इंदौर-सांवेर/ सनातन धर्म सबसे अलग,सनातन धर्म का ना आदि और न अंत:पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज
दैनिक जीवन के 24 घंटे मे से कुछ पल भगवत भक्ति के लिए निकाले,कितने ही धर्म पथ आ गए परतु सनातन धर्म की बात अलग है हमारे सनातन धर्म के आदि और अंत का पता नही है और हमने सभी कुछ अपने वेदों और पुराणों मे लिख के रखा है। सनातन धर्म मे बाहरी लोगो से नही बल्कि भीतरी लोगों के कारण समस्या है। हमारे यहां पर 33 कोटी देवता के अलावा भी लोग मानते है हम पच देवता मानते है पर उनके अलावा किसी को नही मानते है। सांवेर मे मंत्री तुलसी सिलावट जी के मार्गदर्शन मे आयोजित श्री राम कथा मे यह बात पूज्य श्री प्रेमभूषण जी महाराज ने कही। आपने कहा कि जब जब धर्म की हानि होती है अधर्म बढता दिखता है आपने कहा कि तीन शब्द है सुर असुर मनुष्य। देवता मनुष्य नही बन सकते असुर मनुष्य होते नही है। परंतु मनुष्य दोनों बन सकता है वह सुर असुर दोनों बन सकता है। मनुष्य जीवन मे कोई हमे सदाचारी सदगुणी मिल जाता है तब हम उसकी प्रशंसा करते नही थकते की ये तो साक्षात देव है। मनुष्य देवत्व को प्राप्त कर सकता है और वही अचार विचार सस्कार गिरे तो वही मनुष्य असुर बन जाता है। भगवान कभी भी असुरो के लिए नही बल्कि सज्जनो के लिए ही आते है। राम कथा मे आपने बताया कि प्रभु श्री राम के वनवास जाने के बाद किस तरह से दशरथ जी का निधन हो गया और फिर भरत शत्रुघ्न को बुलाया गया। श्रद्धांजलि सभा मे यह तय हुआ कि भरत जी को राजकाज सौंपा जाए परंतु भरत जी ने मना कर दिया और कहा कि इस गद्दी पर धर्मशील प्रभु श्री राम ही बैठेगे। जिसे अधिकार मिले वही त्याग कर सकता है और त्याग वही कर सकता है जो धर्ममय हो। भरत जी ने कहा कि मेरा अधिकार राम जी की पादुका की सेवा है। भाईयो मे प्रेम कैसा हो प्रत्येक भाई विपदा को बांटता है सपदा को नही। दोनो के बीच प्रेम है और प्रेम वस्तु सामान नही मांगता प्रेम सग चाहता है आश्रय चाहते है प्रेम लोभ और अधिकार नही चाहता। वर्तमान मे बच्चे शादी कर लेते है और चले जाते है क्या सभी रिश्तेदारो का प्रेम बचपन से लेकर जवानी तक का क्या नकली था? प्रेम जगाता है भगाता नही है। सिर्फ देह का प्रेम सही नही है। भरत जी ने राम जी की पादुका ली और उसे रखकर ही राजकाज चलाने लगे। कथा को आगे बढाते हुए पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने सीधे हनुमान जी और प्रभु श्री राम की भेट और सुग्रीव जी से मैत्री का प्रसंग बताया। आपने बताया कि आप की सगती जैसी होती है आप भी वैसे ही बन जाते है। एक पल की कुसंगति सब कुछ खराब कर देती है। श्री हनुमान बाबा के बारे मे आपने बताया कि हनुमान जी देवता नही ग्यारहवें रुद्र है वे प्रभु श्री राम की सेवा के लिए ही अवतरित हुए है। किस प्रकार से लक्ष्मण जी को प्रभु श्री राम ने आवेश देकर बाली वध के बाद सुग्रीव जी को समझाने के लिए भेजा।
भगवत भजन ही आपकी निजी प्रॉपर्टी है: कथा के दौरान आपने कहा कि आपके पास 24 घंटे है परंतु भगवान के भजन के लिए समय नही है इसका कारण है कि आप खाने,नहाने और सोने के लिए समय निकाल लेते है क्योकि आपके लिए यह महत्वपूर्ण है जिस कार्य के लिए हम महत्वपूर्ण नही समझते उसके लिए समय भी नही निकलता। मनुष्य तन दुर्लभ है थोडा थोडा समय भजन के लिए निकाले फिर देखो कितना परिवर्तन आता है। भगवत भजन ही आपकी प्रॉपर्टी है और यह निजी प्रॉपर्टी है सत्कर्म और पुण्य कर्म ही आपके साथ जाना है बाकी कुछ नही।घर परिवार मे काम करते हुए 24 घंटे मे भगवत भजन करे यह निजी प्रॉपर्टी है सत्कर्म,पुण्यकर्म साथ चलेगे।
प्रधानमंत्री जी ने सबके लिए घर बनवा दिए है: आपने कहा कि लोग कहते महंगाई बढ गई है पर अपनी आखो की पट्टी साफ करे और देखे आपकी आमदानी भी तो बढ़ गई है। आज देश मे सुविधाएं भी बढ गई है हमारे ही गांव मे पहले एक भी पक्का घर नही था आज देखिए प्रधानमंत्री जी ने सभी के लिए पक्के घर बनवा दिए है। सभी के घरों मे शौचालय बनवा दिए परंतु वह नही देखते हमे तो बस बोलना है तो बोलते ही रहते है टोकते रहते है। वैसे कुछ लोगो की मोलभाव करने की आदत ही होती है कुछ लोग शमशान घाट जैसी जगहो पर मोलभाव करने लगते है सब्जी वाले,ऑटो वाले मोल भाव करते रहते है ऐसा नही करना चाहिए। वही महगाई की बात करने वालो को यह भी बता दे कि हमारे समय मे हमने एक वर्ष की कॉलेज की फीस 3600 रुपये दी थी आज उतने मे युवाओं की भी फीस नही आती। आपने स्वामी विवेकानंद जी की जापान यात्रा का भी उदाहरण दिया: कि किस तरह से एक फल बेचने वाले से सवाद हुआ कि उसने कहा कि मेरे यहा पर जो सर्वश्रेष्ठ है वही हम जापानी बच्चो को खिलाते है वरना हमारी अगली पीढी श्रेष्ठ कैसे बनेगी। जापानी फल विक्रेता के पास जो फल सड़ जाते है वे अलग ही कर देते है बेचते नही परंतु हमारे यहा पर एक ही ठेले वाला तीन प्रकार के अगूर अलग अलग भाव मे बेचता है और सबसे महगे वाले बताता तक नही है। उ.प्र की सड़क आते ही नमस्कार करते थे: पूज्य प्रेमभूषण जी महाराज ने बताया कि पहले के वर्षों मे जब भी हम मध्यप्रदेश आते थे और वापस जाते थे तब उ.प्र की सड़क आते ही नमस्कार करते थे कि चलो अच्छी सडको तक आ गए तब म.प्र मे राजा साहब का राज था परंतु अभी तो सावेर से सीधे उत्तर प्रदेश तक चले जाइये अच्छी सडके है।
कथा को आगे बढाते हुए आपने कहा कि सुग्रीव ने सभी वानरो को एक माह के भीतर मा सीता का पता ढूंढने के लिए कहा और किस तरह श्री हनुमान जी को प्रभु श्री राम ने आशीर्वाद दिया और मुद्रिका भी थी। समुद्र तट पर संपाती जी से मुलाकात और किस प्रकार से सौ योजन पार कर लंका जाने का प्रसंग सुनाया। श्री हनुमान जी को उनकी शक्ति का एहसास करवाया गया और किस प्रकार से जाम्बवत जी ने कहा कि आप केवल मा सीता जी का पता लगाए शेष कार्य परमात्मा करेगे।लंका मे प्रवेश और लंकिनी से सवाद को भी आपने बताया: लंका मे विभीषण जी से मुलाकात और माता सीता के दर्शन किए मुद्रिका दी और ढेर सारे आशीर्वाद पाए। श्री हनुमान जी ने अपने स्वरुप के दर्शन किए। वाटिका मे फल खाए और किस प्रकार मेघनाथ उन्हे नागपाश मे बाधकर ले गए। श्री हनुमान जी की पूंछ मे तेल लगाकर उसे आग लगाई गई और कैसे हनुमान जी ने सोने की लंका को खाक कर दिया और वापस मा सीता से मिलकर प्रभु श्री राम जी के पास आ गए। समुद्र ने भगवान श्री राम को रास्ता नही दिया तब जलतत्व के बारे भी आपने बताया। किस प्रकार से सात दिनो तक रावण की सेना और प्रभु श्रीराम की सेना के बीच युद्ध चला। सातवें दिन श्री राम ने एक साथ 21 तीर चलाकर रावण का वध किया। विभीषण का राजतिलक और किस प्रकार से पुष्पक विमान से प्रभु श्री राम और सीता जी पुन: अयोध्या की ओर लौटे।
राज्याभिषेक के प्रसंग का सजीव दर्शन: कथा स्थल पर प्रभु श्री राम जानकी और हनुमान जी के वापस अयोध्या लौटने के प्रसंग का सजीव दर्शन किया गया। श्रद्धालुओं के बीच से गाजे बाजे के साथ श्री सीताराम जी और हनुमान जी मंच पर पधारे और वेद मंत्रों के बीच उन्हे गद्दी पर बैठाया गया। श्री राम कथा मे पूर्व केन्द्रीय मंत्री सत्यनारायण जटिया, पर्यटन मंत्री म.प्र शासन सुश्री ऊषा ठाकुर, मंत्री हरदीप सिह डंग, सांसद शंकर लालवानी आदि उपस्थित थे। अरुण राठौर