भोपाल। पर्यावरण नियोजन एवं समन्वय संगठन मध्यप्रदेश (एप्को) ने डब्ल्यूआरआई इंडिया के तकनीकी सहयोग से “मध्यप्रदेश की दीर्घकालिक न्यून उत्सर्जन विकास रणनीति” निर्मित करने के लिये परियोजना शुरू की है। यह रणनीति वर्ष 2026 तक तैयार की जाएगी। राज्य शासन द्वारा आवश्यक नीतिगत बदलाव किए जाएंगे एवं रणनीति का क्रियान्वयन किया होगा।


एप्को और डब्ल्यूआरआई इंडिया द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक बहु-हितधारक संवाद कार्यशाला 18 अक्टूबर को भोपाल में होगी। इसमें वरिष्ठ शासकीय अधिकारी, विषय विशेषज्ञ एवं शोधकर्ता व अकादमिक संस्थाएं कार्यशाला में आमंत्रित किये गये है, जो मध्यप्रदेश में डीकार्बोनाइजेशन की चुनौतियों से संबंधित क्षेत्रों, वित्तीय और तकनीकी चुनौतियों/बाधाओं और भारत के 2030 तक और 2070 तक के नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्यों में योगदान करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करेंगे।


कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य भारत के नेट-जीरो लक्ष्य में योगदान देने की दिशा में राज्य के लिए दीर्घकालिक रणनीति के निहितार्थों पर चर्चा करना और आवश्यक सुझाव प्राप्त करना है। परियोजना का महत्व इसलिए भी है क्योंकि नवंबर 2022 में मिस्र में आयोजित CoP-27 के दौरान भारत द्वारा जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (यूएनएफसीसीसी) को सौंपी गई। दीर्घकालिक जलवायु रणनीतियों को राष्ट्रीय स्तर पर बनाया गया है, गतिविधियों का क्रियान्वयन राष्ट्रीय, प्रदेश एवं स्थानीय स्तर पर संचालित करने की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में डब्ल्यूआरआई इंडिया मध्यप्रदेश में राज्य स्तर पर शोध तथा हितधारकों के समन्वय से गतिविधियों व रणनीतियों के क्रियान्वयन के लिये परियोजना का नेतृत्व कर रहा है। कार्यशाला के दूसरे सत्र में मध्यप्रदेश के 4 महानगरों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर के हीट एक्शन प्लानिंग पर भी विचार-विमर्श किया जायेगा।