हिरोशिमा । दुनिया के सबसे सात ताकतवर देश जापान के हिरोशिमा शहर में बैठक कर रहे है। यह वहीं शहर है जिस पर अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान परमाणु बम गिराया था। इसके अलावा जापान के नागासाकी शहर में भी उसके दो दिन बाद एक परमाणु बम गिराया गया था। इसके बाद यदि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन हिरोशिमा की यात्रा कर रहे हैं, तब उम्मीद करना स्वाभाविक के वे नागासाकी भी जाएं और वहां परमाणु बम के कारण मारे गए नागरिकों को श्रद्धांजलि दे। लेकिन बाइडन नागासाकी नहीं जाएंगे। आखिर बाइडन ने नागासाकी ना जाने का मन क्यों बनाया यह सोचने की बात है। 
जापानी प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा खुद चाह रहे थे कि बाइडन नागासाकी जाकर परमाणु हथियारों के खिलाफ बयान दें। सूत्रों के हवाले से बताया है कि बाइडन प्रशासन ने नागासाकी यात्रा नकार कर विवादों से बचने का प्रयास किया है। गौरतलब है कि जब भी कोई अमेरिकी राष्ट्रपति जापान जाता है कि द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर परमाणु बम गिराने पर अमेरिका के माफी मांगने का मुद्दा उठ जाता है। 
जापानी प्रधानमंत्री किशिदा बाइडन के साथ एक संयुक्त यात्रा कर दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त करने के संकल्प की बात करना चाह रहे थे। दोनो का संयुक्त बयान यूक्रेन संकट के मद्देनजर परमाणु संघर्ष के बढ़ने की संभावनाओं के खतरे के संदर्भ में पूरी दुनिया पर असर दिखाता। 2016 में अमेरिका के रिपब्लिकन राष्ट्रपति बराक ओबामा भी जी7 बैठक में शामिल होने के लिए हिरोशिमा आए थे और वे ऐसा करने वाले अमेरिका के पहले राष्ट्रपति थे। लेकिन बाइडन ने नागासाकी जाने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्रपति होने के अवसर गंवा दिया। बाइडन नागासाकी जाकर दुनिया को शांति के लिए प्रयासों का नया संदेश दे सकते हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। 
इसी बीच जी7 के नेताओं की बैठक के अलावा बाइडन सहित सभी नेताओं की हिरोशिमा के आणविक बम संग्रहालय दर्शन का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया है। अगर यह कार्यक्रम हो गया तो यह पहली बार होगा कि जी7 के नेताओं को इस संग्रहालय में एक साथ देखा जाएगा। इस समय अमेरिका रूस यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन का साथ दे रहा है और उसे हथियारों की आपूर्ति करा रहा है। दरअसल जब द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान पर अमेरिका ने दो परमाणु हथियार गिराए थे, तब दुनिया भर उसकी आलोचना हुई थी और आज भी होती है। बताया जाता है कि अमेरिका के लिए जापान को हराने के लिए उस पर परमाणु बम गिराना जरूरी नहीं था बल्कि हकीकत तब यह थी कि जापान ने लगभग घुटने टेक ही दिए थे अमेरिका चाहता तब बिना परमाणु बम गिराए भी जंग खत्म कर सकता था। 
दरअसल द्वितीय युद्ध यूरोप में 8 मई 1945 को ही हिटलर और जर्मनी की हार से खत्म हो गया था। लेकिन जापान ने उस समय तक हार नहीं मांगी थी और जानकारों का मानना है कि तब तक जापान की भी हार सुनिश्चित हो ही चुकी थी। लेकिन इसके तीन महीने के बाद अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिराए।