इंदौर ।   भारतीय थल सेना से सेवानिवृत्त होकर इंदौर पहुंचे सूबेदार राजीव कपूर का ढोल-नगाड़ों के साथ स्वागत हुआ। अपने 28 साल की सेवा में राजीव कपूर विभिन्न ऑपरेशन में शामिल रहे। मूलरूप से महाकाल नगरी उज्जैन निवासी कपूर 28 दिसंबर 1995 को भारतीय सेना का हिस्सा बने थे। अपने उत्कृष्ट कामकाज के लिए उन्हें कई बार सम्मानित किया गया। राजीव कपूर के सैन्य जीवन की शुरुआत जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील इलाके से हुई थी। वह सैन्य सेवा के दौरान चार बार घाटी में कार्यरत रहे, जिसमें उन्हें राष्ट्रीय राइफल्स जैसी प्रतिष्ठित यूनिट में कार्य करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। राष्ट्रीय राइफल्स या आरआर यूनिट भारतीय सेना की एक खास शाखा है, जिसमें सैनिकों को आतंकवाद के खिलाफ अभियान के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाता है।

बता दें कि कपूर पांच बार 'ऑपरेशन रक्षक', एक बार 'ऑपरेशन सहायता' और दो बार 'ऑपरेशन राईनो; का हिस्सा रहे हैं। इसके अलावा, कारगिल घुसपैठ और संसद पर हुए आतंकी हमले के खिलाफ जंग में भी उन्होंने योगदान दिया था। अपने शानदार रिकॉर्ड के चलते संयुक्त राष्ट्र संघ शांतिरक्षा अभियान (UN Mission) के लिए भी उनका चयन हुआ था। इस दौरान वे मध्य अफ्रीका के देश कांगो में युद्ध विराम और शांति बहाली के लिए तैनात रहे।