होनुलुलू।  अमेरिका में हवाई द्वीप में जमीन के काफी नीचे कई सुरंगों और गुफा का पता लगा है। ये सुरंग और गुफाएं कई सैकड़ों साल पुरानी हैं और इनका निर्माण ज्वालामुखी के लावा से हुआ है। ये सुरंगें काफी ठंडी, अंधेरी और जहरीली गैसों के अलावा कई तरह के खनिज पदार्थों से भी भरी हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि ये ज्वालामुखी की वजह से निर्मित इन सुरंगों और गुफाओं में कई ऐसे सूक्ष्म जीव भी फैलें हैं जिन्हें देखना काफी जटिल है।
उनका कहना है कि ये जीव इस धरती के सबसे छोटे जिंदा प्राणी हैं और इनके बारे में ज्यादा कुछ भी पता नहीं लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 99.999 फीसदी इन सूक्ष्म जीवों का पता लगा पाना बहुत ही मुश्किल है। इसका नतीजा है कि इन जगहों पर एक रहस्यमयी जिंदगी का निर्माण हो चुका है जिसे 'डार्क मैटर' के तौर पर जाना जा रहा है। लेकिन अभी भी इन सूक्ष्म जीवों को पृथ्वी के वातावरण में आने में काफी समय लगेगा। हवाई की इन लावा भरी गुफाओं में इतनी ज्यादा रूचि इसलिए ले रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यहां की स्थितियां मंगल ग्रह या फिर किसी सुदूर ग्रह जैसी ही हैं।  वैज्ञानिकों की मानें तो एक सूक्ष्म जीव इन पुरानी लावा ट्यूब में 600 से 800 साल तक जिंदा रह सकता है। ऐसे कुछ शायद सूक्ष्म जीव मंगल ग्रह पर ही किसी स्थिति में देखने को मिलें। रिसर्च की मानें तो ये गुफाएं 500 साल से भी ज्यादा पुरानी हो सकती हैं।
ऐसे में इन सूक्ष्मजीवों का जीवन यहां पर होना बहुत ही आसान है। इसलिए उनका मानना है कि इन जीवों के लिए और ज्यादा फैलने में अभी समय है। जिस तरह से पर्यावरण बदलेगा, इनका सामाजिक ढांचा भी बदलता जाएगा।वैज्ञानिकों का मानना है कि जब कोई गुफा नई होती है तो वो ज्यादा सक्रिय होती है। वहां पर इस तरह के सूक्ष्म जीवों का होना और ज्यादा आसान रहता है। मैनोआ में हवाई यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजिस्ट रेबेका प्रेसकॉट ने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक सवाल पैदा होता है कि क्या पर्यावरण की अधिकता इस तरह के सूक्ष्म जीवों का निर्माण कर सकती है जहां पर ये जीव एक-दूसरे पर ही निर्भर हों। वैज्ञानिकों ने इन गुफाओं में मौजूद सूक्ष्म जीवों के बारे में कुछ भी नहीं कहा है।