ज्योतिष शास्त्र में रत्नों के उपयोग में नीलम का उपयोग काफी सोच समझ कर करने कि सलाह दी जाती है. नीलम बेहद असर प्रदान करने वाला रत्न होता है. नीलम को शनि देव का रत्न माना जाता है इसलिए शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय में नीलम को धारण करने की बात भी सामने आती है.

शनि की दशाओं से बचाव मिलता है
लोगों के मन में शनि ग्रह से जुड़ी साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के चलते जीवन उथल पुथल से भरा रह सकता है. शनि के खराब असर द्वारा भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में शनिदेव को शांत और प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक है नीलम धारण करना. नीलम रत्न शनिदेव के मस्तक पर विराजमान है. इस कारण से नीलम को धारण करना बेहद सकारात्मक प्रभाव दे सकता है. शनि से बचाव के लिए जो लोग नीलम धारण करते हैं उन पर शनिदेव की कृपा और क्षमा बनी रहती है. व्यक्ति को शनि के शुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं.

नीलम धारण करने से संबंधित नियम
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि कोई व्यक्ति शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या से प्रभावित है तो उसे नीलम धारण करना चाहिए.
विशेषकर कुंभ और मकर राशि के जातकों को नीलम धारण करने से अतिरिक्त लाभ मिलता है.

कुंडली में शुभ शनि होने पर भी नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है.
नीलम रत्न धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए. नीलम आपकी कुंडली में किस स्थिति में है इसे जानने के लिए कुंडली का विश्लेष्ण करके ही नीलम को धारण करना शुभदायक होता है.

नीलम धारण करना और इसे पहनने से जुड़े नियम यदि ध्यान में रखें जाएं तो यह जीवन को एकदम बदल देने वाला होता है. नीलम शनिदेव का प्रिय रत्न है, लेकिन अगर पहनने के नियम नहीं जानते तो इससे संबंधित बातों पर अवश्य ध्यान देने की जरुर है. व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कभी-कभी किसी ग्रह के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति तमाम तरह की समस्याओं और बीमारियों से घिर जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को सभी ग्रहों में सबसे प्रभावशाली ग्रह माना जाता है. जब कुंडली में शनि अशुभ भाव में बैठता है तो जातकों को कष्ट होने लगता है.