देश में अत्यधिक किफायत पर उपलब्ध होगी। कंपनी ने प्रगति मैदान में चल रही इंडिया मोबाइल कांग्रेस में ‘जियो स्पेस फाइबर’ को प्रदर्शित किया।
देश के चार सबसे दूरस्थ स्थान जियो स्पेस फाइबर से जुड़ चुके हैं। जहां जियो स्‍पेस फाइबर की सेवा चालू हो चुकी है। इसमें गुजरात का गिर नेशनल पार्क, छत्तीसगढ़ का कोरबा, उड़ीसा का नबरंगपुर और असम का ओएनजीसी-जोरहाट शामिल है। जियो फाइबर और जियो एयर फाइबर के बाद रिलायंस जियो के कनेक्टिविटी पोर्टफोलियो की यह तीसरी बड़ी टेक्नोलॉजी है। जियो 450 मिलियन से अधिक भारतीय उपभोक्ताओं को हाई स्पीड ब्रॉडबैंड फिक्स्ड लाइन और वायरलेस सेवाएं प्रदान कर रहा है। 
जियो इंफोकॉम ‘जियो स्पेस फाइबर’ से दूरदराज के इलाकों में ब्राडबैंड कनेक्टिविटी पहुंचाने के लिए एसईएस कंपनी के उपग्रहों का इस्तेमाल करेगी। एसईएस एकमात्र मीडियम अर्थ ऑर्बिट (एमईओ) समूह है, जो अंतरिक्ष से अद्वितीय गीगाबिट सेवाएं देने में सक्षम है। इनकी मदद से ‘जियो स्पेस फाइबर’ से अब कहीं भी और कभी भी विश्वसनीय मल्टी-गीगाबिट कनेक्टिविटी मिलेगी। 
जियो इंफोकॉम लिमिटेड के अध्यक्ष आकाश अंबानी ने कहा, जियो ने भारत में लाखों घरों और व्यवसायों को पहली बार ब्रॉडबैंड इंटरनेट का अनुभव कराया। जियोस्पेस फाइबर के साथ हम अभी तक अनकनेक्टिड लाखों लोगों को कवर करने वाले हैं। ऑनलाइन सरकार, शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन सेवाओं तक, जियो स्पेस फाइबर हर किसी को, हर जगह कनेक्ट कर सकेगा। वहीं, एसईएस के मुख्य रणनीति अधिकारी जॉन-पॉल हेमिंग्वे ने कहा, जियो के साथ मिलकर, हम एक अद्वितीय समाधान के साथ भारत सरकार की डिजिटल इंडिया पहल का समर्थन करके सम्मानित महसूस कर रहे।