नारायण मूर्ति ने अपने बारे में एक बड़ा खुलासा किया है। मीडिया से एक बातचीत में उन्होंने कहा है कि अपनी पत्नी सुधा मूर्ति को इंफोसिस से दूर रखना उनका एक गलत फैसला था। उन्होंने कहा कि सुधा उस समय इंफोसिस में मौजूद खुद उनके और अन्य छह लोगों की तुलना में 'अधिक योग्य' थीं।

अरबपति व्यवसायी ने बताया, "मुझे लगता है कि अच्छे कॉरपोरेट गवर्नेंस का मतलब परिवार को इसमें नहीं शामिल करना है। उन दिनों, केवल परिवार के शासन का चलन था, परिवार के बच्चे आते थे और कंपनी चलाते थे और इससे कानूनों का उल्लंघन होता था।"

हालांकि इन्फोसिस के पूर्व सीईओ ने स्वीकार किया कि सुधा मूर्ति को देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी में शामिल नहीं होने देकर उन्होंने गलत किया। यहां गौर करने वाली बात यह है कि सुधा मूर्ति ही वह शख्स थीं जिन्होंने नारायण मूर्ति को इन्फोसिस (नंदन नीलेकणि, क्रिस गोपालकृष्णन, एसडी शिबूलाल, के दिनेश, एनएस राघवन और अशोक अरोड़ा के साथ) की स्थापना के लिए 10,000 रुपये की शुरुआती पूंजी दी थी।

इस बीच, मूर्ति ने इंफोसिस के पूर्व उपाध्यक्ष रोहन के लिए भविष्य में इंफोसिस में संभावित भूमिका को जोरदार तरीके से नकारा। उन्होंने कहा कि रोहन के बाद पास अब सोरोको नामक अपना एआई उद्यम है। नारायण मूर्ति ने कहा, "मुझे लगता है कि वह इन विचारों (परिवार के सदस्यों को अपनी कंपनी में शामिल होने की अनुमति नहीं देने) में मुझसे भी अधिक सख्त हैं। हालांकि वह ऐसा कभी नहीं कहेंगे। कभी नहीं, कभी नहीं।"

नारायणमूर्ति और सुधा मूर्ति की एक बेटी भी हैं अक्षता जिन्होंने कभी अपने पिता की कंपनी में काम नहीं किया है और कंपनी में उनकी 0.93% हिस्सेदारी है। उनके पति ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ऋषि सुनक हैं।