भोपाल । मध्यप्रदेश में स्थानीय निकाय चुनाव परिणाम में बढ़त मिलने के बाद से ही कांग्रेस उत्साहित है। इसके बाद से ही पार्टी ने अब विधानसभा चुनाव 2023 पर फोकस करना शुरू कर दिया है। सात सितंबर से शुरू हो रही पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को प्रदेश के ऐसे इलाकों से निकाला जाएगास जहां पार्टी कमजोर स्थिति में है। प्रदेश कांग्रेस की टीम राहुल की इस यात्रा को आदिवासी इलाकों से निकालने का प्रोग्राम बना रही है। इसमें खासतौर से मालवा और निमाड़ पर फोकस किया है। पार्टी की कोशिश है कि राहुल गांधी के चेहरे को आदिवासी  क्षेत्रों में पहुंचा कर आदिवासी वोटरों को रिझाया जाए।
मध्यप्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले आदिवासी और दलित वोटरों को रिझाने की कोशिश तेज हो गई है। कांग्रेस ने अपने परंपरागत वोट बैंक को मजबूत बनाने के लिए राहुल गांधी को आगे रखने की तैयारी कर ली है। राहुल की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश के जिन क्षेत्रों से होकर गुजरेगी, उनमें आदिवासी क्षेत्रों को प्राथमिकता के आधार पर शामिल किया गया है। इसमें बुरहानपुर, झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी, खरगोन और धार जिले के आदिवासी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। नाम न छापने के अनुरोध पर मध्यप्रदेश कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ा यात्रा बुराहनपुर से प्रदेश में एंट्री करेगी। राहुल करीब 16 दिन प्रदेश में रहेंगे। इस दौरान उनकी यात्रा मालवा निमाड़ होकर गुजरेगी। राहुल उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर के भी दर्शन करेंगे।


परंपरागत वोट बैंक को मजबूत करेगी कांग्रेस
भाजपा ने पिछले कुछ वर्षों में आदिवासी समुदायों के अलग-अलग ग्रुप खड़े कर इनके वोटों को बांट दिया है। लेकिन 2018 के विधानसभा चुनावों में देखा गया कि आदिवासी समुदाय का कांग्रेस के प्रति रुझान फिर बढ़ा है। इसलिए कांग्रेस राहुल गांधी की यात्रा को इन क्षेत्रों से  निकालने का प्लान तैयार कर रही है। राहुल की इस यात्रा से कांग्रेस पार्टी फिर से अपनी जड़ों की तरफ लौटेगी और परंपरागत वोटबैंक को मजबूत करेगी। आज पूरे देश में सबसे ज्यादा आदिवासी मध्यप्रदेश में है। इसमें भी सबसे ज्यादा भील और गोंड जाति के लोग प्रदेश में हैं। भील सबसे ज्यादा पश्चिमी मध्यप्रदेश में हैं, जहां से होकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा गुजरेगी। राज्य में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार ने प्रदेश में आदिवासी दिवस भी घोषित किया था। इसके अलावा आदिवासी ब्लॉक के लिए अलग से पैसे भी जारी किए थे। तब से ही कांग्रेस की इन समुदायों के बीच अच्छी पकड़ हैं। इसलिए पार्टी फिर अपने वोटबैंक को ओर मजबूत करने का प्रयास करेगी जिसका फायदा उन्हें आगामी चुनाव में हासिल हो सके।भाजपा की मलावा-निमाड़ में अच्छी पकड़ है। पार्टी यहां समय-समय पर सांप्रदायिकता को बढ़ावा देकर अपना वोटबैंक भी मजबूत करती रहती है। लेकिन हाल ही में जिस तरह से स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव के परिणाम आए उनमें कांग्रेस को अच्छी बढ़त मिली है। यहां कांग्रेस पार्टी का वोटर एकजुट है और लगातार बढ़ते हुए दिखाई दे रहा है। इसलिए राहुल गांधी की यात्रा भी ऐसे इलाकों से निकाली जा रही है, जहां उन्हें अच्छा जनसमर्थन मिल सके। भाजपा की कोशिश है कि इस वोटबैंक को बांटा जाए जबकि कांग्रेस की कोशिश है कि इसे रोका जाए और अपनी तरफ खींचा जाए।


100 सीटों पर आदिवासी निर्णायक भूमिका में
मध्यप्रदेश के 20 जिलों में कुल 89 विकासखंड आदिवासी क्षेत्रों में आते हैं। प्रदेश की लगभग 100 सीटों पर आदिवासी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं। यही वजह है कि आदिवासियों को साधने की कोशिश में सियासी दल हैं। कांग्रेस राहुल गांधी के चेहरे और उनकी यात्रा के सहारे आदिवासियों को रिझाने की कोशिश में है, तो भाजपा पेसा एक्ट लागू कर आदिवासियों को खुश करने का प्लान बना रही है। प्रदेश के आदिवासी बहुल इलाके में 84 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 84 में से 34 सीटों पर जीत हासिल की थी। वहीं, 2013 में इस इलाके में 59 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी। 2018 में पार्टी को 25 सीटों पर नुकसान हुआ है। वहीं, जिन सीटों पर आदिवासी उम्मीदवार जीत और हार तय करते हैं, वहां भाजपा को सिर्फ 16 सीटों पर ही जीत मिली थी, जो 2013 की तुलना में 18 सीटें कम है।