नई दिल्ली । राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने ठोस और तरल कचरे के प्रबंधन में विफल रहने के कारण पंजाब की मान सरकार पर 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगा है। कचरा प्रबंधन में विफल रहने के कारण इसके पैदा होने और शोधन में भारी अंतर है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि सुधारात्मक कदम के लिए न तो अनिश्चित काल तक इंतजार किया जा सकता है, न ही स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों को लंबे समय तक टाला जा सकता है।
पीठ ने कहा, राज्य सरकार की जिम्मेदारी प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए एक व्यापक योजना बनाना है जो इसकी पूर्ण जवाबदेही है। इस समझा नहीं जा रहा है। यदि बजटीय आवंटन में कमी है, तब भी राज्य सरकार को ही लागत कम करने या संसाधनों में वृद्धि करने की उपयुक्त योजना बनानी है। पीठ ने कहा कि अपशिष्ट प्रबंधन के विषय पर पर्यावरण मानदंडों का अनुपालन उच्च प्राथमिकता पर होना चाहिए। एनजीटी के अनुसार, कुल मुआवजा 2,180 करोड़ रुपये है।