दुनियाभर में भगवान श्री रामचंद्र के भक्त उन्हें भगवान के रूप में देखते हैं. जबकि बिहार के मिथिलांचल में भगवान श्री रामचंद्र को पाहुन (दामाद) के रूप में देखा जाता है. लेकिन बिहार में एक जगह ऐसा भी है जहां भगवान श्री रामचंद्र को ना तो भगवान और ना ही दामाद के रूप में देखते हैं, बल्कि यहां के लोग उन्हें मामा कहकर बुलाते हैं. यह जगह बिहार के लखीसराय जिले में स्थित है. जहां से भगवान श्री रामचंद्र जी का पारिवारिक संबंध है और यहां के लोग भगवान श्री रामचंद्र सहित लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न को भी मामा कहकर बुलाते हैं. ये जगह श्रृंगी ऋषि आश्रम के नाम से जानी जाती है, जो लखीसराय जिला के सूर्यगढ़ा प्रखंड में स्थित है.

बताया जाता है कि भगवान श्री रामचंद्र सहित चारों भाइयों के जन्म से पहले राजा दशरथ को एक पुत्री हुई थी. जिनका नाम शांता कुमारी था. वहीं, अंग प्रदेश में राजा रोमपाद और उनकी रानी वर्शिनी को कोई संतान नहीं हो पा रही थी. रानी वर्शिनी श्री रामचंद्र की मां कौशल्या की बहन थी और राजा दशरथ और रानी कौशल्या ने अपनी बड़ी पुत्री शांता कुमारी को रोमपाद को गोद दे दिया था. बाद में उन्हीं शांता कुमारी का विवाह श्रृंगी ऋषि से करवाया गया था.

श्रृंगी ऋषि ने कराया था यज्ञ का आयोजन
गौरतलब है कि श्रृंगी ऋषि वो महान मुनि थे जिन्होंने राजा दशरथ के लिए पुत्रकामेष्टि यज्ञ करवाया था और इसी कारण प्रभु श्री रामचंद्र, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ था. इतना ही नहीं श्रृंगी ऋषि पहले अवध प्रदेश में रहा करते थे. लेकिन एक बार अंग प्रदेश में काफी बड़ा सूखा पड़ जाने के कारण उन्हें राजा रोमपाद ने अंग प्रदेश में बुलाया था और फिर वही सूर्यगढ़ा में रहकर श्रृंगी ऋषि ने यज्ञ करवाया था. जिसके बाद पूरे अंग प्रदेश में बारिश हुई थी. आज भी वहां ऋषि श्रृंगी का आश्रम मौजूद है और वहां के लोग भगवान श्री राम को मामा के रूप में मानते हैं.