गोरखपुर। यूपी के गोरखपुर जिले में मीटर परीक्षण खंड में प्रीपेड मीटर नहीं होने से हो रही दिक्कत के कारण हालाकि पहले प्रीपेड मीटर का शुल्क जमा कर बिजली कनेक्शन लेने वालों से अब पोस्टपेड मीटर परिसर में लगाने की बात की बात कह रहे हैं। गोरखपुर में बिजली निगम की लापरवाही का खामियाजा उपभोक्ता उठा रहे हैं। शहरी क्षेत्र के चारों बिजली खंड में 60 से अधिक प्रीपेड कनेक्शन वाले उपभोक्ता अपने परिसर के खराब मीटर को लेकर घूम रहे हैं। उपभोक्ता जब कटिया लगाने की बात बोलते तो उन्हें पोस्टपेड मीटर लगवाने की सलाह दी जा रही। जिससे उपभोक्ता परेशान हैं कि कनेक्शन के समय 7500 हजार रुपये मीटर शुल्क जमा करवा कर अब 1500 रुपये वाला पोस्टपेड मीटर लगवाने की सलाह दी जा रही। हालांकि इसके लिए किसी शुल्क की मांग नहीं की जा रही। भरोसा दिलाया जा रहा कि प्रीपेड मीटर वाले अतिरिक्त शुल्क को बिजली बिल में समाहित कर लेंगे।
बिजली निगम उपभोक्ताओं के लिए प्रीपेड मीटर की व्यवस्था लेकर आया था। शहर में करीब सात हजार उपभोक्ताओं के परिसर पर प्रीपेड मीटर लगाए गए हैं। सात सौ से अधिक आवेदन भी लंबित है। लेकिन वर्तमान में प्रीपेड मीटर नहीं होने से नए मीटर नहीं लग पा रहे हैं। प्रीपेड मीटर के लिए मीटर शुल्क 7 हजार रुपये जमा करना होता है। और पोस्टपेड मीटर के लिए 1500 रुपये का शुल्क देना पड़ता। ऐसे में अब मीटर खंड की तरफ से प्रीपेड शुल्क लेकर पोस्टपेड लगवाया जा रहा। जिससे उपभोक्ताओं में नाराजगी है। मजबूरन लाइनमैन या अन्य लोगों के साथ साझेदारी कर बाइपास कर बिजली उपभोग कर रहे हैं। विजिलेंस की जांच में बिजली चोरी में पाबंद हो जाएंगे। बिजली निगम के सूत्रों ने बताया कि इसमें स्थानीय स्तर पर उपभोक्ताओं से सांठगांठ कर अवैध लाइनें खींची जा रही हैं। इससे बिजली निगम को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है। पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन आशीष गोयल ने 29 फरवरी तक का समय अभियंताओं को दिया है। इस दौरान इंस्ट्रयूमेंट डिफेक्टिव कनेक्शनों के मीटर बदले जाने हैं। इनकी वजह से उपभोक्ताओं के बिजली आरडीएफ रीडिंग डिफेक्टिव हो रहे हैं। इन्हें अगर 29 फरवरी तक नहीं बदला गया तो मीटर खंड के एक्सईन का निलंबन और अधीक्षण अभियंता को चार्जशीट दी जाएगी। गोरखपुर में 278 खराब प्रीपेड मीटर अगस्त महीने में आए थे। इनमें से कुछ मीटर जब उपभोक्ताओं के परिसर में लगाए गए तब इनके खराब होने की जानकारी मिली। इन में वर्ष 2018 से खराबी आ रही थी। बिल गड़बड़ होने की आशंका से उपभोक्ता परेशान होने लगे। भंडार खंड से मीटर खंड ने कुछ मीटर बदले, जबकि कुछ वैसे ही चल रहे हैं।